Upsc - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Thu, 26 Sep 2024 09:27:33 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Upsc - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 दिल्ली हाईकोर्ट से सस्पेंडेड ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर को मिली राहत, गिरफ्तारी 7 दिन के लिए टली. https://chaupalkhabar.com/2024/09/26/delhi-high-court-to-suspey/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/26/delhi-high-court-to-suspey/#respond Thu, 26 Sep 2024 09:27:33 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5111 दिल्ली हाईकोर्ट ने सस्पेंडेड ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को 7 दिनों के लिए टाल दिया है। पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में ओबीसी कोटा का गलत तरीके से फायदा उठाया और अपने बारे में झूठी जानकारी दी थी। इस मामले में …

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दिल्ली हाईकोर्ट ने सस्पेंडेड ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को 7 दिनों के लिए टाल दिया है। पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में ओबीसी कोटा का गलत तरीके से फायदा उठाया और अपने बारे में झूठी जानकारी दी थी। इस मामले में कोर्ट ने फिलहाल 4 अक्टूबर तक पूजा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। पूजा खेडकर की पिछली गिरफ्तारी से मिली राहत अब समाप्त हो गई है, और अब कोर्ट ने उन्हें 7 दिनों की और मोहलत दी है। पूजा ने 15 दिनों का समय मांगा था, लेकिन अदालत ने उन्हें केवल 7 दिनों की ही मोहलत दी है। पूजा खेडकर ने अपने डॉक्यूमेंट्स जमा करने और मामले की तैयारियों के लिए कोर्ट से 15दिनों का समय मांगा था। उनके वकीलों ने कोर्ट में तर्क दिया कि पूजा पर लगे आरोप गंभीर हैं और वह अपने डॉक्यूमेंट्स की पूरी तैयारी के लिए अधिक समय चाहती थीं। हालांकि, कोर्ट ने 15 दिनों की मांग को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया और केवल 7 दिन की ही मोहलत दी है। अब पूजा को इस दौरान अपने दस्तावेज़ों और मामले से जुड़े सभी जरूरी कागज़ात अदालत में जमा करने होंगे।

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पूजा खेडकर 2023 बैच की ट्रेनी आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने साल 2022 में यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा दी थी और 841वीं रैंक हासिल की थी। इसके बाद उन्हें लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, मसूरी में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था। लेकिन उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने आरक्षण का फायदा उठाने के लिए अपने बारे में गलत जानकारी दी थी। पूजा पर यह आरोप है कि उन्होंने ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) कोटे का फायदा उठाने के लिए यूपीएससी को गलत जानकारी दी थी। इसके अलावा, यह भी आरोप लगाया गया कि उन्होंने विकलांग व्यक्तियों के लिए निर्धारित मानदंडों का गलत फायदा उठाया। इन आरोपों के बाद यह भी खुलासा हुआ कि उनके पिता, जो महाराष्ट्र सरकार के पूर्व अधिकारी रह चुके हैं, के पास करीब 40 करोड़ रुपये की संपत्ति है। इस संपत्ति के चलते पूजा गैर-क्रीमी लेयर ओबीसी कोटे के लिए योग्य नहीं थीं।

पूजा के वकीलों ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि पूजा को मीडिया और सार्वजनिक दबाव के चलते मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पूजा कहीं भागी नहीं हैं, बल्कि वे पुणे में ही हैं और सभी कानूनी प्रक्रियाओं में सहयोग कर रही हैं। उनके वकीलों का कहना था कि उन पर लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उन्हें अपनी स्थिति को सही ढंग से पेश करने का समय मिलना चाहिए। इसी के आधार पर उन्होंने कोर्ट से 15 दिनों की मोहलत मांगी थी। हालांकि, कोर्ट ने 15 दिनों का समय देने की बजाय सिर्फ 7 दिन का समय दिया है। कोर्ट ने पूजा को आदेश दिया है कि वह इस दौरान अपने सभी दस्तावेज जमा करें और मामले की सुनवाई की अगली तारीख तक गिरफ्तारी से बची रहेंगी। कोर्ट का यह फैसला इस शर्त पर आधारित है कि पूजा इस दौरान जांच एजेंसियों और अदालत की सभी शर्तों का पालन करेंगी।

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कोर्ट ने पूजा खेडकर को 7 दिनों की राहत दी है, लेकिन इसके बाद उनका अगला कदम काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। इस मामले में उनकी गिरफ्तारी 4 अक्टूबर के बाद संभव है, जब तक कि वे अदालत में अपने पक्ष को और मजबूती से पेश नहीं कर पातीं। पूजा पर लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, यह मामला अभी और लंबा खिंच सकता है। पूजा खेडकर के खिलाफ लगाए गए आरोपों के पीछे कई कानूनी और सामाजिक सवाल उठते हैं। आरक्षण का गलत फायदा उठाने के आरोप, खासकर तब जब वह गैर-क्रीमी लेयर ओबीसी कोटे के लिए योग्य नहीं थीं, एक बड़े विवाद का मुद्दा बन सकता है। इस बीच, कोर्ट के अगले फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, जो पूजा के भविष्य और करियर को निर्धारित करेगा।

