up govt - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Tue, 24 Sep 2024 11:04:48 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg up govt - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 उत्तर प्रदेश में मिलावटी भोजन पर कड़ा प्रहार, सीएम योगी के सख्त निर्देश https://chaupalkhabar.com/2024/09/24/adulterated-in-uttar-pradesh/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/24/adulterated-in-uttar-pradesh/#respond Tue, 24 Sep 2024 11:04:48 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5101 उत्तर प्रदेश सरकार ने खाने-पीने की वस्तुओं में मिलावट को रोकने के लिए एक कड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के ढाबों और रेस्टोरेंट्स में परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए कई सख्त निर्देश जारी किए हैं। मंगलवार को हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में सीएम योगी ने …

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उत्तर प्रदेश सरकार ने खाने-पीने की वस्तुओं में मिलावट को रोकने के लिए एक कड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के ढाबों और रेस्टोरेंट्स में परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए कई सख्त निर्देश जारी किए हैं। मंगलवार को हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में सीएम योगी ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताई और मिलावट को रोकने के लिए कठोर उपायों की घोषणा की। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि खाने-पीने की चीजों में मिलावट किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने इसे ‘विभत्स और अस्वीकार्य’ करार दिया। हाल ही में जूस, दाल, रोटी जैसी वस्तुओं में मानव अपशिष्ट मिलने की शिकायतों ने प्रशासन को अलर्ट कर दिया है। सीएम योगी ने इसे आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ गंभीर खिलवाड़ बताया और इसे रोकने के लिए त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए।

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सीएम योगी ने कहा कि अब ढाबा और रेस्टोरेंट्स में काम करने वाले प्रत्येक कर्मचारी का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा। ढाबों और होटलों के संचालक, प्रोपराइटर, मैनेजर, और अन्य स्टाफ के नाम और पता डिस्प्ले करना आवश्यक होगा, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि का तुरंत पता लगाया जा सके। खाद्य पदार्थों की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए सीएम योगी ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में जरूरी संशोधन करने के निर्देश दिए हैं। अब खाने-पीने की वस्तुओं के केंद्रों पर साफ-सफाई का ध्यान रखने के साथ-साथ खाना बनाने वाले कर्मचारियों को मास्क और ग्लव्स पहनना अनिवार्य किया गया है। साथ ही, इन स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे भी अनिवार्य रूप से लगाए जाएंगे, ताकि सभी गतिविधियों की निगरानी की जा सके और किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत पकड़ा जा सके।

सीएम योगी ने स्पष्ट किया कि यदि किसी ढाबे या रेस्टोरेंट में मिलावटी भोजन पाया जाता है, तो उस प्रतिष्ठान के संचालक या प्रोपराइटर के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई केवल आर्थिक दंड तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि गंभीर मामलों में कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। इस दिशा में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, पुलिस प्रशासन, और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त टीमों के जरिए प्रदेशव्यापी सघन अभियान चलाया जाएगा। इन टीमों का काम होगा कि वे समय-समय पर ढाबों और रेस्टोरेंट्स की जांच करें और सुनिश्चित करें कि वहां स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा के सभी मानकों का पालन हो रहा है।

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सीएम योगी ने यह भी कहा कि देशभर में अलग-अलग क्षेत्रों में मिलावट की घटनाएं बढ़ रही हैं, जो आम जनता के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती हैं। ऐसी मिलावट से न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य को खतरा होता है, बल्कि यह समाज के समग्र स्वास्थ्य तंत्र पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। उत्तर प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि राज्य में ऐसी घटनाओं पर पूरी तरह से रोक लगे और किसी भी तरह के मिलावटी भोजन की बिक्री को रोका जा सके।

खाने-पीने की जगहों पर साफ-सफाई बनाए रखना अब न केवल प्रतिष्ठान के लिए, बल्कि ग्राहकों की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है। इसके लिए होटल और रेस्टोरेंट्स में सीसीटीवी कैमरे लगाने के साथ-साथ, साफ-सफाई का सख्त पालन अनिवार्य किया गया है। कैमरे की फीड को संचालक को सुरक्षित रखना होगा और जब भी आवश्यकता हो, पुलिस को इसकी जानकारी दी जाएगी।

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उत्तर प्रदेश सरकार की इस कठोर पहल का उद्देश्य आम आदमी के स्वास्थ्य की रक्षा करना और उन्हें सुरक्षित एवं शुद्ध भोजन उपलब्ध कराना है। सीएम योगी ने साफ तौर पर कहा है कि किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ तुरंत सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब सरकार का फोकस यह सुनिश्चित करना है कि प्रदेशभर में मिलावटी भोजन का कारोबार पूरी तरह से बंद हो और सभी लोग स्वच्छ और सुरक्षित भोजन का आनंद ले सकें।

