uttar pradesh - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Mon, 30 Sep 2024 10:46:46 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg uttar pradesh - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 सपा विधायक के बयान से विवाद, मुस्लिम जनसंख्या और भाजपा पर टिप्पणी का वीडियो वायरल. https://chaupalkhabar.com/2024/09/30/%e0%a4%b8%e0%a4%aa%e0%a4%be-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a7%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%95-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%be/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/30/%e0%a4%b8%e0%a4%aa%e0%a4%be-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a7%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%95-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%be/#respond Mon, 30 Sep 2024 10:46:46 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5163 उत्तर प्रदेश के अमरोहा से समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक महबूब अली का एक विवादित बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। विधायक ने बिजनौर में एक सभा के दौरान मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ने और इसके परिणामस्वरूप भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शासन के खत्म होने का दावा किया। इस बयान ने …

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उत्तर प्रदेश के अमरोहा से समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक महबूब अली का एक विवादित बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। विधायक ने बिजनौर में एक सभा के दौरान मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ने और इसके परिणामस्वरूप भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शासन के खत्म होने का दावा किया। इस बयान ने भाजपा समर्थकों के बीच नाराजगी पैदा कर दी है।

बिजनौर में आयोजित एक “संविधान सम्मान” सभा के दौरान सपा विधायक महबूब अली ने कहा कि मुसलमानों की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और यही वजह है कि आने वाले समय में भाजपा का राज खत्म हो जाएगा। उन्होंने दावा किया कि भाजपा सरकार को मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि से खतरा है। उनका यह बयान उस समय आया है जब देशभर में भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों द्वारा सांप्रदायिकता और ध्रुवीकरण के मुद्दों पर हमले किए जा रहे हैं।

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भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने महबूब अली के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि सपा विधायक का यह बयान न सिर्फ भड़काऊ है बल्कि संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ भी है। मालवीय ने इसे भाजपा के खिलाफ एक “धमकी” करार दिया और कहा कि ऐसे बयान स्वीकार्य नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि महबूब अली का यह बयान राजनीतिक ध्रुवीकरण की कोशिश है, जो देश की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है।

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उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए इस तरह के बयान खासे महत्व रखते हैं। राज्य में भाजपा और सपा के बीच कड़ा मुकाबला होता रहा है। पिछले कुछ वर्षों में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में मजबूत जनाधार तैयार किया है, जिसमें हिंदू मतदाताओं का प्रमुख योगदान रहा है। वहीं सपा मुस्लिम और पिछड़े वर्गों पर आधारित अपनी राजनीति को आगे बढ़ा रही है।

विवादित बयान से राजनीतिक माहौल गरमा गया है और इसके संभावित परिणाम 2024 के चुनावों पर भी देखने को मिल सकते हैं। सपा विधायक का यह बयान उनके समर्थकों के बीच लोकप्रिय हो सकता है, लेकिन भाजपा इसे सांप्रदायिकता भड़काने के प्रयास के रूप में देख रही है।

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उपचुनावों की तैयारी में जुटी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), चिराग पासवान का यूपी दौरा. https://chaupalkhabar.com/2024/09/27/in-preparation-for-by-elections/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/27/in-preparation-for-by-elections/#respond Fri, 27 Sep 2024 08:37:26 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5123 उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा उपचुनावों के लिए सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। इसी सिलसिले में बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) भी यूपी की राजनीतिक जमीन पर पैर जमाने की कोशिश कर रही है। पार्टी के प्रमुख, चिराग पासवान, इन दिनों उत्तर प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। गुरुवार को …

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उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा उपचुनावों के लिए सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। इसी सिलसिले में बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) भी यूपी की राजनीतिक जमीन पर पैर जमाने की कोशिश कर रही है। पार्टी के प्रमुख, चिराग पासवान, इन दिनों उत्तर प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। गुरुवार को चिराग कौशांबी जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए नजर आए। उनकी पार्टी का लक्ष्य है दलित समुदाय के साथ-साथ अन्य वर्गों के मतदाताओं को अपने पक्ष में करना।

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और जमुई से सांसद, अरुण भारती ने चिराग पासवान के इस दौरे पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के साथ एलजेपी-आर का गठबंधन केवल बिहार विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के लिए है। यूपी जैसे अन्य राज्यों में पार्टी एनडीए के साथ किसी भी प्रकार का गठबंधन नहीं करेगी। अरुण भारती ने कहा, “हमारा मुख्य फोकस उत्तर प्रदेश में अपने संगठन का विस्तार करना है और ऐसे लोगों का समर्थन करना है जो यूपी में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।”

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पार्टी की रणनीति यह है कि वह दलित, पासवान और पासी समुदाय के लोगों को एकजुट कर अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करेगी। पार्टी पहले ही ऐलान कर चुकी है कि 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में वह 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। चिराग पासवान उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में लगातार दौरे कर रहे हैं और उनकी कोशिश है कि पार्टी के लिए यूपी में एक सशक्त आधार तैयार हो।

