WHO - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Fri, 27 Sep 2024 12:10:25 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg WHO - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 केरल में ही क्यों आते हैं सबसे पहले वैश्विक बीमारियों के शुरुआती मामले, जैसे Covid-19 और MPox? https://chaupalkhabar.com/2024/09/27/why-do-people-come-to-kerala-only/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/27/why-do-people-come-to-kerala-only/#respond Fri, 27 Sep 2024 12:10:25 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5135 हाल ही में केरल में मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) का दूसरा मामला सामने आया है, जिससे यह भारत में इस बीमारी का तीसरा केस बन गया है। यह 29 वर्षीय युवक संयुक्त अरब अमीरात से लौटकर केरल के एर्नाकुलम में आकर रह रहा था। उसे तेज बुखार की शिकायत हुई और जांच में मंकीपॉक्स (क्लेड-1बी स्ट्रेन) की …

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हाल ही में केरल में मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) का दूसरा मामला सामने आया है, जिससे यह भारत में इस बीमारी का तीसरा केस बन गया है। यह 29 वर्षीय युवक संयुक्त अरब अमीरात से लौटकर केरल के एर्नाकुलम में आकर रह रहा था। उसे तेज बुखार की शिकायत हुई और जांच में मंकीपॉक्स (क्लेड-1बी स्ट्रेन) की पुष्टि हुई। इससे पहले, 18 सितंबर को मलप्पुरम में भी मंकीपॉक्स का मामला मिला था। ये मरीज भी खाड़ी देश से ही लौटा था। केरल में मंकीपॉक्स ही नहीं, निपाह वायरस का प्रकोप भी देखने को मिला है। हाल ही में एक शख्स की निपाह वायरस से मौत हो गई, जो इस वायरस के नए दौर की शुरुआत का संकेत है। 2018, 2021, 2023 में कोझिकोड और 2019 में एर्नाकुलम में भी निपाह वायरस का कहर देखा गया था।

कोविड-19 की बात की जाए, तो भारत में इसका सबसे पहला मामला भी केरल से ही सामने आया था। साल 2020 में चीन से लौटे एक छात्र में कोविड-19 का संक्रमण पाया गया था। इसके बाद से ही केरल में वैश्विक बीमारियों के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। यह सवाल उठता है कि आखिर केरल में ही क्यों सबसे पहले ये बीमारियाँ मिलती हैं? केरल में सबसे पहले वैश्विक बीमारियों के मरीज मिलने का एक मुख्य कारण है राज्य की बड़ी एनआरआई (अनिवासी भारतीय) आबादी। केरल से करीब 22 लाख लोग विदेशों में रहते हैं, जिनमें से अधिकतर लोग खाड़ी देशों में काम करते हैं। ‘दक्कन हेराल्ड’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, केरल के एक बड़े हिस्से के लिए खाड़ी देश रोज़गार का प्रमुख स्रोत हैं। इसके अलावा, केरल से बड़ी संख्या में छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश भी जाते हैं।

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संयुक्त अरब अमीरात, कतर, सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों में काम करने वाले लोगों का केरल में आना-जाना लगा रहता है। जब ये लोग विदेश से लौटते हैं, तो वहां की बीमारियां भी साथ ला सकते हैं। इसलिए जब कोई वैश्विक महामारी या संक्रमण होता है, तो केरल में सबसे पहले मामले सामने आते हैं। 2020 में भी देश का पहला कोविड-19 मरीज चीन से लौटे एक छात्र में पाया गया था। केरल का स्वास्थ्य विभाग अत्यधिक सतर्क रहता है, खासकर जब दुनिया में कोई नई बीमारी फैलती है। राज्य में हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग की सख्त व्यवस्था की जाती है, ताकि बीमारी फैलने से पहले ही उसे पकड़ा जा सके। जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया, तो केरल के हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी।