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ज्ञानव्यापी पर योगी आदित्यनाथ का बयान, ‘यह साक्षात शिव हैं, मस्जिद कहना दुर्भाग्य. https://chaupalkhabar.com/2024/09/14/knowledgeable-but-yogi-addicted/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/14/knowledgeable-but-yogi-addicted/#respond Sat, 14 Sep 2024 09:41:17 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4870 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक संगोष्ठी में ज्ञानव्यापी को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश लोग इसे मस्जिद कहते हैं, जबकि वास्तव में यह साक्षात शिव का स्वरूप है। योगी ने इस बयान के संदर्भ में आदि शंकराचार्य के जीवन से एक प्रसंग साझा किया, जिसमें …

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक संगोष्ठी में ज्ञानव्यापी को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश लोग इसे मस्जिद कहते हैं, जबकि वास्तव में यह साक्षात शिव का स्वरूप है। योगी ने इस बयान के संदर्भ में आदि शंकराचार्य के जीवन से एक प्रसंग साझा किया, जिसमें भगवान विश्वनाथ स्वयं को ज्ञानव्यापी के रूप में प्रकट करते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह विचार गोरखपुर में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन में आयोजित ‘समरस समाज के निर्माण में नाथ पंथ का अवदान’ विषयक संगोष्ठी के दौरान रखे। बतौर मुख्य अतिथि, उन्होंने आदि शंकराचार्य के उस प्रसंग को विस्तार से समझाया, जिसमें ज्ञान और साधना की बात की गई है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब आदि शंकराचार्य अपने अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर आगे की साधना के लिए दक्षिण भारत के केरल से चलकर वाराणसी पहुंचे, तो भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेने का निर्णय लिया। एक दिन जब आदि शंकराचार्य गंगा स्नान के लिए जा रहे थे, तो उनके रास्ते में एक चांडाल आ खड़ा हुआ और उनके मार्ग में बाधा डालने का प्रयास करने लगा। आदि शंकर ने चांडाल को हटने के लिए कहा। चांडाल ने इसके उत्तर में आदि शंकर को उनके अद्वैत सिद्धांत की याद दिलाई, जिसमें यह बताया गया है कि ब्रह्म ही सत्य है और सारा संसार माया है। यह सुनकर आदि शंकर को यह आभास हुआ कि यह चांडाल साधारण व्यक्ति नहीं है। उन्होंने उससे पूछा कि वह कौन है, जो उनके अद्वैत सिद्धांत के बारे में इतनी गहराई से जानता है। इसके उत्तर में चांडाल ने कहा कि वह वही ज्ञानव्यापी है, जिसकी साधना के लिए आदि शंकर काशी आए हैं। वह कोई और नहीं, बल्कि स्वयं भगवान विश्वनाथ हैं।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस प्रसंग के जरिए अपने विचारों को स्पष्ट करते हुए कहा कि ज्ञानव्यापी को मस्जिद कहना एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गलती है। उन्होंने इसे ‘दुर्भाग्य’ करार देते हुए कहा कि यह स्थान वास्तव में साक्षात शिव का स्वरूप है। योगी का मानना है कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इस स्थान का महत्व अत्यधिक है और इसे किसी अन्य रूप में देखना शिव के प्रति सम्मान का उल्लंघन है। योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को समझने के लिए आदि शंकराचार्य के जीवन और उनके सिद्धांतों का अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है। आदि शंकर ने जो अद्वैत का ज्ञान फैलाया था, वह न केवल एक दार्शनिक विचारधारा है, बल्कि यह भारतीय सभ्यता के मूल सिद्धांतों में से एक है।

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इस संगोष्ठी में योगी आदित्यनाथ ने नाथ पंथ के योगदान पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि नाथ पंथ ने भारतीय समाज में समरसता और धार्मिक सहिष्णुता के सिद्धांतों को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नाथ पंथ के संतों ने समाज के सभी वर्गों को एकजुट करने और उन्हें आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है। योगी आदित्यनाथ, जो खुद नाथ पंथ से जुड़े हुए हैं, ने कहा कि इस पंथ ने समाज को बिना किसी भेदभाव के सेवा और साधना के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है। नाथ पंथ के संतों ने समाज में जाति, धर्म, और वर्ग के भेदभाव को मिटाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया है और उनका संदेश आज भी प्रासंगिक है।

 

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मंगेश यादव एनकाउंटर केस, विपक्ष का हमला, भाजपा सरकार पर उठे सवाल. https://chaupalkhabar.com/2024/09/11/mangesh-yadav-encounter-case-v/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/11/mangesh-yadav-encounter-case-v/#respond Wed, 11 Sep 2024 09:05:40 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4815 उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में हुए एक लाख के इनामी डकैत मंगेश यादव के एनकाउंटर के बाद राज्य की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बार फिर योगी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए एनकाउंटर की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं। एनकाउंटर को लेकर …

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उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में हुए एक लाख के इनामी डकैत मंगेश यादव के एनकाउंटर के बाद राज्य की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बार फिर योगी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए एनकाउंटर की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं। एनकाउंटर को लेकर अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए।