चिराग पासवान ने कौशांबी में अपने दौरे की शुरुआत की और इसके बाद वह गोरखपुर, प्रतापगढ़, बलिया और प्रयागराज में भी रैलियों को संबोधित करेंगे। उनके दौरे की तारीखें इस प्रकार हैं: गोरखपुर में 20 अक्टूबर, प्रतापगढ़ में 16 नवंबर, बलिया में 4 दिसंबर और प्रयागराज में 25 दिसंबर को रैलियां होंगी। इन रैलियों के माध्यम से चिराग पासवान यूपी में अपनी सियासी जमीन तलाश रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में जल्द ही उपचुनाव होने वाले हैं। इनमें फूलपुर, गाजियाबाद, मीरापुर, करहल, मिल्कीपुर, सीसामऊ, कुंदरकी, मझवां, कटेहरी और खैर जैसी प्रमुख विधानसभा सीटें शामिल हैं। अरुण भारती ने साफ किया कि पार्टी इन सीटों पर उपचुनाव लड़ने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्ववर्ती सपा और बसपा सरकारों ने दलितों, पासवान और पासी समुदाय के लोगों को केवल वोट बैंक की तरह देखा है और उन्हें कभी भी उचित मंच या अवसर नहीं दिया है। इसी कारण अब एलजेपी-आर यूपी में इन वर्गों को एक मंच पर लाकर उनकी आवाज बनना चाहती है।

बिहार में हुए लोकसभा चुनावों में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का प्रदर्शन शानदार रहा था। पार्टी ने एनडीए के साथ मिलकर 5 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी सीटों पर जीत हासिल की थी, जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा हो गया है। अब पार्टी उत्तर प्रदेश में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, और इस प्रक्रिया में उपचुनाव उनके लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

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उत्तर प्रदेश में मिलावटी भोजन पर कड़ा प्रहार, सीएम योगी के सख्त निर्देश https://chaupalkhabar.com/2024/09/24/adulterated-in-uttar-pradesh/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/24/adulterated-in-uttar-pradesh/#respond Tue, 24 Sep 2024 11:04:48 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5101 उत्तर प्रदेश सरकार ने खाने-पीने की वस्तुओं में मिलावट को रोकने के लिए एक कड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के ढाबों और रेस्टोरेंट्स में परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए कई सख्त निर्देश जारी किए हैं। मंगलवार को हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में सीएम योगी ने …

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उत्तर प्रदेश सरकार ने खाने-पीने की वस्तुओं में मिलावट को रोकने के लिए एक कड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के ढाबों और रेस्टोरेंट्स में परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए कई सख्त निर्देश जारी किए हैं। मंगलवार को हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में सीएम योगी ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताई और मिलावट को रोकने के लिए कठोर उपायों की घोषणा की। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि खाने-पीने की चीजों में मिलावट किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने इसे ‘विभत्स और अस्वीकार्य’ करार दिया। हाल ही में जूस, दाल, रोटी जैसी वस्तुओं में मानव अपशिष्ट मिलने की शिकायतों ने प्रशासन को अलर्ट कर दिया है। सीएम योगी ने इसे आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ गंभीर खिलवाड़ बताया और इसे रोकने के लिए त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए।

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सीएम योगी ने कहा कि अब ढाबा और रेस्टोरेंट्स में काम करने वाले प्रत्येक कर्मचारी का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा। ढाबों और होटलों के संचालक, प्रोपराइटर, मैनेजर, और अन्य स्टाफ के नाम और पता डिस्प्ले करना आवश्यक होगा, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि का तुरंत पता लगाया जा सके। खाद्य पदार्थों की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए सीएम योगी ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में जरूरी संशोधन करने के निर्देश दिए हैं। अब खाने-पीने की वस्तुओं के केंद्रों पर साफ-सफाई का ध्यान रखने के साथ-साथ खाना बनाने वाले कर्मचारियों को मास्क और ग्लव्स पहनना अनिवार्य किया गया है। साथ ही, इन स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे भी अनिवार्य रूप से लगाए जाएंगे, ताकि सभी गतिविधियों की निगरानी की जा सके और किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत पकड़ा जा सके।

सीएम योगी ने स्पष्ट किया कि यदि किसी ढाबे या रेस्टोरेंट में मिलावटी भोजन पाया जाता है, तो उस प्रतिष्ठान के संचालक या प्रोपराइटर के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई केवल आर्थिक दंड तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि गंभीर मामलों में कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। इस दिशा में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, पुलिस प्रशासन, और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त टीमों के जरिए प्रदेशव्यापी सघन अभियान चलाया जाएगा। इन टीमों का काम होगा कि वे समय-समय पर ढाबों और रेस्टोरेंट्स की जांच करें और सुनिश्चित करें कि वहां स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा के सभी मानकों का पालन हो रहा है।