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि एयरपोर्ट्स पर की जाने वाली स्क्रीनिंग की अपनी सीमाएं होती हैं। बुनियादी स्तर पर यह जांच की जाती है, और जब तक सरकार या डब्ल्यूएचओ की ओर से कोई बड़ी एडवाइजरी जारी नहीं होती, तब तक पूरी तरह से इस तरह की स्क्रीनिंग प्रभावी नहीं हो सकती। इसके अलावा, शुरुआती लक्षणों की पहचान करना भी कई बार मुश्किल हो जाता है, जिससे संक्रमण का पता लगने में देरी हो सकती है। केरल में एनआरआई आबादी का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि अप्रैल 2024 में हुए चुनावों के दौरान, केवल दो दिनों में 22,000 एनआरआई नागरिक अपने घर लौटे थे। वहीं, कुल एनआरआई रजिस्टर्ड वोटरों की संख्या 89,839 है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों का खाड़ी देशों से संबंध और उनका केरल में लगातार आना-जाना, राज्य को किसी भी वैश्विक बीमारी के फैलने का केंद्र बना सकता है।

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केरल की वैश्विक बीमारियों से प्रभावित होने की प्रमुख वजह वहां की बड़ी एनआरआई आबादी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मलयाली लोगों की बड़ी संख्या है। इसके अलावा, केरल राज्य का स्वास्थ्य विभाग सतर्कता बरतता है, लेकिन सीमित संसाधनों और स्क्रीनिंग की चुनौतियों के कारण यह सबसे पहले प्रभावित होता है। चाहे मंकीपॉक्स हो, निपाह वायरस या कोविड-19, केरल की स्वास्थ्य व्यवस्था उन बीमारियों से जूझने के लिए हमेशा तैयार रहती है, लेकिन इन बीमारियों का सबसे पहले पता लगने के कारण यह राज्य वैश्विक महामारी के प्रसार का केंद्र भी बन जाता है।

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भारत में मंकीपॉक्स का संदिग्ध मामला, स्वास्थ्य मंत्रालय की सतर्कता और तैयारियां. https://chaupalkhabar.com/2024/09/09/monkeypox-in-india/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/09/monkeypox-in-india/#respond Mon, 09 Sep 2024 07:43:23 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4753 देश में मंकीपॉक्स का एक संदिग्ध मामला सामने आने से आम लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं। यह मामला एक ऐसे व्यक्ति से जुड़ा है, जिसने हाल ही में एक देश की यात्रा की थी, जहां मंकीपॉक्स या एमपॉक्स के काफी मामले देखे गए थे। मरीज की पहचान होते ही उसे तुरंत अस्पताल के आईसोलेशन …

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देश में मंकीपॉक्स का एक संदिग्ध मामला सामने आने से आम लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं। यह मामला एक ऐसे व्यक्ति से जुड़ा है, जिसने हाल ही में एक देश की यात्रा की थी, जहां मंकीपॉक्स या एमपॉक्स के काफी मामले देखे गए थे। मरीज की पहचान होते ही उसे तुरंत अस्पताल के आईसोलेशन वार्ड में भर्ती करवा दिया गया है, और उसकी हालत फिलहाल स्थिर बताई जा रही है। इस संदिग्ध मामले को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और देश के चिकित्सा विशेषज्ञ गंभीर हैं और जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। मंकीपॉक्स, जिसे हाल ही में एमपॉक्स भी कहा जाने लगा है, कोई नई बीमारी नहीं है। यह एक वायरल बीमारी है, जो चेचक के वायरस की तरह ही फैलती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसके खतरे को भांपते हुए इसे एक ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। अब तक यह वायरस विश्व के 116 देशों में फैल चुका है, जिसके चलते इसे गंभीरता से लिया जा रहा है।

भारत में फिलहाल यह संक्रमण अपने शुरुआती चरण में ही है, और संदिग्ध मरीज की जांच की जा रही है कि क्या उसे वास्तव में मंकीपॉक्स हुआ है या नहीं। भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि देश इस तरह के मामलों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है, और इसके लिए सारे जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।

