US - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Thu, 28 Mar 2024 07:33:14 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg US - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मनी की टिप्पणी बाद मोदी सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया. https://chaupalkhabar.com/2024/03/28/on-arrest-of-kejriwal/ https://chaupalkhabar.com/2024/03/28/on-arrest-of-kejriwal/#respond Thu, 28 Mar 2024 07:33:14 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2730 अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मन विदेश मंत्रालय की तरफ  से की गई टिप्पणी को लेकर भारत ने जर्मन विदेश मंत्रालय की कड़ी निंदा की और टिप्पणी पर भारत ने कड़ा एतराज जताया।  जिसके बाद भारत द्वारा कहा गया की  हम  ऐसी टिप्पणियों की कड़ी निंदा करते है क्योकि यह  हमारी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप …

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अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मन विदेश मंत्रालय की तरफ  से की गई टिप्पणी को लेकर भारत ने जर्मन विदेश मंत्रालय की कड़ी निंदा की और टिप्पणी पर भारत ने कड़ा एतराज जताया।  जिसके बाद भारत द्वारा कहा गया की  हम  ऐसी टिप्पणियों की कड़ी निंदा करते है क्योकि यह  हमारी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने के रूप में दिखाती है जिसके बाद जर्मनी ने अपने बयान से यू-टर्न ले लिया है

भारत और जर्मनी के बीच हाल ही में हुई घटनाओं ने दुनिया की ध्यान में आने वाले दो बड़े लोकतंत्रों के बीच उत्तेजना और विवाद का माहौल पैदा किया है। अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के मुख्यमंत्री, की गिरफ्तारी पर जर्मन विदेश मंत्रालय की टिप्पणी ने भारत सरकार को आपत्ति जताने पर मजबूर किया।भारत ने कहा कि ऐसी  टिप्पणिया हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करती हैं।

जर्मन विदेश मंत्रालय की ओर से दी गई पहली टिप्पणी के बाद, भारत ने जर्मन दूतावास के उप प्रमुख को तलब किया। इसके परिणामस्वरूप, जर्मनी ने अपने बयान से यू-टर्न ले लिया।जर्मन विदेश मंत्रालय ने भारत के विवादित मुद्दों में टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत एक लोकतंत्र है और उन्हें उम्मीद है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी में भी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखा जाएगा। इस विवाद के बाद, भारतीय विदेश मंत्रालय ने जर्मन दूतावास के उप प्रमुख को तलब किया और कड़ी आपत्ति जताई।

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जर्मनी विदेश मंत्रालय ने भारत के संविधान की महत्वपूर्णता को मानते हुए कहा कि भारत एक जीवंत और मजबूत लोकतंत्र है। इसके बावजूद, जर्मन विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों के बीच हुई गोपनीय बातचीत पर किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार किया।इस परिस्थिति में, दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता है। भारत और जर्मनी दोनों लोकतंत्रिक मूल्यों को साझा करते हैं और संविधानिक मानवाधिकारों का सम्मान करते हैं।

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दोनों देशों को एक दूसरे के साथ सहयोग करके विश्व की लोकतंत्रिक मूल्यों को मजबूत करने का संकल्प लेना चाहिए।भारत के तरफ से, जर्मन विदेश मंत्रालय के बयान के साथ उनकी आपत्ति और उनके संविधान के प्रति समर्थन का व्यापक समर्थन किया जाता है। भारत और जर्मनी दोनों देशों के बीच विवादों को समाधान करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें आपसी बातचीत के माध्यम से हल करने का प्रयास किया जाए।अंत में, भारत और जर्मनी के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए, दोनों देशों को आपसी समझदारी, सहयोग, और समर्थन की आवश्यकता है। इसके लिए, दोनों देशों के बीच गहरी बातचीत और समझौते के माध्यम से आगे बढ़ा जाना चाहिए।

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दक्षिण कोरिया-मलेशिया के तट पर रूसी तेल के टैंकरों का लगा अंबार, भारतीय तटों पर नहीं पहुंच पा रहे हैं टैंकर….. https://chaupalkhabar.com/2024/02/22/%e0%a4%a6%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%bf%e0%a4%a3-%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a4%b2%e0%a5%87%e0%a4%b6%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87/ https://chaupalkhabar.com/2024/02/22/%e0%a4%a6%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%bf%e0%a4%a3-%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a4%b2%e0%a5%87%e0%a4%b6%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87/#respond Thu, 22 Feb 2024 08:20:02 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2359 यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद, रूस भारत का प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता देश बन गया है। लेकिन हाल के दिनों में भारत को रूसी तेल की डिलीवरी में कई दिक्कतें आ रही हैं। इन दिक्कतों की वजह से रूसी तेल से भरे टैंकर भारतीय तटों पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। भारत में डिलीवरी के …