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सीएम योगी ने यह भी कहा कि देशभर में अलग-अलग क्षेत्रों में मिलावट की घटनाएं बढ़ रही हैं, जो आम जनता के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती हैं। ऐसी मिलावट से न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य को खतरा होता है, बल्कि यह समाज के समग्र स्वास्थ्य तंत्र पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। उत्तर प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि राज्य में ऐसी घटनाओं पर पूरी तरह से रोक लगे और किसी भी तरह के मिलावटी भोजन की बिक्री को रोका जा सके।

खाने-पीने की जगहों पर साफ-सफाई बनाए रखना अब न केवल प्रतिष्ठान के लिए, बल्कि ग्राहकों की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है। इसके लिए होटल और रेस्टोरेंट्स में सीसीटीवी कैमरे लगाने के साथ-साथ, साफ-सफाई का सख्त पालन अनिवार्य किया गया है। कैमरे की फीड को संचालक को सुरक्षित रखना होगा और जब भी आवश्यकता हो, पुलिस को इसकी जानकारी दी जाएगी।

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उत्तर प्रदेश सरकार की इस कठोर पहल का उद्देश्य आम आदमी के स्वास्थ्य की रक्षा करना और उन्हें सुरक्षित एवं शुद्ध भोजन उपलब्ध कराना है। सीएम योगी ने साफ तौर पर कहा है कि किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ तुरंत सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब सरकार का फोकस यह सुनिश्चित करना है कि प्रदेशभर में मिलावटी भोजन का कारोबार पूरी तरह से बंद हो और सभी लोग स्वच्छ और सुरक्षित भोजन का आनंद ले सकें।

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ज्ञानव्यापी पर योगी आदित्यनाथ का बयान, ‘यह साक्षात शिव हैं, मस्जिद कहना दुर्भाग्य. https://chaupalkhabar.com/2024/09/14/knowledgeable-but-yogi-addicted/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/14/knowledgeable-but-yogi-addicted/#respond Sat, 14 Sep 2024 09:41:17 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4870 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक संगोष्ठी में ज्ञानव्यापी को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश लोग इसे मस्जिद कहते हैं, जबकि वास्तव में यह साक्षात शिव का स्वरूप है। योगी ने इस बयान के संदर्भ में आदि शंकराचार्य के जीवन से एक प्रसंग साझा किया, जिसमें …

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक संगोष्ठी में ज्ञानव्यापी को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश लोग इसे मस्जिद कहते हैं, जबकि वास्तव में यह साक्षात शिव का स्वरूप है। योगी ने इस बयान के संदर्भ में आदि शंकराचार्य के जीवन से एक प्रसंग साझा किया, जिसमें भगवान विश्वनाथ स्वयं को ज्ञानव्यापी के रूप में प्रकट करते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह विचार गोरखपुर में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन में आयोजित ‘समरस समाज के निर्माण में नाथ पंथ का अवदान’ विषयक संगोष्ठी के दौरान रखे। बतौर मुख्य अतिथि, उन्होंने आदि शंकराचार्य के उस प्रसंग को विस्तार से समझाया, जिसमें ज्ञान और साधना की बात की गई है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब आदि शंकराचार्य अपने अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर आगे की साधना के लिए दक्षिण भारत के केरल से चलकर वाराणसी पहुंचे, तो भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेने का निर्णय लिया। एक दिन जब आदि शंकराचार्य गंगा स्नान के लिए जा रहे थे, तो उनके रास्ते में एक चांडाल आ खड़ा हुआ और उनके मार्ग में बाधा डालने का प्रयास करने लगा। आदि शंकर ने चांडाल को हटने के लिए कहा। चांडाल ने इसके उत्तर में आदि शंकर को उनके अद्वैत सिद्धांत की याद दिलाई, जिसमें यह बताया गया है कि ब्रह्म ही सत्य है और सारा संसार माया है। यह सुनकर आदि शंकर को यह आभास हुआ कि यह चांडाल साधारण व्यक्ति नहीं है। उन्होंने उससे पूछा कि वह कौन है, जो उनके अद्वैत सिद्धांत के बारे में इतनी गहराई से जानता है। इसके उत्तर में चांडाल ने कहा कि वह वही ज्ञानव्यापी है, जिसकी साधना के लिए आदि शंकर काशी आए हैं। वह कोई और नहीं, बल्कि स्वयं भगवान विश्वनाथ हैं।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस प्रसंग के जरिए अपने विचारों को स्पष्ट करते हुए कहा कि ज्ञानव्यापी को मस्जिद कहना एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गलती है। उन्होंने इसे ‘दुर्भाग्य’ करार देते हुए कहा कि यह स्थान वास्तव में साक्षात शिव का स्वरूप है। योगी का मानना है कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इस स्थान का महत्व अत्यधिक है और इसे किसी अन्य रूप में देखना शिव के प्रति सम्मान का उल्लंघन है। योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को समझने के लिए आदि शंकराचार्य के जीवन और उनके सिद्धांतों का अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है। आदि शंकर ने जो अद्वैत का ज्ञान फैलाया था, वह न केवल एक दार्शनिक विचारधारा है, बल्कि यह भारतीय सभ्यता के मूल सिद्धांतों में से एक है।