 

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प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर यूपीएससी की लेटरल एंट्री भर्ती विज्ञापन रद्द, विपक्ष और सहयोगी दलों द्वारा किया गया था विरोध. https://chaupalkhabar.com/2024/08/20/prime-minister-modi-2/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/20/prime-minister-modi-2/#respond Tue, 20 Aug 2024 08:48:18 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4378 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) ने 17 अगस्त 2024 को जारी लेटरल एंट्री भर्ती विज्ञापन को रद्द करने का आदेश दिया है। इस भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और सरकार के सहयोगी दलों ने आवाज उठाई थी। कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री …

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) ने 17 अगस्त 2024 को जारी लेटरल एंट्री भर्ती विज्ञापन को रद्द करने का आदेश दिया है। इस भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और सरकार के सहयोगी दलों ने आवाज उठाई थी। कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के निर्देशानुसार यूपीएससी के प्रमुख प्रीति सुदान को पत्र लिखकर इस विज्ञापन को रद्द करने की मांग की। यूपीएससी ने 17 अगस्त 2024 को 45 पदों के लिए लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। ये पद सचिव और उपसचिव के थे, जो विभिन्न मंत्रालयों में भरे जाने थे। हालांकि, इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण का प्रावधान नहीं था, जिससे विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक समूहों में असंतोष फैल गया।

इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) का रामराज्य का ‘विकृत संस्करण’ संविधान को नष्ट करने की कोशिश कर रहा है और बहुजनों के आरक्षण के अधिकार को छीनना चाहता है। राहुल गांधी ने इसे दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला बताया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर इस मुद्दे को उजागर किया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी यूपीएससी की जगह आरएसएस के माध्यम से लोक सेवकों की भर्ती करने की कोशिश कर रहे हैं, जो संविधान पर सीधा हमला है।

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सरकार के सहयोगी दलों में शामिल केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इस भर्ती प्रक्रिया पर चिंता जताई। चिराग पासवान ने कहा कि किसी भी सरकारी नियुक्ति में आरक्षण की व्यवस्था होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं होने के बावजूद, सरकारी पदों पर आरक्षण लागू नहीं होने की स्थिति चिंताजनक है और वे इस मुद्दे को केंद्र सरकार के सामने उठाएंगे। कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक सेवा में आरक्षण के समर्थक हैं और उनकी सरकार सोशल जस्टिस को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यूपीएससी की अध्यक्ष प्रीति सुदान से अनुरोध किया कि 17 अगस्त को जारी विज्ञापन की समीक्षा की जाए और उसे रद्द कर दिया जाए।

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इस पत्र में जितेंद्र सिंह ने यूपीए सरकार के दौरान लेटरल एंट्री की पहल का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि 2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में पहली बार केंद्र सरकार ने इस पर विचार किया था और 2013 में यूपीए सरकार ने इस प्रकार की नियुक्तियों की संभावना पर चर्चा की थी। साथ ही, उन्होंने यूआईडीएआई और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में नियुक्त सुपर ब्यूरोक्रेसी की भी चर्चा की। लेटरल एंट्री की इस प्रक्रिया के खिलाफ उठे विरोध को देखते हुए, सरकार ने इस भर्ती विज्ञापन को रद्द करने का निर्णय लिया। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि आरक्षण के मुद्दे पर समाज के विभिन्न वर्गों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने अपनी नीति में संशोधन करने का निर्णय लिया है।

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लेटरल एंट्री पर विपक्ष का हमला, दलित, ओबीसी और एसटी आरक्षण के खिलाफ साजिश का आरोप. https://chaupalkhabar.com/2024/08/19/lateral-entry-at-cons/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/19/lateral-entry-at-cons/#respond Mon, 19 Aug 2024 09:06:52 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4366 हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों जैसे महत्वपूर्ण पदों पर ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 विशेषज्ञों की नियुक्ति की योजना बनाई गई है। इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार के इस कदम को …

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हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों जैसे महत्वपूर्ण पदों पर ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 विशेषज्ञों की नियुक्ति की योजना बनाई गई है। इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार के इस कदम को सीधे तौर पर ओबीसी, एससी और एसटी आरक्षण के खिलाफ बताया है। राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर लिखा, “लेटरल एंट्री दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है। भाजपा का यह कदम संविधान को कमजोर करने और बहुजन समाज से आरक्षण छीनने की कोशिश है।” इससे पहले, राहुल गांधी ने इसी मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की जगह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के माध्यम से लोकसेवकों की भर्ती कर रहे हैं, जिससे संविधान पर हमला हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती करके एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है।