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यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद, रूस भारत का प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता देश बन गया है। लेकिन हाल के दिनों में भारत को रूसी तेल की डिलीवरी में कई दिक्कतें आ रही हैं। इन दिक्कतों की वजह से रूसी तेल से भरे टैंकर भारतीय तटों पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। भारत में डिलीवरी के लिए आ रहा रूसी कच्चा तेल सोकोल का 1.5 करोड़ बैरल मलेशिया और दक्षिण कोरिया के तटों पर पड़ा हुआ है। आने वाले समय में भी रूसी तेल से भरे जहाजों के अपने स्थान से हटने के संकेत कम दिख रहे हैं।

ब्लूमबर्ग ने पोत ट्रैकिंग डेटा के आधार पर अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि इन टैंकरों में से अधिकांश एक महीने से भी अधिक समय से तट पर लंगर डाले हुए हैं। रूसी तेल से भरे टैंकरों ने मलेशिया और दक्षिण कोरिया के तट पर डेरा डालना तब शुरू किया जब पिछले साल के अंत में भारतीय तटों के आसपास के बंदरगाहों पर कच्चा तेल ले जाने वाले जहाजों ने अचानक अपने रास्ते में बदलाव कर लिया, जिसके बाद  दिसंबर आते-आते वह दक्षिण चीन सागर की ओर मुड़ गए। और हर हफ्ते लगभग दो नए कार्गो मलेशिया और दक्षिण कोरिया के तटों पर रुक रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में जब तेल के तीन कार्गो भारत की तरफ बढ़ने लगे तब लगा कि शायद चीजें आसान हो जाएंगी। हालांकि, चौथा कार्गो अब विशाखापत्तनम बंदरगाह पर आता दिखाई रहा है। परन्तु, अधिकांश कार्गो अभी भी वही अटके हुए हैं। वही, तटों पर हर तीसरे या चौथे दिन कार्गो का आना भी लगा हुआ है। एक कार्गो पर औसतन 7 लाख बैरल कच्चा तेल लदा  हुआ है। और रूसी तेल से भरे जहाज दक्षिण कोरिया के बंदरगाह येओसु पर जमा होते जा रहे हैं जहां वह आम तौर पर भारत में आगे की शिपमेंट को देखते हुए अपने माल को दूसरे जहाजों पर उतारते हैं।

रूसी तेल से भरे टैंकरों का मलेशिया और दक्षिण कोरिया के तट पर लगा अंबार

भारत को रूसी तेल की आपूर्ति में आ रही रुकावट के कारण कई तरह की बातें कही जा रही हैं। तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने जनवरी के महीने में कहा था कि रूसी तेल पर अब ज्यादा छूट नहीं मिल रही इसलिए भारतीय रिफाइनरों ने रूस से तेल खरीद में कमी कर दी है। उन्होंने इस बात को भी खारिज कर दिया था कि रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भुगतान में दिक्कतों की वजह से खरीद में कोई असर हुआ है। कुछ रिफाइरों ने भी यही बताया की सोकोल तेल से उन्हें ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है। और सोकोल को खरीदने की उनकी कोई योजना नहीं है क्योंकि सोकोल यूराल की तुलना में 2-3 डॉलर महंगा है। हालांकि, तेल मंत्री पुरी ने बाद में कहा की G-7 देशों के रूसी तेल पर लगाए गए 60 डॉलर प्रति बैरल के प्राइस कैप और शिपिंग की चुनौतियों के कारण भारत में सोकोल की कुछ डिलीवरी में बाधा आई है।

रूस अपने सोकोल तेल को प्राइस कैप से ऊपर बेच रहा है जिस पर अमेरिकी ट्रेजरी विभाग की कड़ी नजर बनाये हुए है। जिसे देखते हुए अमेरिका ने प्राइस कैप से ऊपर बेचे जा रहे रूसी तेल पर नए प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए है, जिसकी वजह से भारत को इस तेल की डिलीवरी में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका ने अब सोकोल तेल ढो रहे उन जहाजों पर प्रतिबंध लगा दिया है जो 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर का तेल बेच रहे हैं। भारत में हाल के दिनों में जो सोकोल तेल की जो डिलीवरी हुई है, उससे यही पता लगता है कि भारत की कुछ रिफाइनरों ने इन मुश्किलों से निकलने का समाधान ढूंढ लिया है।

 

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