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इस संगोष्ठी में योगी आदित्यनाथ ने नाथ पंथ के योगदान पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि नाथ पंथ ने भारतीय समाज में समरसता और धार्मिक सहिष्णुता के सिद्धांतों को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नाथ पंथ के संतों ने समाज के सभी वर्गों को एकजुट करने और उन्हें आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है। योगी आदित्यनाथ, जो खुद नाथ पंथ से जुड़े हुए हैं, ने कहा कि इस पंथ ने समाज को बिना किसी भेदभाव के सेवा और साधना के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है। नाथ पंथ के संतों ने समाज में जाति, धर्म, और वर्ग के भेदभाव को मिटाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया है और उनका संदेश आज भी प्रासंगिक है।

 

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मंगेश यादव एनकाउंटर केस, विपक्ष का हमला, भाजपा सरकार पर उठे सवाल. https://chaupalkhabar.com/2024/09/11/mangesh-yadav-encounter-case-v/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/11/mangesh-yadav-encounter-case-v/#respond Wed, 11 Sep 2024 09:05:40 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4815 उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में हुए एक लाख के इनामी डकैत मंगेश यादव के एनकाउंटर के बाद राज्य की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बार फिर योगी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए एनकाउंटर की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं। एनकाउंटर को लेकर …

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उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में हुए एक लाख के इनामी डकैत मंगेश यादव के एनकाउंटर के बाद राज्य की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बार फिर योगी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए एनकाउंटर की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं। एनकाउंटर को लेकर अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए।

“एनकाउंटर का पैटर्न सेट हो गया है” अखिलेश यादव ने अपने पोस्ट में लिखा, “भाजपा राज में एनकाउंटर का एक पैटर्न सेट हो गया है। पहले किसी को उठाओ, फिर झूठी मुठभेड़ की कहानी बनाओ और फिर दुनिया को झूठी तस्वीरें दिखाओ।” उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह की घटनाओं में मारे गए लोगों के परिवारों पर दबाव डालकर उन्हें चुप रहने के लिए मजबूर किया जाता है। साथ ही, विपक्ष द्वारा इन घटनाओं का भंडाफोड़ होने पर भाजपा अपने छोटे नेताओं को आगे कर मामले को दबाने की कोशिश करती है।

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सपा प्रमुख ने मीडिया पर भी निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा अपने समर्थन में काम करने वाले मीडिया के जरिए इन एनकाउंटरों को सही ठहराने का काम करती है। उन्होंने कहा कि सरकार के तथाकथित बड़े नेताओं से गैरकानूनी एनकाउंटर को तर्कहीन बयानबाजी के जरिए सही साबित कराया जाता है। अखिलेश यादव ने आगे कहा कि जब भी जनता का आक्रोश बढ़ता है, तो सरकार औपचारिक रूप से जांच का आदेश दे देती है, लेकिन जांच के नाम पर कुछ खास नहीं होता। उन्होंने इसे दिखावटी जांच करार देते हुए आरोप लगाया कि ऐसे मामलों को जांच के बहाने धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

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बता दें कि 28 अगस्त को सुलतानपुर के ठठेरी बाजार में सर्राफ भरत सोनी के यहां डकैती के मामले में वांछित डकैत मंगेश यादव उर्फ कुंभे को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था। यादव पर एक लाख का इनाम घोषित था, और उसे सुलतानपुर के मिश्रपुर पुरैना के पास एसटीएफ की टीम ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया। इस डकैती में अन्य 14 आरोपित भी वांछित थे, जिनमें से तीन को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था। गिरोह का सरगना विपिन सिंह पहले ही रायबरेली न्यायालय में सरेंडर कर चुका है, जबकि बाकी आरोपितों की तलाश में पुलिस द्वारा सात टीमें गठित की गई हैं।

इस मुठभेड़ के बाद जिलाधिकारी कृत्तिका ज्योत्स्ना ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश जारी किए हैं। जांच की जिम्मेदारी लंभुआ की एसडीएम विदुषी सिंह को सौंपी गई है। सरकार की ओर से कहा गया है कि मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी ताकि किसी प्रकार की गलतफहमी या संदेह को दूर किया जा सके।

 

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69 हजार शिक्षक भर्ती, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, 23 सितंबर को अगली सुनवाई https://chaupalkhabar.com/2024/09/09/69-thousand-teacher-recruitment-supri/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/09/69-thousand-teacher-recruitment-supri/#respond Mon, 09 Sep 2024 11:27:46 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4764 उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब भी मांगा है और अगली सुनवाई के लिए 23 सितंबर 2024 की तारीख निर्धारित की है। इस दौरान, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य …