राहुल गांधी ने कहा, “मैंने हमेशा यह बात कही है कि देश के शीर्ष पदों पर वंचित वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं है। इसे सुधारने के बजाय, सरकार लेटरल एंट्री के माध्यम से उन्हें और अधिक दूर कर रही है। यह न केवल UPSC की तैयारी कर रहे प्रतिभाशाली युवाओं के अधिकारों पर हमला है, बल्कि सामाजिक न्याय की परिकल्पना पर भी चोट है।” कांग्रेस नेता के इस बयान पर विपक्ष के अन्य प्रमुख नेताओं ने भी प्रतिक्रिया दी है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने भी सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा कि इन पदों को निचले स्तर के कर्मचारियों को पदोन्नति देकर भरा जाना चाहिए। मायावती ने कहा कि एससी, एसटी और पिछड़ा वर्ग के लिए कोटा व्यवस्था लागू करके इन पदों पर भर्ती होनी चाहिए। अगर केंद्र सरकार ऐसा नहीं करती है, तो यह संविधान का उल्लंघन होगा।

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समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह अपनी विचारधारा के लोगों को यूपीएससी के उच्च पदों पर बैठाने का षडयंत्र कर रही है। अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा की यह साजिश पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) से उसका आरक्षण और अधिकार छीनने की है।

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अखिलेश यादव ने युवाओं और अधिकारियों से अपील की है कि अगर सरकार अपने फैसले को नहीं बदलती है, तो वे इस मुद्दे पर सपा द्वारा दो अक्टूबर से शुरू किए जाने वाले आंदोलन में शामिल होकर विरोध करें। लेटरल एंट्री के मुद्दे पर विपक्ष की कड़ी प्रतिक्रियाओं ने इसे एक गंभीर राजनीतिक विवाद बना दिया है। सरकार के इस कदम के खिलाफ आवाजें और तेज हो रही हैं, और आगामी समय में यह मामला और गर्मा सकता है।

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दिल्ली हाईकोर्ट से पूजा खेडकर को मिली राहत, बर्खास्त ट्रेनी IAS पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर 21अगस्त तक लगायी गयी रोक. https://chaupalkhabar.com/2024/08/12/relief-from-delhi-high-court/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/12/relief-from-delhi-high-court/#respond Mon, 12 Aug 2024 07:38:50 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4265 बर्खास्त ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिली है, जो कि ओबीसी और दिव्यांगता कोटा का गलत तरीके से लाभ उठाने के आरोप में घिरी हुई थीं। हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वे 21 अगस्त तक पूजा को गिरफ्तार न करें। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने …

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बर्खास्त ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिली है, जो कि ओबीसी और दिव्यांगता कोटा का गलत तरीके से लाभ उठाने के आरोप में घिरी हुई थीं। हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वे 21 अगस्त तक पूजा को गिरफ्तार न करें। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने पूजा की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था, जिससे उन्हें गिरफ्तारी का डर सताने लगा था। पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा-2022 के लिए अपने आवेदन में गलत जानकारी प्रस्तुत की थी, ताकि आरक्षण का लाभ उठाया जा सके। इस मामले में UPSC ने 31 जुलाई को उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी और भविष्य में उन्हें आयोग की परीक्षाओं में शामिल होने पर रोक भी लगा दी। यह निर्णय UPSC द्वारा पूजा के आवेदन की गहन जांच के बाद लिया गया, जिसमें उन्होंने पाया कि पूजा ने गलत ढंग से आरक्षण का लाभ उठाने का प्रयास किया था।

एक अगस्त को ट्रायल कोर्ट ने पूजा की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि उन पर लगे आरोप गंभीर हैं और उनकी गहन जांच की आवश्यकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस साजिश में और कौन-कौन लोग शामिल हो सकते हैं, इसकी जांच के लिए आरोपितों से हिरासत में पूछताछ आवश्यक है। ट्रायल कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को इस मामले की निष्पक्ष जांच करने का निर्देश भी दिया था। पूजा खेडकर ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में कहा था कि उन्हें गिरफ्तारी का डर है और उन्हें सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने इस याचिका को ठुकराते हुए कहा था कि यह मामला गंभीर है और इस मामले की तह तक जाने के लिए आरोपित से पूछताछ करना जरूरी है।

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दिल्ली हाई कोर्ट में पूजा की ओर से यह तर्क दिया गया कि उन्हें इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है और उन्हें अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए। कोर्ट ने इस पर विचार करते हुए फिलहाल पूजा को गिरफ्तारी से राहत दी है।

दिल्ली हाई कोर्ट में पूजा की ओर से यह तर्क दिया गया कि उन्हें इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है और उन्हें अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए। कोर्ट ने इस पर विचार करते हुए फिलहाल पूजा को गिरफ्तारी से राहत दी है और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वे 21 अगस्त तक उन्हें गिरफ्तार न करें। यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें एक पूर्व आईएएस प्रशिक्षु के खिलाफ आरक्षण का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया है। यह मामला सामाजिक और कानूनी दृष्टिकोण से भी चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि इसमें आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दे का गलत इस्तेमाल किया गया है। दिल्ली पुलिस अब इस मामले की आगे की जांच कर रही है और यह देखना होगा कि मामले की जांच में क्या निष्कर्ष सामने आते हैं।