“एनकाउंटर का पैटर्न सेट हो गया है” अखिलेश यादव ने अपने पोस्ट में लिखा, “भाजपा राज में एनकाउंटर का एक पैटर्न सेट हो गया है। पहले किसी को उठाओ, फिर झूठी मुठभेड़ की कहानी बनाओ और फिर दुनिया को झूठी तस्वीरें दिखाओ।” उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह की घटनाओं में मारे गए लोगों के परिवारों पर दबाव डालकर उन्हें चुप रहने के लिए मजबूर किया जाता है। साथ ही, विपक्ष द्वारा इन घटनाओं का भंडाफोड़ होने पर भाजपा अपने छोटे नेताओं को आगे कर मामले को दबाने की कोशिश करती है।

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सपा प्रमुख ने मीडिया पर भी निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा अपने समर्थन में काम करने वाले मीडिया के जरिए इन एनकाउंटरों को सही ठहराने का काम करती है। उन्होंने कहा कि सरकार के तथाकथित बड़े नेताओं से गैरकानूनी एनकाउंटर को तर्कहीन बयानबाजी के जरिए सही साबित कराया जाता है। अखिलेश यादव ने आगे कहा कि जब भी जनता का आक्रोश बढ़ता है, तो सरकार औपचारिक रूप से जांच का आदेश दे देती है, लेकिन जांच के नाम पर कुछ खास नहीं होता। उन्होंने इसे दिखावटी जांच करार देते हुए आरोप लगाया कि ऐसे मामलों को जांच के बहाने धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

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बता दें कि 28 अगस्त को सुलतानपुर के ठठेरी बाजार में सर्राफ भरत सोनी के यहां डकैती के मामले में वांछित डकैत मंगेश यादव उर्फ कुंभे को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था। यादव पर एक लाख का इनाम घोषित था, और उसे सुलतानपुर के मिश्रपुर पुरैना के पास एसटीएफ की टीम ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया। इस डकैती में अन्य 14 आरोपित भी वांछित थे, जिनमें से तीन को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था। गिरोह का सरगना विपिन सिंह पहले ही रायबरेली न्यायालय में सरेंडर कर चुका है, जबकि बाकी आरोपितों की तलाश में पुलिस द्वारा सात टीमें गठित की गई हैं।

इस मुठभेड़ के बाद जिलाधिकारी कृत्तिका ज्योत्स्ना ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश जारी किए हैं। जांच की जिम्मेदारी लंभुआ की एसडीएम विदुषी सिंह को सौंपी गई है। सरकार की ओर से कहा गया है कि मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी ताकि किसी प्रकार की गलतफहमी या संदेह को दूर किया जा सके।

 

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69 हजार शिक्षक भर्ती, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, 23 सितंबर को अगली सुनवाई https://chaupalkhabar.com/2024/09/09/69-thousand-teacher-recruitment-supri/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/09/69-thousand-teacher-recruitment-supri/#respond Mon, 09 Sep 2024 11:27:46 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4764 उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब भी मांगा है और अगली सुनवाई के लिए 23 सितंबर 2024 की तारीख निर्धारित की है। इस दौरान, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य …

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उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब भी मांगा है और अगली सुनवाई के लिए 23 सितंबर 2024 की तारीख निर्धारित की है। इस दौरान, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य पक्षकारों को अपनी दलीलें प्रस्तुत करनी होंगी। इस मामले में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की तीन सदस्यीय पीठ ने रवि कुमार सक्सेना और अन्य 51 याचिकाकर्ताओं द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई की। पीठ ने यूपी सरकार और यूपी बेसिक शिक्षा बोर्ड के सचिव को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही अदालत ने सभी पक्षकारों से 23 सितंबर तक इस मामले में सात पन्नों में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

यह मामला तब शुरू हुआ जब इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों की अनदेखी के आरोप पर सुनवाई की। हाईकोर्ट ने 2019 में आयोजित इस भर्ती की चयन सूची को रद्द करते हुए निर्देश दिया था कि नई चयन सूची तैयार की जाए। कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि तीन माह के भीतर इस नई सूची को जारी किया जाए। हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक, यदि नई सूची के जारी होने से किसी वर्तमान में कार्यरत सहायक शिक्षक पर नकारात्मक असर पड़ता है, तो उन्हें मौजूदा शैक्षणिक सत्र का लाभ दिया जाए ताकि उनकी नौकरी पर सीधा असर न पड़े और छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो।

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इसके अलावा, हाईकोर्ट ने 6800 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की सूची को खारिज करने के एकल पीठ के आदेश को भी बरकरार रखा। यह सूची 5 जनवरी 2022 को जारी की गई थी। जबकि 69 हजार अभ्यर्थियों की मूल चयन सूची 1 जून 2020 को जारी हुई थी। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने महेंद्र पाल और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया था। इन याचिकाओं में 6800 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की सूची को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने एकल पीठ के आदेश को सही ठहराते हुए सरकार को तीन महीने के भीतर नई चयन सूची जारी करने का निर्देश दिया था।

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इस फैसले के बाद सरकार को 69 हजार अभ्यर्थियों की चयन सूची को रद्द कर नई सूची तैयार करने का आदेश मिला था। इसका असर वर्तमान में कार्यरत कई शिक्षकों पर पड़ने की संभावना थी, जिसके चलते इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से इस पर जवाब दाखिल करने को कहा है और अगली सुनवाई 23 सितंबर को तय की है। इस दौरान, सरकार और अन्य पक्षकारों को इस मुद्दे पर अपनी दलीलें कोर्ट में प्रस्तुत करनी होंगी।