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उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब भी मांगा है और अगली सुनवाई के लिए 23 सितंबर 2024 की तारीख निर्धारित की है। इस दौरान, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य पक्षकारों को अपनी दलीलें प्रस्तुत करनी होंगी। इस मामले में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की तीन सदस्यीय पीठ ने रवि कुमार सक्सेना और अन्य 51 याचिकाकर्ताओं द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई की। पीठ ने यूपी सरकार और यूपी बेसिक शिक्षा बोर्ड के सचिव को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही अदालत ने सभी पक्षकारों से 23 सितंबर तक इस मामले में सात पन्नों में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

यह मामला तब शुरू हुआ जब इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों की अनदेखी के आरोप पर सुनवाई की। हाईकोर्ट ने 2019 में आयोजित इस भर्ती की चयन सूची को रद्द करते हुए निर्देश दिया था कि नई चयन सूची तैयार की जाए। कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि तीन माह के भीतर इस नई सूची को जारी किया जाए। हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक, यदि नई सूची के जारी होने से किसी वर्तमान में कार्यरत सहायक शिक्षक पर नकारात्मक असर पड़ता है, तो उन्हें मौजूदा शैक्षणिक सत्र का लाभ दिया जाए ताकि उनकी नौकरी पर सीधा असर न पड़े और छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो।

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इसके अलावा, हाईकोर्ट ने 6800 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की सूची को खारिज करने के एकल पीठ के आदेश को भी बरकरार रखा। यह सूची 5 जनवरी 2022 को जारी की गई थी। जबकि 69 हजार अभ्यर्थियों की मूल चयन सूची 1 जून 2020 को जारी हुई थी। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने महेंद्र पाल और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया था। इन याचिकाओं में 6800 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की सूची को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने एकल पीठ के आदेश को सही ठहराते हुए सरकार को तीन महीने के भीतर नई चयन सूची जारी करने का निर्देश दिया था।

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इस फैसले के बाद सरकार को 69 हजार अभ्यर्थियों की चयन सूची को रद्द कर नई सूची तैयार करने का आदेश मिला था। इसका असर वर्तमान में कार्यरत कई शिक्षकों पर पड़ने की संभावना थी, जिसके चलते इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से इस पर जवाब दाखिल करने को कहा है और अगली सुनवाई 23 सितंबर को तय की है। इस दौरान, सरकार और अन्य पक्षकारों को इस मुद्दे पर अपनी दलीलें कोर्ट में प्रस्तुत करनी होंगी।

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सुलतानपुर लूटकांड, मंगेश यादव के एनकाउंटर और सोने की कम बरामदगी पर अखिलेश का सरकार पर तीखा हमला https://chaupalkhabar.com/2024/09/07/sultanpur-robbery-mangesh/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/07/sultanpur-robbery-mangesh/#respond Sat, 07 Sep 2024 11:19:49 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4731 समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सुलतानपुर ज्वैलर्स लूटकांड में शामिल मंगेश यादव के एनकाउंटर पर सवाल उठाने के बाद एक बार फिर प्रदेश सरकार को निशाने पर लिया है। इस बार उन्होंने लूट के माल की बरामदगी पर सवाल खड़ा किया है। शनिवार को अखिलेश यादव ने पीड़ित सर्राफ का एक वीडियो …

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समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सुलतानपुर ज्वैलर्स लूटकांड में शामिल मंगेश यादव के एनकाउंटर पर सवाल उठाने के बाद एक बार फिर प्रदेश सरकार को निशाने पर लिया है। इस बार उन्होंने लूट के माल की बरामदगी पर सवाल खड़ा किया है। शनिवार को अखिलेश यादव ने पीड़ित सर्राफ का एक वीडियो जारी किया, जिसमें सर्राफ ने बताया कि पुलिस द्वारा बरामद माल लूट का 10 प्रतिशत भी नहीं है। खासकर, सोना पूरी तरह से गायब है। अखिलेश ने इस मुद्दे पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए पूछा कि लूट का माल लुटेरों से किसने लूट लिया? अखिलेश यादव ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर पोस्ट करते हुए कहा कि अगर सारे लुटेरे पकड़े जा चुके हैं, तो फिर लूटा गया सोना किसके खजाने में चला गया? उन्होंने सीधे तौर पर प्रदेश सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा किया और कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि जो लुटेरे बनकर आए थे, वे किसी के प्रतिनिधि थे? ये सवाल प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर आरोप लगाते हैं और सरकार की भूमिका पर शक जाहिर करते हैं।