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पूजा खेडकर के खिलाफ लगे आरोपों और उन्हें मिली राहत से यह मामला और भी जटिल हो गया है। जहां एक तरफ हाई कोर्ट ने उन्हें अस्थायी राहत दी है, वहीं दूसरी तरफ इस मामले की निष्पक्ष और गहन जांच की आवश्यकता बनी हुई है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आगे की कानूनी प्रक्रिया में क्या मोड़ आते हैं और न्यायालय का अंतिम निर्णय क्या होता है।

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पूजा खेडकर का करियर: ठसक, जुगाड़ और जुर्म के जाल में उलझ कर ख़त्म! https://chaupalkhabar.com/2024/08/02/career-of-pooja-khedkar/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/02/career-of-pooja-khedkar/#respond Fri, 02 Aug 2024 08:58:56 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4155 महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर का मामला उस समय सुर्खियों में आया जब उन्होंने अपनी निजी ऑडी कार पर लाल बत्ती लगाने की ख्वाहिश जाहिर की और पुणे के एडिशनल कलेक्टर सुहास दिवासे के चैंबर पर कब्जा करने की कोशिश की। इस विवाद के चलते दिवासे ने पूजा की शिकायत की, जिसके …

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महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर का मामला उस समय सुर्खियों में आया जब उन्होंने अपनी निजी ऑडी कार पर लाल बत्ती लगाने की ख्वाहिश जाहिर की और पुणे के एडिशनल कलेक्टर सुहास दिवासे के चैंबर पर कब्जा करने की कोशिश की। इस विवाद के चलते दिवासे ने पूजा की शिकायत की, जिसके बाद उनका ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया। लेकिन कहानी यहीं समाप्त नहीं हुई, बल्कि इसके बाद जो हुआ उसने पूजा के करियर को पूरी तरह से समाप्त कर दिया। पूजा खेडकर, जिन्होंने यूपीएससी की प्रतिष्ठित IAS परीक्षा में 841वीं रैंक हासिल की थी, असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में ट्रेनिंग के बाद ज्वॉइन करने वाली थीं। लेकिन उनकी ठसक और जुगाड़ ने उनके करियर पर ग्रहण लगा दिया। मामले की जांच के दौरान पूजा के झूठ और फर्जीवाड़े की परतें खुलती चली गईं। पूजा ने ओबीसी कोटे में जगह पाने के लिए फर्जी ओबीसी सर्टिफिकेट जमा किया था, जबकि वे क्रीमी लेयर ओबीसी में आती हैं।

इतना ही नहीं, पूजा ने दिव्यांगता का भी फर्जी सर्टिफिकेट यूपीएससी में जमा कराया था। उन्होंने दावा किया था कि उन्हें मानसिक समस्याएं हैं, नजरें कमजोर हैं, और बाएं घुटने में लोकोमोटर दिव्यांगता है। इन दावों की पुष्टि के लिए जब यूपीएससी ने एम्स में उनकी जांच कराने का निर्णय लिया, तो पूजा छह बार अप्वॉइंटमेंट लेने के बावजूद हर बार जांच से बचती रहीं। अंततः, जब जांच हुई तो उनके सारे दावे फर्जी साबित हुए। पूजा ने सिर्फ फर्जी सर्टिफिकेट ही नहीं बल्कि अपनी उम्र और पहचान को भी बार-बार बदलने का प्रयास किया। 2020 में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) को दिए आवेदन में उन्होंने अपनी उम्र 30 साल बताई थी, जबकि 2023 में यही उम्र 31 साल बताई। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने माता-पिता का नाम बदलकर तय अटेम्प्ट से ज्यादा बार परीक्षा दी। ओबीसी उम्मीदवारों के लिए निर्धारित 9 अटेम्प्ट की सीमा को भी उन्होंने पार कर लिया।

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यूपीएससी ने पूजा के मामले की गंभीरता को देखते हुए पिछले 15 सालों के रिकॉर्ड की समीक्षा की। इस जांच के दौरान पता चला कि पूजा का मामला अकेला ऐसा था जिसमें यह तय नहीं हो सका कि उन्होंने कितनी बार यूपीएससी का एग्जाम दिया। हर बार पूजा ने न केवल अपना बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था। पूजा खेडकर के इन कारनामों के चलते यूपीएससी ने उनकी अस्थाई उम्मीदवारी रद्द कर दी, जिससे उनका आईएएस बनने का सपना अधूरा रह गया। उनके इस मामले ने यूपीएससी की स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) को और मजबूत करने की दिशा में भी कदम उठाने को मजबूर कर दिया।

पूजा ने हर तरफ से घिरने के बाद अदालत में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की, लेकिन पटियाला हाउस कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। पूजा ने अपने बचाव में कहा था कि उन्होंने कोई धांधली या धोखाधड़ी नहीं की, बल्कि जो भी दस्तावेज उनके पास थे, वे सही थे। लेकिन उनके फर्जीवाड़े की सच्चाई ने उन्हें न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य में भी किसी तरह की सरकारी सेवा से वंचित कर दिया।