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सुलतानपुर लूटकांड, मंगेश यादव के एनकाउंटर और सोने की कम बरामदगी पर अखिलेश का सरकार पर तीखा हमला https://chaupalkhabar.com/2024/09/07/sultanpur-robbery-mangesh/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/07/sultanpur-robbery-mangesh/#respond Sat, 07 Sep 2024 11:19:49 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4731 समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सुलतानपुर ज्वैलर्स लूटकांड में शामिल मंगेश यादव के एनकाउंटर पर सवाल उठाने के बाद एक बार फिर प्रदेश सरकार को निशाने पर लिया है। इस बार उन्होंने लूट के माल की बरामदगी पर सवाल खड़ा किया है। शनिवार को अखिलेश यादव ने पीड़ित सर्राफ का एक वीडियो …

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समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सुलतानपुर ज्वैलर्स लूटकांड में शामिल मंगेश यादव के एनकाउंटर पर सवाल उठाने के बाद एक बार फिर प्रदेश सरकार को निशाने पर लिया है। इस बार उन्होंने लूट के माल की बरामदगी पर सवाल खड़ा किया है। शनिवार को अखिलेश यादव ने पीड़ित सर्राफ का एक वीडियो जारी किया, जिसमें सर्राफ ने बताया कि पुलिस द्वारा बरामद माल लूट का 10 प्रतिशत भी नहीं है। खासकर, सोना पूरी तरह से गायब है। अखिलेश ने इस मुद्दे पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए पूछा कि लूट का माल लुटेरों से किसने लूट लिया? अखिलेश यादव ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर पोस्ट करते हुए कहा कि अगर सारे लुटेरे पकड़े जा चुके हैं, तो फिर लूटा गया सोना किसके खजाने में चला गया? उन्होंने सीधे तौर पर प्रदेश सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा किया और कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि जो लुटेरे बनकर आए थे, वे किसी के प्रतिनिधि थे? ये सवाल प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर आरोप लगाते हैं और सरकार की भूमिका पर शक जाहिर करते हैं।

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अखिलेश यादव पहले भी मंगेश यादव के एनकाउंटर पर सवाल उठा चुके हैं। सुलतानपुर में हुए इस लूटकांड के मुख्य आरोपी मंगेश यादव को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस एनकाउंटर को लेकर कई तरह के सवाल उठाए थे, खासकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने। उन्होंने कहा था कि प्रदेश में एनकाउंटर के नाम पर निर्दोषों को निशाना बनाया जा रहा है और असली अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। इस पूरी घटना को लेकर अखिलेश यादव ने फिल्म “डकैत” के एक पोस्टर को रीपोस्ट किया है। इस फिल्म में सनी देओल ने अर्जुन यादव नामक एक डकैत का किरदार निभाया था, जिसे समाज द्वारा सताया गया था। अखिलेश का यह पोस्ट इस बात की ओर इशारा करता है कि मंगेश यादव के एनकाउंटर को इस फिल्म की कहानी से जोड़कर देखा जा रहा है। इस पोस्ट के जरिए उन्होंने यह सवाल खड़ा किया कि क्या मंगेश यादव को भी उसी तरह से सताया गया जैसा फिल्म के किरदार अर्जुन यादव के साथ हुआ था?

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अखिलेश यादव ने अपने पोस्ट में शायर मुनव्वर राणा की पंक्तियों का भी इस्तेमाल किया है। यह पंक्तियां उन लोगों के प्रति सहानुभूति दर्शाती हैं, जिन्हें बिना किसी ठोस कारण के अपराधी साबित कर दिया जाता है। इस पोस्ट के जरिए अखिलेश यादव ने मंगेश यादव के एनकाउंटर पर एक बार फिर से सवाल उठाया और इसे एक पूर्व-नियोजित योजना का हिस्सा बताया। अखिलेश यादव ने वीडियो के साथ जो सवाल उठाए, वह प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। पीड़ित सर्राफ ने बताया कि लूटा गया माल अभी तक बरामद नहीं हुआ है, और पुलिस द्वारा बरामद की गई चीजें लूट का 10 प्रतिशत भी नहीं हैं। खासकर, सोना पूरी तरह से गायब है। यह सवाल उठता है कि अगर सभी लुटेरे पकड़े जा चुके हैं, तो फिर सोना कहां गायब हो गया? अखिलेश यादव ने अपने पोस्ट के जरिए सरकार पर तीखा हमला किया और यह दावा किया कि लूट का असली माल किसी और के खजाने में जमा हो गया है। उन्होंने इस घटना को प्रदेश की कानून व्यवस्था की नाकामी के रूप में पेश किया और सरकार पर आरोप लगाया कि वह असली अपराधियों को बचाने का काम कर रही है।