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अखिलेश यादव पहले भी मंगेश यादव के एनकाउंटर पर सवाल उठा चुके हैं। सुलतानपुर में हुए इस लूटकांड के मुख्य आरोपी मंगेश यादव को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस एनकाउंटर को लेकर कई तरह के सवाल उठाए थे, खासकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने। उन्होंने कहा था कि प्रदेश में एनकाउंटर के नाम पर निर्दोषों को निशाना बनाया जा रहा है और असली अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। इस पूरी घटना को लेकर अखिलेश यादव ने फिल्म “डकैत” के एक पोस्टर को रीपोस्ट किया है। इस फिल्म में सनी देओल ने अर्जुन यादव नामक एक डकैत का किरदार निभाया था, जिसे समाज द्वारा सताया गया था। अखिलेश का यह पोस्ट इस बात की ओर इशारा करता है कि मंगेश यादव के एनकाउंटर को इस फिल्म की कहानी से जोड़कर देखा जा रहा है। इस पोस्ट के जरिए उन्होंने यह सवाल खड़ा किया कि क्या मंगेश यादव को भी उसी तरह से सताया गया जैसा फिल्म के किरदार अर्जुन यादव के साथ हुआ था?

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अखिलेश यादव ने अपने पोस्ट में शायर मुनव्वर राणा की पंक्तियों का भी इस्तेमाल किया है। यह पंक्तियां उन लोगों के प्रति सहानुभूति दर्शाती हैं, जिन्हें बिना किसी ठोस कारण के अपराधी साबित कर दिया जाता है। इस पोस्ट के जरिए अखिलेश यादव ने मंगेश यादव के एनकाउंटर पर एक बार फिर से सवाल उठाया और इसे एक पूर्व-नियोजित योजना का हिस्सा बताया। अखिलेश यादव ने वीडियो के साथ जो सवाल उठाए, वह प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। पीड़ित सर्राफ ने बताया कि लूटा गया माल अभी तक बरामद नहीं हुआ है, और पुलिस द्वारा बरामद की गई चीजें लूट का 10 प्रतिशत भी नहीं हैं। खासकर, सोना पूरी तरह से गायब है। यह सवाल उठता है कि अगर सभी लुटेरे पकड़े जा चुके हैं, तो फिर सोना कहां गायब हो गया? अखिलेश यादव ने अपने पोस्ट के जरिए सरकार पर तीखा हमला किया और यह दावा किया कि लूट का असली माल किसी और के खजाने में जमा हो गया है। उन्होंने इस घटना को प्रदेश की कानून व्यवस्था की नाकामी के रूप में पेश किया और सरकार पर आरोप लगाया कि वह असली अपराधियों को बचाने का काम कर रही है।

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बुलडोजर कार्रवाई पर अखिलेश-योगी की सियासी जंग, जुबानी हमलों से गरमाई यूपी की राजनीति. https://chaupalkhabar.com/2024/09/04/bulldozer-action-all-over/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/04/bulldozer-action-all-over/#respond Wed, 04 Sep 2024 11:06:21 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4645 उत्तर प्रदेश की राजनीति में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सियासी जंग तेज हो गई है। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव के बीच जुबानी हमलों का सिलसिला जारी है। मामला तब गरमा गया जब मुख्यमंत्री योगी ने बुलडोजर कार्रवाई को लेकर एक बयान दिया, जिसका अखिलेश यादव ने …

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सियासी जंग तेज हो गई है। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव के बीच जुबानी हमलों का सिलसिला जारी है। मामला तब गरमा गया जब मुख्यमंत्री योगी ने बुलडोजर कार्रवाई को लेकर एक बयान दिया, जिसका अखिलेश यादव ने तीखा जवाब दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि बुलडोजर चलाने के लिए दिल और दिमाग दोनों की जरूरत होती है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछली सरकारें दंगाइयों के आगे झुक जाती थीं, लेकिन अब समय बदल चुका है। योगी के इस बयान पर अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुए पूछा कि क्या मुख्यमंत्री के आवास का नक्शा पास है? अगर है तो वे जनता के सामने कागज पेश करें।

अखिलेश ने इस बात को भी उठाया कि जिन लोगों पर सरकार को गुस्सा आता है, उन्हीं के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा, “हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई को असंवैधानिक बताया है। क्या मुख्यमंत्री इस पर माफी मांगेंगे?” उन्होंने आगे कहा कि बुलडोजर को चलाने के लिए दिमाग नहीं बल्कि स्टीयरिंग की जरूरत होती है और यूपी की जनता कभी भी स्टीयरिंग बदल सकती है। अखिलेश यादव ने एक और बयान में कहा कि 2027 में जब सपा की सरकार आएगी, तो बुलडोजर को गोरखपुर की तरफ मोड़ा जाएगा। इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि बुलडोजर को चलाने के लिए दृढ़ संकल्प और साहस की आवश्यकता होती है, जो हर किसी के पास नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि पिछली सरकारों में अपराधियों और दंगाइयों को खुली छूट दी जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। योगी के मुताबिक, “जो लोग पहले दंगाइयों के साथ थे, वे अब फिर से अपने रंग बदलकर प्रदेश की जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।”

