UPA Govt - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Tue, 01 Oct 2024 11:27:51 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg UPA Govt - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 चिराग पासवान का बड़ा बयान, “मैं सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा, पिता की तरह मंत्री पद छोड़ने को तैयार”. https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/big-statement-of-chirag-paswan/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/big-statement-of-chirag-paswan/#respond Tue, 01 Oct 2024 11:27:51 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5185 लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, चिराग पासवान ने एक बार फिर अपने स्पष्ट और सख्त राजनीतिक रुख का प्रदर्शन किया है। चिराग ने सोमवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कहा कि वह अपने पिता, रामविलास पासवान, की तरह सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करेंगे और …

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लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, चिराग पासवान ने एक बार फिर अपने स्पष्ट और सख्त राजनीतिक रुख का प्रदर्शन किया है। चिराग ने सोमवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कहा कि वह अपने पिता, रामविलास पासवान, की तरह सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करेंगे और यदि आवश्यक हुआ, तो मंत्री पद छोड़ने में भी संकोच नहीं करेंगे। इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है, और अटकलों का दौर शुरू हो गया है।

चिराग पासवान ने साफ कहा कि वह अपने पिता के उदाहरण का पालन करते हुए, अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “मेरे पिता ने भी उस समय मंत्री पद छोड़ दिया था, जब वह महसूस करते थे कि दलितों के हितों का उल्लंघन हो रहा है।” उनका इशारा स्पष्ट था कि वह भी उसी तरह का फैसला लेने के लिए तैयार हैं। चिराग ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए सरकार का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे उनके पिता रामविलास पासवान ने यूपीए सरकार में दलितों के मुद्दों पर समझौता नहीं किया था और मंत्री पद से इस्तीफा दिया था।

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हालांकि, चिराग ने यह भी स्पष्ट किया कि वह वर्तमान में एनडीए गठबंधन के साथ बने रहेंगे, क्योंकि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा, “जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं, तब तक हम एनडीए का हिस्सा रहेंगे।” पीएम मोदी की तारीफ करते हुए चिराग ने मौजूदा सरकार को दलितों के प्रति संवेदनशील बताया। उनका कहना था कि मोदी सरकार ने दलितों की समस्याओं और उनकी चिंताओं को प्राथमिकता दी है। चिराग पासवान हाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं और उनकी पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उनके पास पार्टी के 5 सांसदों का समर्थन है, जो उन्हें भाजपा के सहयोगी दल के रूप में मजबूती प्रदान करता है। हालांकि, इस बयान से यह संकेत मिलता है कि चिराग पासवान अपने राजनीतिक भविष्य के लिए स्वतंत्र रूप से सोच रहे हैं और अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।

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पीटीआई के सूत्रों के मुताबिक, चिराग पासवान के इस बयान को उनकी राजनीतिक रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि चिराग भाजपा नेतृत्व को यह संदेश देना चाहते हैं कि वह अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ भाजपा की बढ़ती नजदीकियों से पूरी तरह खुश नहीं हैं। यह भी संभव है कि चिराग अपनी पार्टी को भाजपा की छाया से बाहर निकालकर स्वतंत्र रूप से स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर यूपीएससी की लेटरल एंट्री भर्ती विज्ञापन रद्द, विपक्ष और सहयोगी दलों द्वारा किया गया था विरोध. https://chaupalkhabar.com/2024/08/20/prime-minister-modi-2/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/20/prime-minister-modi-2/#respond Tue, 20 Aug 2024 08:48:18 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4378 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) ने 17 अगस्त 2024 को जारी लेटरल एंट्री भर्ती विज्ञापन को रद्द करने का आदेश दिया है। इस भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और सरकार के सहयोगी दलों ने आवाज उठाई थी। कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री …

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) ने 17 अगस्त 2024 को जारी लेटरल एंट्री भर्ती विज्ञापन को रद्द करने का आदेश दिया है। इस भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और सरकार के सहयोगी दलों ने आवाज उठाई थी। कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के निर्देशानुसार यूपीएससी के प्रमुख प्रीति सुदान को पत्र लिखकर इस विज्ञापन को रद्द करने की मांग की। यूपीएससी ने 17 अगस्त 2024 को 45 पदों के लिए लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। ये पद सचिव और उपसचिव के थे, जो विभिन्न मंत्रालयों में भरे जाने थे। हालांकि, इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण का प्रावधान नहीं था, जिससे विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक समूहों में असंतोष फैल गया।

इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) का रामराज्य का ‘विकृत संस्करण’ संविधान को नष्ट करने की कोशिश कर रहा है और बहुजनों के आरक्षण के अधिकार को छीनना चाहता है। राहुल गांधी ने इसे दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला बताया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर इस मुद्दे को उजागर किया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी यूपीएससी की जगह आरएसएस के माध्यम से लोक सेवकों की भर्ती करने की कोशिश कर रहे हैं, जो संविधान पर सीधा हमला है।

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सरकार के सहयोगी दलों में शामिल केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इस भर्ती प्रक्रिया पर चिंता जताई। चिराग पासवान ने कहा कि किसी भी सरकारी नियुक्ति में आरक्षण की व्यवस्था होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं होने के बावजूद, सरकारी पदों पर आरक्षण लागू नहीं होने की स्थिति चिंताजनक है और वे इस मुद्दे को केंद्र सरकार के सामने उठाएंगे। कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक सेवा में आरक्षण के समर्थक हैं और उनकी सरकार सोशल जस्टिस को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यूपीएससी की अध्यक्ष प्रीति सुदान से अनुरोध किया कि 17 अगस्त को जारी विज्ञापन की समीक्षा की जाए और उसे रद्द कर दिया जाए।

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इस पत्र में जितेंद्र सिंह ने यूपीए सरकार के दौरान लेटरल एंट्री की पहल का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि 2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में पहली बार केंद्र सरकार ने इस पर विचार किया था और 2013 में यूपीए सरकार ने इस प्रकार की नियुक्तियों की संभावना पर चर्चा की थी। साथ ही, उन्होंने यूआईडीएआई और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में नियुक्त सुपर ब्यूरोक्रेसी की भी चर्चा की। लेटरल एंट्री की इस प्रक्रिया के खिलाफ उठे विरोध को देखते हुए, सरकार ने इस भर्ती विज्ञापन को रद्द करने का निर्णय लिया। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि आरक्षण के मुद्दे पर समाज के विभिन्न वर्गों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने अपनी नीति में संशोधन करने का निर्णय लिया है।

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