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नेपाल में भारतीय नंबर प्लेट वाली बस नदी में गिरी, 42 यात्रियों में से 15 की अब तक मौत. https://chaupalkhabar.com/2024/08/23/indian-number-pl-in-nepal/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/23/indian-number-pl-in-nepal/#respond Fri, 23 Aug 2024 09:16:15 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4393 मध्य नेपाल में शुक्रवार को एक भारतीय यात्री बस के मर्सियांगडी नदी में गिर जाने से कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई है। बस में कुल 42 यात्री सवार थे, जो सभी महाराष्ट्र से थे। बस ने 20 अगस्त को रूपन्देही के बेलहिया चेक-पॉइंट (गोरखपुर) से 8 दिन के परमिट के साथ …

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मध्य नेपाल में शुक्रवार को एक भारतीय यात्री बस के मर्सियांगडी नदी में गिर जाने से कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई है। बस में कुल 42 यात्री सवार थे, जो सभी महाराष्ट्र से थे। बस ने 20 अगस्त को रूपन्देही के बेलहिया चेक-पॉइंट (गोरखपुर) से 8 दिन के परमिट के साथ नेपाल में प्रवेश किया था। दुर्घटना तनहुन जिले के आइना पहाड़ा क्षेत्र में हुई। घटना की सूचना मिलते ही सशस्त्र पुलिस बल नेपाल आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण विद्यालय के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) माधव पौडेल के नेतृत्व में 45 कर्मियों की एक टीम दुर्घटनास्थल पर पहुंच गई। तुरंत बचाव अभियान शुरू किया गया। प्रारंभिक रिपोर्टों के मुताबिक, लगभग 15 शव बरामद किए गए हैं, जबकि 16 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। हालांकि, 10 यात्री अभी भी लापता हैं।

गौरतलब है कि यह बस गोरखपुर से यात्रियों को लेकर नेपाल गई थी और पोखरा से काठमांडू जा रही थी। तनहुन के एसपी बीरेंद्र शाही ने घटना की पुष्टि की है और बताया कि बस का नंबर यूपी 53 एफटी 7623 था। मौके पर स्थानीय पुलिस कार्यालय के निरीक्षक अबू खैरेनी और अन्य बचावकर्मी मौजूद हैं। सेना और सशस्त्र बलों को भी इस दुर्घटना की जानकारी दे दी गई है ताकि बचाव कार्य में कोई कोताही न हो। उत्तर प्रदेश राहत आयुक्त ने इस घटना के संबंध में बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि वे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या बस में उत्तर प्रदेश का कोई व्यक्ति सवार था। फिलहाल घटना के बारे में विस्तृत जानकारी का इंतजार है।

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यह दुर्घटना नेपाल में इस साल की एक और गंभीर दुर्घटना के रूप में सामने आई है। इससे पहले, जुलाई में भी नेपाल में दो बसें उफनती त्रिशूली नदी में बह गई थीं, जिसमें 65 लोग सवार थे। वे बसें भी काठमांडू से रौतहट के गौर जा रही थीं और भारी बारिश के बीच यह हादसा हुआ था। उन घटनाओं में भी भारी जान-माल का नुकसान हुआ था, जो नेपाल के खराब मौसम और सड़क सुरक्षा की चुनौती को दर्शाता है।

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नेपाल में इस तरह की दुर्घटनाएं अकसर देखने को मिलती हैं, जहां पर्वतीय इलाकों में संकरी और घुमावदार सड़कों के कारण वाहन दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। स्थानीय प्रशासन और सरकार को इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सड़कों की स्थिति और यातायात व्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता है। इस घटना ने एक बार फिर से नेपाल की सड़क सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया है। बचाव और राहत कार्यों की पूरी जानकारी के लिए संबंधित विभागों के साथ समन्वय किया जा रहा है, और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही सभी लापता लोगों का पता चल जाएगा।

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कांवड़ यात्रा मार्ग पर ‘नेम प्लेट’ लगाने के फैसले पर SC ने लगाई अस्थायी रोक, 26 जुलाई को होगी अगली सुनवाई. https://chaupalkhabar.com/2024/07/22/kanwar-yatra-route/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/22/kanwar-yatra-route/#respond Mon, 22 Jul 2024 08:23:22 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3992 उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटलों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई।इस मामले में NGO एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स द्वारा याचिका दाखिल की गयी थी। जस्टिस हृषिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ द्वारा मामले की …

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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटलों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई।इस मामले में NGO एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स द्वारा याचिका दाखिल की गयी थी। जस्टिस हृषिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ द्वारा मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या यह आदेश एक प्रेस स्टेटमेंट था या औपचारिक आदेश? याचिकाकर्ताओं के वकील ने जवाब दिया कि यह पहले एक प्रेस स्टेटमेंट था और इसके बाद लोगों में आक्रोश फैल गया था। उन्होंने कहा कि यह स्वैच्छिक है, लेकिन इसे सख्ती से लागू किया जा रहा है। वकील ने यह भी बताया कि कोई औपचारिक आदेश नहीं है, बल्कि पुलिस इसे सख्ती से लागू कर रही है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह एक छद्म आदेश है। एक अन्य याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने बताया कि इस आदेश का पालन न करने पर दुकानदारों को बुलडोजर कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा, “अधिकांश लोग बहुत गरीब सब्जी और चाय की दुकान के मालिक हैं और इस तरह के आर्थिक बहिष्कार के अधीन होने पर उनकी आर्थिक स्थिति पर भारी प्रभाव पड़ेगा।” सुप्रीम कोर्ट ने अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि स्थिति को इस तरह से पेश नहीं किया जाना चाहिए जिससे जमीन पर जो हो रहा है, उसे बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाए। कोर्ट ने कहा कि इन आदेशों में सुरक्षा और स्वच्छता के आयाम भी शामिल हैं।