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अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में विशेष जाति और धर्म के लोगों को प्राथमिकता देकर पोस्टिंग दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इससे लोकतंत्र कमजोर हो रहा है और राज्य में महिला अपराध की घटनाएं बढ़ रही हैं। अखिलेश ने बीएचयू में हुई घटना का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि वहां अपराधियों का स्वागत किया गया। उन्होंने मुख्यमंत्री से तंज कसते हुए कहा कि वे भारतीय जनता पार्टी का नाम बदलकर “भारतीय जोगी पार्टी” कर दें। यह विवाद तब और बढ़ गया जब सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठाए और इसे लेकर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई संविधान के खिलाफ है और सरकार को इस पर जवाब देना चाहिए। योगी आदित्यनाथ ने हालांकि अपने बयान में कहा कि उनके पास बुलडोजर की ताकत और साहस है, और वे इसे जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, “जो लोग दंगाइयों और अपराधियों के साथ थे, वे अब कानून के शिकंजे में हैं, और बुलडोजर का इस्तेमाल कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया जाएगा।”

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उत्तर प्रदेश की सियासत में बुलडोजर कार्रवाई एक बड़ा मुद्दा बन गया है। योगी आदित्यनाथ ने इसे अपनी सरकार की पहचान बना लिया है, जबकि अखिलेश यादव इसे सरकार के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। आगामी चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा किस दिशा में जाता है और जनता का मूड किस तरफ मुड़ता है।

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कोलकाता विधानसभा में पारित एंटी रेप बिल, सजा-ए-मौत सहित प्रमुख प्रावधानों की जानकारी. https://chaupalkhabar.com/2024/09/03/kolkata-assembly-in-across/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/03/kolkata-assembly-in-across/#respond Tue, 03 Sep 2024 10:24:56 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4596 पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने राज्य विधानसभा में एंटी रेप बिल, जिसे “अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024” नाम दिया गया है, को सफलतापूर्वक पारित कर दिया है। इस विधेयक को कोलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना के बाद विशेष सत्र के दौरान पेश किया गया। विधानसभा …

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पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने राज्य विधानसभा में एंटी रेप बिल, जिसे “अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024” नाम दिया गया है, को सफलतापूर्वक पारित कर दिया है। इस विधेयक को कोलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना के बाद विशेष सत्र के दौरान पेश किया गया। विधानसभा का यह सत्र खास तौर पर इस मुद्दे पर चर्चा और विधेयक के पारित करने के लिए बुलाया गया था। इस विधेयक के पारित होने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में इस पर बोलते हुए देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने उत्तर प्रदेश के हाथरस में 2020 में 20 साल की दलित महिला के साथ रेप और बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिले में 2013 में एक कॉलेज छात्रा की रेप और बर्बर हत्या के मामलों का उल्लेख किया। साथ ही उन्होंने जयपुर में हाल ही में एक सरकारी अस्पताल में एक बच्चे के साथ रेप की घटना को भी सामने रखा। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की दर असामान्य रूप से अधिक है, और वहां महिलाओं को न्याय नहीं मिल पाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पश्चिम बंगाल की महिलाओं को न्याय मिलेगा और इस विधेयक के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दोषियों को सख्त सजा मिले।

विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह कानून तुरंत प्रभाव से लागू होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि इस विधेयक को लागू किया जाए और इसका परिणाम दिखे। उन्होंने मुख्यमंत्री के बयान को सुनने की बात कही, लेकिन साथ ही यह भी मांग की कि इस बिल को बिना किसी देरी के लागू किया जाए।

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एंटी रेप बिल के प्रमुख प्रावधान

इस विधेयक में रेप और हत्या के दोषियों के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। प्रमुख बिंदुओं में शामिल हैं:

1. मौत की सजा:  रेप और हत्या के दोषियों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है।

2. चार्जशीट और सजा:  चार्जशीट दाखिल करने के 36 दिनों के भीतर दोषी को सजा-ए-मौत का प्रावधान है।

3. तेजी से जांच:  इस विधेयक के तहत 21 दिनों के भीतर जांच पूरी करनी होगी।

4. अपराधियों की मदद करने पर सजा:  अपराधियों की मदद करने पर 5 साल की कैद की सजा का प्रावधान है।

5. स्पेशल टास्क फोर्स:  हर जिले में स्पेशल “अपराजिता टास्क फोर्स” का गठन किया जाएगा, जो रेप, एसिड अटैक और छेड़छाड़ के मामलों में तुरंत कार्रवाई करेगी।

6. एसिड अटैक पर सजा:  एसिड अटैक के दोषियों के लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।

7. पीड़िता की पहचान उजागर करने पर सजा:  पीड़िता की पहचान उजागर करने वालों को 3 से 5 साल की सजा का प्रावधान है।

8. तेजी से सुनवाई:  विधेयक में BNSS प्रावधानों में संशोधन करते हुए सभी यौन अपराधों और एसिड अटैक की सुनवाई 30 दिनों में पूरी करने का प्रावधान शामिल है।