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दिल्ली कोचिंग सेंटर हादसा: तीन यूपीएससी अभ्यर्थियों की मौत के बाद दृष्टि आईएएस प्रमुख विकास दिव्यकीर्ति ने माफी मांगते हुए सरकारी नीतियों में सुधार की वकालत की… https://chaupalkhabar.com/2024/08/01/delhi-coaching-centre-accident-2/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/01/delhi-coaching-centre-accident-2/#respond Thu, 01 Aug 2024 13:42:20 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4139 दिल्ली के राऊ आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से तीन यूपीएससी अभ्यर्थियों की मौत के बाद, प्रसिद्ध शिक्षक और दृष्टि आईएएस के प्रमुख, विकास दिव्यकीर्ति ने मंगलवार को अपनी प्रतिक्रिया में देरी के लिए माफी मांगी। दिव्यकीर्ति का बयान सोमवार रात को उनके घर के बाहर एकत्र हुए यूपीएससी एस्पिरेंट्स द्वारा की …

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दिल्ली के राऊ आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से तीन यूपीएससी अभ्यर्थियों की मौत के बाद, प्रसिद्ध शिक्षक और दृष्टि आईएएस के प्रमुख, विकास दिव्यकीर्ति ने मंगलवार को अपनी प्रतिक्रिया में देरी के लिए माफी मांगी। दिव्यकीर्ति का बयान सोमवार रात को उनके घर के बाहर एकत्र हुए यूपीएससी एस्पिरेंट्स द्वारा की गई प्रतिक्रिया की मांग के बाद आया। अपनी माफी में, दिव्यकीर्ति ने कहा, “हम अधूरी जानकारी के आधार पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते थे। देरी के लिए हम माफी चाहते हैं।” दिव्यकीर्ति ने इस दुर्घटना को लेकर छात्रों के गुस्से को जायज बताया और कहा कि इसे सरकारी नीति दिशानिर्देशों की वकालत करने की दिशा में निर्देशित करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि उनका संस्थान सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है ताकि इस प्रकार की दुर्घटनाओं को रोका जा सके।

दिव्यकीर्ति ने सरकार को सुझाव दिया कि दिल्ली में कोचिंग संस्थानों के लिए विशिष्ट क्षेत्रों का चयन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर सरकार खुद म्यूजियम, लाइब्रेरी और हॉल तैयार करेगी, तो उनके रखरखाव या सुरक्षा प्रावधानों के साथ कोई समस्या नहीं होगी।” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि उनके संस्थान छात्रों की सुरक्षा के प्रति अधिक सतर्क रहेंगे। इस घटना के बाद दिल्ली के ओल्ड राजिंदर नगर और मुखर्जी नगर में छात्रों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। सैकड़ों सिविल सेवा अभ्यर्थी सड़कों पर उतर आए और अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने एमसीडी कमिश्नर को धरना स्थल पर बुलाने की मांग की और मृतकों के परिवारों के लिए एक करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की।

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इस बीच, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने पिछले कुछ दिनों में कई कोचिंग संस्थानों के खिलाफ व्यापक कार्रवाई की। एमसीडी ने उन संस्थानों के बेसमेंट को सील कर दिया, जिनमें सुरक्षा मानकों का उल्लंघन पाया गया। दृष्टि आईएएस भी उन संस्थानों में शामिल था, जिनके खिलाफ एमसीडी ने कार्रवाई की। दिव्यकीर्ति ने एएनआई से बातचीत में दावा किया कि उन्हें “बलि का बकरा” बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, “मुझे निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि हर कोई बलि का बकरा चाहता है। इससे प्रशासन के लिए चीज़ें आसान हो जाती हैं। वे सोचते हैं कि एक व्यक्ति को दोषी ठहराकर वे सुरक्षित हैं, और समाज भी मान लेता है कि उन्होंने आरोपी को पकड़ लिया है।”

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दिव्यकीर्ति ने यह भी कहा कि छात्रों के गुस्से की वजह यह है कि वे भावनात्मक उथल-पुथल से गुज़र रहे हैं और वह उनके साथ क्यों नहीं खड़े हुए। उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी दिल्ली के एलजी के साथ बैठक हुई थी, जिसमें छात्रों के साथ-साथ कई संस्थानों के मालिक भी शामिल थे। दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने सोमवार को मृतक अभ्यर्थियों के परिवारों के लिए 10-10 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की थी। वहीं, प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों ने एमसीडी से अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

 

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दिल्ली हाई कोर्ट की MCD पर कड़ी फटकार: Rau IAS कोचिंग सेंटर हादसे में अधिकारियों की जवाबदेही पर उठाए सवाल https://chaupalkhabar.com/2024/07/31/delhi-coaching-accident-hike/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/31/delhi-coaching-accident-hike/#respond Wed, 31 Jul 2024 11:53:16 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4126   दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में ओल्ड राजेंद्र नगर के Rau IAS कोचिंग सेंटर में हुए हादसे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इस हादसे में तीन छात्रों की जान चली गई थी। कोर्ट ने इस घटना को लेकर दिल्ली नगर निगम (MCD) और अन्य संबंधित अधिकारियों की कड़ी आलोचना की है। कोर्ट की …

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दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में ओल्ड राजेंद्र नगर के Rau IAS कोचिंग सेंटर में हुए हादसे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इस हादसे में तीन छात्रों की जान चली गई थी। कोर्ट ने इस घटना को लेकर दिल्ली नगर निगम (MCD) और अन्य संबंधित अधिकारियों की कड़ी आलोचना की है।

कोर्ट की मुख्य चिंताएं और सवाल:

1. MCD अधिकारियों की जवाबदेही: अदालत ने सीधे-सीधे पूछा कि क्या इस हादसे के बाद किसी MCD अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है? कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि हादसे के बाद किसी राहगीर को तो गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन MCD के किसी अधिकारी के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई है? कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि क्या इस मामले में MCD अधिकारियों की जांच की गई है?