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सिंघवी ने तर्क दिया कि कांवड़ यात्राएं दशकों से हो रही हैं और इसमें मुस्लिम, ईसाई और बौद्ध समेत सभी धर्मों के लोग मदद करते हैं। अब आप किसी विशेष धर्म का बहिष्कार कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, “बहुत सारे शुद्ध शाकाहारी रेस्तरां हैं जो हिंदुओं द्वारा चलाए जाते हैं और उनमें मुस्लिम कर्मचारी भी हो सकते हैं। क्या मैं कह सकता हूं कि मैं वहां जाकर नहीं खाऊंगा क्योंकि खाना किसी मुस्लिम या दलित द्वारा छुआ गया है?” सिंघवी ने जोर देकर कहा कि निर्देश में कहा गया है “स्वेच्छा से” लेकिन वास्तव में स्वेच्छा कहां है? मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया है। इस सप्ताह की शुरुआत में मुजफ्फरनगर पुलिस ने आदेश जारी किया था कि कांवड़ यात्रा वाले रूट पर दुकानदार अपनी दुकान पर नेमप्लेट लगाएं ताकि कांवड़ियों को पता चले कि दुकानदार का नाम क्या है।

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इस मुद्दे पर व्यापक विवाद हो गया है। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि यह आदेश किसी विशेष समुदाय के खिलाफ भेदभाव करता है और धार्मिक सद्भावना को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने कहा कि यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। दूसरी ओर, राज्य सरकार ने अपने पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि यह आदेश सुरक्षा और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए है। सरकार ने यह भी कहा कि यह आदेश किसी विशेष धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह सभी के लिए समान रूप से लागू है।

इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सभी पक्षों को ध्यानपूर्वक सुना और मामले की जटिलताओं को समझने की कोशिश की। कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर गहराई से विचार करने की आवश्यकता है और सभी पक्षों को अपने विचार और तर्क प्रस्तुत करने का पूरा मौका दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख तय करते हुए कहा कि वह सभी पक्षों के तर्कों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी पहलुओं पर विचार करना महत्वपूर्ण है ताकि न्याय और समानता सुनिश्चित की जा सके।

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“कांवड़ यात्रा के दौरान नेम प्लेट आदेश पर विवाद, योगी सरकार की आलोचना और एनडीए में मतभेद” https://chaupalkhabar.com/2024/07/20/during-the-kanwar-yatra/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/20/during-the-kanwar-yatra/#respond Sat, 20 Jul 2024 11:44:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3974 उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों और ढाबा मालिकों को नेम प्लेट लगाने के आदेश के बाद योगी सरकार की आलोचना हो रही है। इस मुद्दे पर एनडीए के भीतर भी विभिन्न मत हैं। जहां कुछ दलों ने इसका विरोध किया है, वहीं कुछ दलों ने इसका समर्थन किया है। उत्तर प्रदेश की …

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उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों और ढाबा मालिकों को नेम प्लेट लगाने के आदेश के बाद योगी सरकार की आलोचना हो रही है। इस मुद्दे पर एनडीए के भीतर भी विभिन्न मत हैं। जहां कुछ दलों ने इसका विरोध किया है, वहीं कुछ दलों ने इसका समर्थन किया है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा वाले मार्ग पर दुकानदारों और ढाबा मालिकों को अपनी दुकानों के आगे नेम प्लेट लगाने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद इसकी खूब आलोचना हो रही है। विपक्षी दलों ने इस फैसले को समाज को बांटने वाला बताते हुए इसका विरोध किया है। एनडीए के सहयोगी दलों में भी इसको लेकर अलग-अलग राय है। एनडीए में शामिल जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) (एलजेपी (आर)) ने इस फैसले का विरोध किया है। वहीं, सहयोगी पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) ने इसका समर्थन किया है और कहा है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने शनिवार को कहा कि उन्हें उत्तर प्रदेश में ‘कांवड़ यात्रा’ मार्ग पर फल विक्रेताओं को उनके स्टॉलों पर अपना नाम लिखने के लिए कहे जाने में कुछ भी गलत नहीं दिखता है।

मांझी द्वारा इस फैसले से जुड़े विवाद को लेकर पूछे गए सवालो के उत्तर में यूपी सरकार का समर्थन किया गया । इसके बाद पार्टी प्रमुख मांझी दवारा कहा गया की “मैं अन्य दलों के लिए नहीं बोल सकता, परन्तु मुझे इस तरह के आदेश में कुछ भी गलत नहीं दिखाई नहीं दिया , यदि व्यवसायों में शामिल लोगों को अपना नाम और पता प्रमुखता से उजागर करने के लिए कहा जाता है तो इसमें नुकसान ही क्या है?”जिसके बाद उन्होंने आगे कहा, की “असल में, नेम प्लेट से खरीदारों के लिए पसंदीदा स्टॉल देखना आसान हो जाएगा। और इस मामले को धर्म के चश्मे से देखना कतई गलत है।