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विधेयक का कानून बनना

इस विधेयक के कानून बनने के लिए अब राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी है। विधानसभा में इस बिल का पारित होना इसलिए आसान रहा क्योंकि 294 सदस्यीय विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के पास 223 विधायकों का समर्थन है। लेकिन राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त करना कठिन हो सकता है। इसका उदाहरण 2019 के आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक और 2020 के महाराष्ट्र शक्ति विधेयक हैं, जिनमें सभी रेप मामलों के लिए सिर्फ मौत की सजा का प्रावधान था, लेकिन उन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी आज तक नहीं मिली है। इस विधेयक में BNSS और 2012 के पोक्सो अधिनियम के कुछ हिस्सों में संशोधन करते हुए, पीड़िता की उम्र चाहे जो भी हो, यौन उत्पीड़न के मामलों में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर की घटना के बाद जनता के गुस्से और न्याय की मांग के बीच, ममता बनर्जी ने इस एंटी रेप बिल को लाने का निर्णय लिया। अब इस विधेयक का कानून बनना इस पर निर्भर करेगा कि इसे राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलती है या नहीं।

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नेपाल में भारतीय नंबर प्लेट वाली बस नदी में गिरी, 42 यात्रियों में से 15 की अब तक मौत. https://chaupalkhabar.com/2024/08/23/indian-number-pl-in-nepal/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/23/indian-number-pl-in-nepal/#respond Fri, 23 Aug 2024 09:16:15 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4393 मध्य नेपाल में शुक्रवार को एक भारतीय यात्री बस के मर्सियांगडी नदी में गिर जाने से कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई है। बस में कुल 42 यात्री सवार थे, जो सभी महाराष्ट्र से थे। बस ने 20 अगस्त को रूपन्देही के बेलहिया चेक-पॉइंट (गोरखपुर) से 8 दिन के परमिट के साथ …

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मध्य नेपाल में शुक्रवार को एक भारतीय यात्री बस के मर्सियांगडी नदी में गिर जाने से कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई है। बस में कुल 42 यात्री सवार थे, जो सभी महाराष्ट्र से थे। बस ने 20 अगस्त को रूपन्देही के बेलहिया चेक-पॉइंट (गोरखपुर) से 8 दिन के परमिट के साथ नेपाल में प्रवेश किया था। दुर्घटना तनहुन जिले के आइना पहाड़ा क्षेत्र में हुई। घटना की सूचना मिलते ही सशस्त्र पुलिस बल नेपाल आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण विद्यालय के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) माधव पौडेल के नेतृत्व में 45 कर्मियों की एक टीम दुर्घटनास्थल पर पहुंच गई। तुरंत बचाव अभियान शुरू किया गया। प्रारंभिक रिपोर्टों के मुताबिक, लगभग 15 शव बरामद किए गए हैं, जबकि 16 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। हालांकि, 10 यात्री अभी भी लापता हैं।

गौरतलब है कि यह बस गोरखपुर से यात्रियों को लेकर नेपाल गई थी और पोखरा से काठमांडू जा रही थी। तनहुन के एसपी बीरेंद्र शाही ने घटना की पुष्टि की है और बताया कि बस का नंबर यूपी 53 एफटी 7623 था। मौके पर स्थानीय पुलिस कार्यालय के निरीक्षक अबू खैरेनी और अन्य बचावकर्मी मौजूद हैं। सेना और सशस्त्र बलों को भी इस दुर्घटना की जानकारी दे दी गई है ताकि बचाव कार्य में कोई कोताही न हो। उत्तर प्रदेश राहत आयुक्त ने इस घटना के संबंध में बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि वे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या बस में उत्तर प्रदेश का कोई व्यक्ति सवार था। फिलहाल घटना के बारे में विस्तृत जानकारी का इंतजार है।

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यह दुर्घटना नेपाल में इस साल की एक और गंभीर दुर्घटना के रूप में सामने आई है। इससे पहले, जुलाई में भी नेपाल में दो बसें उफनती त्रिशूली नदी में बह गई थीं, जिसमें 65 लोग सवार थे। वे बसें भी काठमांडू से रौतहट के गौर जा रही थीं और भारी बारिश के बीच यह हादसा हुआ था। उन घटनाओं में भी भारी जान-माल का नुकसान हुआ था, जो नेपाल के खराब मौसम और सड़क सुरक्षा की चुनौती को दर्शाता है।

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नेपाल में इस तरह की दुर्घटनाएं अकसर देखने को मिलती हैं, जहां पर्वतीय इलाकों में संकरी और घुमावदार सड़कों के कारण वाहन दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। स्थानीय प्रशासन और सरकार को इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सड़कों की स्थिति और यातायात व्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता है। इस घटना ने एक बार फिर से नेपाल की सड़क सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया है। बचाव और राहत कार्यों की पूरी जानकारी के लिए संबंधित विभागों के साथ समन्वय किया जा रहा है, और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही सभी लापता लोगों का पता चल जाएगा।

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