2. अनधिकृत निर्माण: हाई कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि अनधिकृत निर्माण और जल निकासी की समस्याएं पुलिस और अन्य संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकतीं। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में अनधिकृत निर्माण को कैसे अनुमति दी जाती है, जबकि यह एक सामान्य समझ की बात है कि ऐसे निर्माण अव्यवस्थित जल निकासी की समस्या को बढ़ाते हैं।

3. जल निकासी और अतिक्रमण: कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ओल्ड राजेंद्र नगर में जल निकासी की व्यवस्था सही नहीं है। अदालत ने पूछा कि क्षेत्र में इतना पानी जमा कैसे हुआ और क्या MCD अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं थी? इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने क्यों नालियों को ढकने वाले ढक्कन नहीं हटाए? अदालत ने कहा कि अगर यह समस्या MCD के वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में थी, तो उन्होंने इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया?

4. कार्रवाई की कमी: हाई कोर्ट ने कहा कि अब तक हमने MCD में किसी अधिकारी को अपनी नौकरी से हाथ धोते हुए नहीं देखा है। इमारतों के ध्वस्त होने की घटनाओं के बावजूद MCD के किसी वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि MCD ने अपने सबसे जूनियर अधिकारी को निलंबित किया है, लेकिन उस वरिष्ठ अधिकारी का क्या हुआ जिसने पर्यवेक्षण का काम नहीं किया?

5. फ्रीबी कल्चर: कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि MCD के वरिष्ठ अधिकारी अपने वातानुकूलित कार्यालयों से बाहर नहीं निकलते हैं। अदालत ने कहा कि दिल्ली में 3.3 करोड़ लोगों की आबादी है, जबकि इसकी योजना केवल 6-7 लाख लोगों के लिए बनाई गई थी। इस तरह की बड़ी आबादी को बिना इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड किए कैसे समायोजित किया जा सकता है?

6. समाधान के सुझाव: अदालत ने कहा कि अगर MCD अधिकारियों को आज नालियों की योजना बनाने के लिए कहा जाए, तो वे ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि उन्हें यह भी नहीं पता कि नालियां कहां हैं। अदालत ने कहा कि दिल्ली एक त्रासदी घटित होने का इंतजार कर रही है, क्योंकि नालियों के लिए कोई मास्टरप्लान नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर जांच अधिकारी इस मामले की सही तरीके से जांच नहीं कर सकते, तो इसे किसी केंद्रीय एजेंसी को सौंप दिया जाएगा।

7. आगे की कार्रवाई: कोर्ट ने आदेश दिया है कि ओल्ड राजेंद्र नगर के सभी नालों को तुरंत साफ किया जाए और इलाके के सभी अतिक्रमणों को दो दिनों के भीतर हटाया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को मैदान पर जाना चाहिए और स्थिति की व्यक्तिगत रूप से जांच करनी चाहिए।

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दिल्ली हाई कोर्ट का यह सख्त रुख MCD और अन्य संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है। अदालत की ये टिप्पणियाँ इस ओर इशारा करती हैं कि अगर समय रहते उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो दिल्ली में भविष्य में और भी गंभीर हादसे हो सकते हैं।

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दिल्ली के कोचिंग हब में जलभराव से तीन छात्रों की मौत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल, कुप्रबंधन पर उठे सवाल https://chaupalkhabar.com/2024/07/30/delhi-coaching-hub-in-water/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/30/delhi-coaching-hub-in-water/#respond Tue, 30 Jul 2024 06:30:57 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4103 बीते शनिवार को ओल्ड राजेंद्र नगर में स्थित Rau’s IAS स्टडी सर्किल इंस्टीट्यूट के बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्रों की मौत हो गई थी। इन छात्रों की पहचान उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव, तेलंगाना की तान्या सोनी और केरल के नेविन डाल्विन के रूप में की गई थी। इस घटना के बाद दिल्ली …