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जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता के सी त्यागी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ सबका विकास’ नारे का जिक्र करते हुए यूपी पुलिस के आदेश की आलोचना की थी और कहा था कि बिहार, झारखंड और कांवड़ यात्रा से जुड़े अन्य राज्यों में इसी तरह के निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। त्यागी ने कहा कि यूपी सरकार का यह कदम समाज में विभाजन पैदा कर सकता है और लोगों के बीच संदेह और अविश्वास को बढ़ा सकता है। इस फैसले के खिलाफ उठ रही आवाजों के बावजूद, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा ने अपने समर्थन को दोहराया है। मांझी का मानना है कि नेम प्लेट्स का उपयोग व्यापार में पारदर्शिता लाने और ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस आदेश को धर्म के दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए।

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विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोला है। उनका कहना है कि इस तरह के आदेश से समाज में धार्मिक विभाजन बढ़ सकता है। कुछ दलों का यह भी कहना है कि इस फैसले का उद्देश्य विशेष समुदाय को निशाना बनाना है। विपक्षी नेताओं ने यूपी सरकार से इस आदेश को वापस लेने की मांग की है और इसे समाज में सामंजस्य बनाए रखने के लिए आवश्यक बताया है। हालांकि, योगी सरकार ने अपने आदेश का बचाव किया है। सरकार का कहना है कि यह आदेश केवल व्यापार में पारदर्शिता लाने और ग्राहकों के अनुभव को सुधारने के लिए है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस आदेश का उद्देश्य किसी भी समुदाय को निशाना बनाना नहीं है।

इस मुद्दे पर विभिन्न दलों के अलग-अलग मत होने के बावजूद, यूपी सरकार ने अपने फैसले को लागू करने की प्रतिबद्धता जताई है। सरकार का कहना है कि नेम प्लेट्स लगाने से व्यापार में पारदर्शिता आएगी और ग्राहक आसानी से अपने पसंदीदा दुकानों और स्टॉल्स को पहचान सकेंगे।

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“हाथरस दुर्घटना: एसआईटी की जांच में कार्यक्रम आयोजक और प्रशासनिक लापरवाही उजागर, कई अधिकारी निलंबित” https://chaupalkhabar.com/2024/07/09/hathras-accident-sit-ki/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/09/hathras-accident-sit-ki/#respond Tue, 09 Jul 2024 08:19:54 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3880 हाथरस जिले के सिकंदराराऊ में दो जुलाई को हुई दुर्घटना में 121 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया। एसआईटी ने एडीजी जोन आगरा और मंडलायुक्त अलीगढ़ के नेतृत्व में घटनास्थल का निरीक्षण किया और अपनी जांच में कार्यक्रम …

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हाथरस जिले के सिकंदराराऊ में दो जुलाई को हुई दुर्घटना में 121 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया। एसआईटी ने एडीजी जोन आगरा और मंडलायुक्त अलीगढ़ के नेतृत्व में घटनास्थल का निरीक्षण किया और अपनी जांच में कार्यक्रम आयोजक, तहसील स्तरीय पुलिस और प्रशासन को दोषी पाया। जांच के दौरान एसआईटी ने दो, तीन, और पांच जुलाई को घटनास्थल का निरीक्षण किया। कुल 125 लोगों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ आम जनता और प्रत्यक्षदर्शी भी शामिल थे। एसआईटी ने समाचार पत्रों, स्थलीय वीडियोग्राफी, छायाचित्रों, और वीडियो क्लिपिंग्स का भी अध्ययन किया।

प्रारंभिक जांच में, एसआईटी ने चश्मदीद गवाहों और अन्य साक्ष्यों के आधार पर कार्यक्रम आयोजकों को मुख्य रूप से दोषी ठहराया। जांच समिति ने दुर्घटना के पीछे किसी बड़ी साजिश से इनकार नहीं किया है और गहन जांच की जरूरत बताई है। एसआईटी ने कार्यक्रम आयोजक और तहसील स्तरीय पुलिस और प्रशासन की लापरवाही को भी जिम्मेदार माना। उप जिला मजिस्ट्रेट सिकंदराराऊ ने बिना स्थल का मुआयना किए कार्यक्रम की अनुमति प्रदान की और वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित नहीं किया।

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एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर, राज्य सरकार ने एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज कचौरा, और चौकी इंचार्ज पोरा को सस्पेंड कर दिया है। आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम की अनुमति ली और अनुमति के शर्तों का अनुपालन नहीं किया। अप्रत्याशित भीड़ को आमंत्रित कर पर्याप्त और सुचारू व्यवस्था नहीं की गई।आयोजक मंडल से जुड़े लोग अव्यवस्था फैलाने के दोषी पाए गए। उन्होंने पुलिस वेरिफिकेशन के बिना लोगों को जोड़ा, जिससे अव्यवस्था फैली। आयोजक मंडल ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया और स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल पर निरीक्षण से रोका। सत्संगकर्ता और भीड़ को बिना सुरक्षा प्रबंध के आपस में मिलने की छूट दी गई। भारी भीड़ के बावजूद यहां किसी प्रकार की बैरिकेडिंग या पैसेज की व्यवस्था नहीं बनाई गई थी।