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बीते शनिवार को ओल्ड राजेंद्र नगर में स्थित Rau’s IAS स्टडी सर्किल इंस्टीट्यूट के बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्रों की मौत हो गई थी। इन छात्रों की पहचान उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव, तेलंगाना की तान्या सोनी और केरल के नेविन डाल्विन के रूप में की गई थी। इस घटना के बाद दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर और मुखर्जी नगर के इलाकों में छात्रों के जीवन और कुप्रबंधन को लेकर एक बड़ा मुद्दा सामने आया है। इस दुखद घटना के बाद यूपीएससी के एक छात्र अविनाश दुबे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में जल्द से जल्द हस्तक्षेप करने की मांग की है। दुबे ने पत्र में लिखा है कि ओल्ड राजेंद्र नगर और मुखर्जी नगर जैसे इलाकों में कुप्रबंधन की वजह से छात्र कीड़े-मकोड़ों की तरह जीने को मजबूर हैं। दुबे का कहना है कि छात्रों को नरकीय जीवन जीना पड़ रहा है और ऐसे हालात में स्वस्थ जीवन और पढ़ाई करना मुश्किल हो गया है।

दुबे ने अदालत से अनुरोध किया है कि तीन छात्रों की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और छात्रों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जाए। इसके साथ ही, उन्होंने अदालत से आग्रह किया है कि ओल्ड राजेंद्र नगर और मुखर्जी नगर जैसे इलाकों में जलभराव की समस्या का स्थायी समाधान खोजने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए जाएं। दुबे ने यह भी बताया कि इन इलाकों में नालियों के जाम होने के कारण बारिश का पानी घरों और कोचिंग सेंटरों के भीतर पहुंच जाता है। छात्रों को घुटने तक के पानी में चलने पर मजबूर होना पड़ता है। दिल्ली सरकार और एमसीडी पर आरोप लगाते हुए दुबे ने कहा कि वे छात्रों को कीड़े-मकोड़ों की तरह जीने के लिए मजबूर कर रहे हैं।

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शनिवार को हुई इस घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें छात्र खुद को बचाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। एक वीडियो में भारी बारिश के कारण कोचिंग सेंटर का मेन एंट्री गेट गिरता हुआ दिख रहा है, जिससे बेसमेंट में पानी भर गया। शुरुआती जांच में सामने आया है कि भारी बारिश और ड्रेनेज सिस्टम की कमी के कारण पानी कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में भर गया था। इस घटना ने एक बार फिर से दिल्ली के कोचिंग हब में बुनियादी सुविधाओं की कमी और कुप्रबंधन को उजागर किया है। छात्रों ने एंट्री-एग्जिट के बायोमेट्रिक सिस्टम के खराब होने की बात भी कही है, जिससे वे बेसमेंट में फंस गए थे। छात्रों की सुरक्षा और सुविधा के प्रति प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठते रहेंगे।

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UPSC दिव्यांग कोटा विवाद: पूजा खेडकर की पोस्ट से सोशल मीडिया पर मचा हंगामा….. https://chaupalkhabar.com/2024/07/22/upsc-disabled-quota-controversy-worship/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/22/upsc-disabled-quota-controversy-worship/#respond Mon, 22 Jul 2024 11:48:28 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4002 हाल ही में UPSC के दिव्यांग कोटा विवाद में सीनियर IAS अधिकारी पूजा खेडकर की पोस्ट ने सोशल मीडिया पर एक बड़ा बवाल खड़ा कर दिया है। यह विवाद UPSC परीक्षाओं में दिव्यांग कोटे के तहत मिलने वाले आरक्षण के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें कई मुद्दे और सवाल खड़े हो गए हैं। पूजा खेडकर, जो …

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हाल ही में UPSC के दिव्यांग कोटा विवाद में सीनियर IAS अधिकारी पूजा खेडकर की पोस्ट ने सोशल मीडिया पर एक बड़ा बवाल खड़ा कर दिया है। यह विवाद UPSC परीक्षाओं में दिव्यांग कोटे के तहत मिलने वाले आरक्षण के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें कई मुद्दे और सवाल खड़े हो गए हैं। पूजा खेडकर, जो खुद एक वरिष्ठ IAS अधिकारी हैं, ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में UPSC द्वारा दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए निर्धारित किए गए आरक्षण पर सवाल उठाए। उन्होंने इस प्रणाली को अनुचित बताया और दावा किया कि इस कोटे का दुरुपयोग हो रहा है। उनकी पोस्ट ने तुरंत ही सोशल मीडिया पर बवाल मचा दिया, और विभिन्न लोगों ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रियाएँ देना शुरू कर दीं।

UPSC के दिव्यांग कोटा के तहत कुछ प्रतिशत सीटें दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होती हैं। यह आरक्षण दिव्यांग उम्मीदवारों को उनके शारीरिक चुनौतियों के बावजूद एक समान अवसर देने के उद्देश्य से है। पूजा खेडकर का आरोप है कि कुछ लोग इस कोटे का अनुचित लाभ उठा रहे हैं और जो वास्तव में इस आरक्षण के हकदार नहीं हैं, वे इसका फायदा उठा रहे हैं। पूजा खेडकर की पोस्ट के बाद, सोशल मीडिया पर विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने उनकी बातों का समर्थन किया और कहा कि दिव्यांग कोटे का दुरुपयोग हो रहा है। वहीं, कई लोगों ने उनकी आलोचना भी की और कहा कि यह बयान दिव्यांग समुदाय के खिलाफ है और उनकी उपलब्धियों को कम करके आंकने का प्रयास है।

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एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने लिखा, “पूजा खेडकर की पोस्ट ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि हम दिव्यांग समुदाय की कठिनाइयों को समझें और उन्हें उचित सम्मान दें।” वहीं, एक अन्य उपयोगकर्ता ने लिखा, “यह बयान दिव्यांग उम्मीदवारों के संघर्ष और मेहनत को अनदेखा करता है। हमें उनके लिए और भी अधिक समर्थन की जरूरत है, न कि उनकी क्षमताओं पर सवाल उठाने की।

इस विवाद के बाद, सरकारी अधिकारियों और विभिन्न संगठनों ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रियाएँ दीं। केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने कहा कि वे इस मामले की जांच करेंगे और यदि आवश्यक हुआ तो उचित कदम उठाएंगे। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “हमारा उद्देश्य सभी उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान करना है और यदि कोई प्रणाली में खामी है तो हम उसे सुधारने के लिए तैयार हैं।” UPSC दिव्यांग कोटा विवाद ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे को प्रकाश में लाया है। यह आवश्यक है कि इस मुद्दे पर संवेदनशीलता और समझ के साथ विचार किया जाए। दिव्यांग उम्मीदवारों को समान अवसर देना महत्वपूर्ण है, और यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि इस प्रणाली का दुरुपयोग न हो। पूजा खेडकर की पोस्ट ने इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाई है, लेकिन इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी समुदाय के अधिकारों और सम्मान को ठेस न पहुंचे।

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“यूपीएससी अध्यक्ष मनोज सोनी ने दिया इस्तीफा, कहा निजी कारणों से छोड़ रहे है पद। https://chaupalkhabar.com/2024/07/20/upsc-chairman-manoj-so/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/20/upsc-chairman-manoj-so/#respond Sat, 20 Jul 2024 06:04:52 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3958 यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) के अध्यक्ष मनोज सोनी ने निजी कारणों के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मनोज सोनी, जो एक प्रख्यात शिक्षाविद् हैं, ने 28 जून 2017 को यूपीएससी आयोग के सदस्य के रूप में पदभार संभाला था। उन्होंने 16 मई 2023 को यूपीएससी अध्यक्ष के रूप में शपथ ली …

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यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) के अध्यक्ष मनोज सोनी ने निजी कारणों के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मनोज सोनी, जो एक प्रख्यात शिक्षाविद् हैं, ने 28 जून 2017 को यूपीएससी आयोग के सदस्य के रूप में पदभार संभाला था। उन्होंने 16 मई 2023 को यूपीएससी अध्यक्ष के रूप में शपथ ली थी और उनका कार्यकाल 15 मई 2029 को समाप्त होना था। हाल ही में पूजा खेडकर मामले की चर्चा हो रही है, लेकिन मनोज सोनी ने स्पष्ट किया है कि उनका इस्तीफा परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के मामले से संबंधित किसी भी विवाद या आरोप से जुड़ा नहीं है। सूत्रों के अनुसार, मनोज सोनी ने काफी समय पहले ही व्यक्तिगत कारणों से अपना इस्तीफा दे दिया था, जो अब तक स्वीकार नहीं हुआ था।

यूपीएससी अध्यक्ष बनने से पहले, मनोज सोनी डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ओपन यूनिवर्सिटी (बीएओयू), गुजरात के कुलपति के रूप में दो कार्यकाल (1 अगस्त 2009 से 31 जुलाई 2015) तक पदभार संभाल चुके हैं। इसके पहले वे अप्रैल 2005 से अप्रैल 2008 तक बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय (MSU) के कुलपति के रूप में कार्यरत थे। उस समय में वे वीसी बनने वाले सबसे कम उम्र के कुलपति बने थे।

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यूपीएससी का नेतृत्व अध्यक्ष द्वारा किया जाता है, और इस पूरी टीम में अधिकतम दस सदस्य हो सकते हैं। वर्तमान समय में यूपीएससी में सात सदस्य हैं, जो इसकी स्वीकृत संख्या से तीन कम हैं। अध्यक्ष के नेतृत्व में आयोग विभिन्न परीक्षाओं का संचालन करता है और चयन प्रक्रिया की निगरानी करता है। यूपीएससी के अध्यक्ष मनोज सोनी के इस्तीफे से आयोग को एक नया नेतृत्व मिलना अनिवार्य होगा। ऐसे समय में जब आयोग महत्वपूर्ण निर्णय और सुधारों के दौर से गुजर रहा है, एक नए अध्यक्ष का चयन महत्वपूर्ण है। वर्तमान सदस्यों के साथ मिलकर नए अध्यक्ष को यूपीएससी की प्रगति और सुधार की दिशा में काम करना होगा।

मनोज सोनी का शैक्षिक क्षेत्र में व्यापक अनुभव रहा है और उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं। उनकी विशेषज्ञता और अनुभव ने यूपीएससी को नई दिशा देने में मदद की है। उनका इस्तीफा आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है, लेकिन उनके द्वारा स्थापित किए गए मानक और प्रक्रियाएं आयोग को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होंगी।

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