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दुर्घटना के बाद, आयोजक मंडल के सदस्य घटनास्थल से भाग गए, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। इस घटना ने प्रशासनिक और पुलिस प्रणाली की खामियों को उजागर किया। राज्य सरकार ने एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर कठोर कार्रवाई की है और दोषी अधिकारियों और आयोजकों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। इस घटना ने हाथरस जिले में सुरक्षा और व्यवस्था के मानकों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कार्यक्रम आयोजकों की लापरवाही और प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी ने इस त्रासदी को जन्म दिया। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और प्रशासनिक तंत्र में सुधार हो।

एसआईटी की जांच रिपोर्ट ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा मानकों का पालन न करने और कार्यक्रम की अनुमति देने में लापरवाही बरतने के कारण यह दुर्घटना हुई। इस मामले ने दिखाया कि कैसे स्थानीय प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की लापरवाही ने इतनी बड़ी त्रासदी को जन्म दिया। यह घटना एक चेतावनी है कि सुरक्षा और व्यवस्था को प्राथमिकता देने की जरूरत है। एसआईटी की सिफारिशों के आधार पर, राज्य सरकार ने प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। यह कदम प्रशासनिक तंत्र को सुधारने और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उठाया गया है। इस घटना से सबक लेते हुए, भविष्य में कार्यक्रमों की अनुमति देने में सतर्कता बरतने और सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता है।

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हाथरस भगदड़ मामले में अब तक 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया, आयोजक के खिलाफ एक लाख का इनाम घोषित; गैर जमानती वारंट किया जाएगा जारी. https://chaupalkhabar.com/2024/07/04/hathras-stampede-case-in-now/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/04/hathras-stampede-case-in-now/#respond Thu, 04 Jul 2024 11:14:40 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3846 मंगलवार को हाथरस में एक सत्संग में भगदड़ हो गई, जिसमें नारायण साकार विश्व हरि के छह सेवादार गिरफ्तार किए गए हैं। इस घटना में बाबा के सुरक्षाकर्मियों के बीच धक्का-मुक्की हुई थी, जिसके बाद सेवादारों ने मौके से भाग जाने का फैसला किया था। अलीगढ़ आईजी शलभ माथुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी …

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मंगलवार को हाथरस में एक सत्संग में भगदड़ हो गई, जिसमें नारायण साकार विश्व हरि के छह सेवादार गिरफ्तार किए गए हैं। इस घटना में बाबा के सुरक्षाकर्मियों के बीच धक्का-मुक्की हुई थी, जिसके बाद सेवादारों ने मौके से भाग जाने का फैसला किया था। अलीगढ़ आईजी शलभ माथुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी, जहां उन्होंने बताया कि गिरफ्तारी के बाद वे आरोपी प्रकाश मधुकर की तलाश में हैं। सत्संग के माहौल में जब यह घटना हुई, तो सेवादारों ने भागकर अपनी जान बचाने की कोशिश की। इसके बाद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी ने शवों को उठाने की कोशिश की, लेकिन सेवादारों ने इसमें सहायता नहीं की। आईजी माथुर ने यह भी कहा कि गिरफ्तार सेवादारों पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित किया जाएगा, और जल्द ही उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जाएगा।

सत्संग के मुख्य आयोजक पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि घटना के बाद वह बचाव में नहीं आए और इसे बड़े पैमाने पर छिपाने की कोशिश की गई। सीएम ने भी इस सम्बंध में साजिश की आशंका जताई है। आईजी माथुर ने दावा किया कि अगर जरूरत पड़ेगी, तो नारायण साकार या भोले बाबा से पूछताछ की जाएगी। इस घटना से जुड़े एफआईआर में उनका नाम नहीं है, बल्कि आयोजक का नाम है। उन्होंने साफ किया कि उन सेवादारों ने भीड़ को रोकने का प्रयास किया था, लेकिन जब स्थिति बिगड़ी तो वे भीड़ से भाग गए।

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सत्संग के घटना का समय मंगलवार को करीब पौने दो बजे का है। इस समय, जब बाबा का काफिला निकल रहा था, तो सुरक्षाकर्मियों के बीच धक्का-मुक्की हुई, जिसके परिणामस्वरूप भगदड़ हो गई। एसडीएम ने इसकी रिपोर्ट भेजी है और वहां पर मौजूद चश्मदीद भी इस बात की जांच कर रहे हैं।  सत्संग में भगदड़ की घटना के बाद सेवादारों और आयोजकों पर बड़ी लापरवाही का आरोप लगा है। इसके बावजूद, कई लोग इसे एक साजिश का हिस्सा मान रहे हैं, जिसमें सत्संग के व्यवस्थापकों की भूमिका भी उजागर हो रही है।

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