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मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक की तरह होते हैं, जैसे कि बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ में दर्द, ठंड लगना और थकान महसूस होना। इसके साथ ही त्वचा पर दाने या चकत्ते उभरते हैं, जो धीरे-धीरे फफोले या पसयुक्त घाव में बदल जाते हैं। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है, खासकर घाव के तरल पदार्थ या संक्रमित कपड़े आदि से। इसके अलावा, यौन संपर्क से भी इस संक्रमण के फैलने की संभावना होती है। हालांकि, इस बीमारी का असर आमतौर पर 2 से 4 हफ्तों तक रहता है और संक्रमित व्यक्ति में खुद-ब-खुद ठीक होने की संभावना होती है, लेकिन कुछ गंभीर मामलों में इसे अस्पताल में इलाज की जरूरत होती है। चूंकि मंकीपॉक्स का फैलाव कोविड-19 की तरह तेज नहीं है, इसलिए इसे रोकने के लिए तुरंत और सटीक कदम उठाए जाने जरूरी होते हैं।

मंकीपॉक्स के संदिग्ध मामलों की जांच के लिए देश में टेस्टिंग किट्स की जरूरत को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आवश्यक कदम उठाए हैं। सीडीएससीओ (Central Drugs Standard Control Organization) ने मंकीपॉक्स की पहचान के लिए तीन टेस्टिंग किट्स को मंजूरी दी है। इन किट्स के जरिए मंकीपॉक्स के लक्षण जैसे चकत्ते से निकले तरल पदार्थ की जांच की जाएगी, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि मरीज मंकीपॉक्स से पीड़ित है या नहीं। आईसीएमआर (Indian Council of Medical Research) ने भी इन टेस्टिंग किट्स को हरी झंडी दे दी है, ताकि जल्दी से जल्दी मामलों की पहचान हो सके और उन्हें नियंत्रित किया जा सके। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा है कि संदिग्ध मामलों की पहचान के लिए इन टेस्टिंग किट्स का प्रयोग देशभर के विभिन्न मेडिकल केंद्रों में किया जाएगा, ताकि जल्दी और सही परिणाम मिल सकें।

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मंकीपॉक्स के इस संदिग्ध मामले के सामने आने के बाद सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय पूरी तरह सतर्क हैं। मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि देश में इस तरह की आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन और क्षमता मौजूद है। मंत्रालय ने अस्पतालों और मेडिकल स्टाफ को भी आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं ताकि इस वायरस के फैलने से पहले ही नियंत्रण पाया जा सके। हाल ही में हुई स्वास्थ्य मंत्रालय की एक बैठक में यह भी कहा गया कि मंकीपॉक्स के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत है, ताकि वे इसके लक्षणों को जल्दी पहचान सकें और सही समय पर इलाज करवाया जा सके। इसके अलावा, मंत्रालय ने यह भी निर्देश दिया है कि संदिग्ध मामलों की तुरंत जांच की जाए और उनके संपर्क में आए लोगों की भी निगरानी की जाए, ताकि संक्रमण को रोका जा सके।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि मंकीपॉक्स के फैलाव को रोकने के लिए कुछ सरल सावधानियों का पालन करना बेहद जरूरी है। संक्रमित व्यक्ति से दूर रहना, उनके इस्तेमाल किए गए कपड़े या बिस्तर आदि का प्रयोग न करना, और यदि कोई लक्षण महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। वहीं, इस संक्रमण से जुड़े किसी भी अफवाह से बचने और सही जानकारी के लिए केवल आधिकारिक सूत्रों पर भरोसा करना चाहिए। मंकीपॉक्स एक गंभीर संक्रमण है, लेकिन भारत की स्वास्थ्य सेवाएं इस पर नियंत्रण पाने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों और टेस्टिंग किट्स की उपलब्धता से यह उम्मीद की जा रही है कि देश में इस संक्रमण का फैलाव नहीं होगा।

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अफ्रीका और स्वीडन के बाद अब पाकिस्तान पहुंचा Mpox वायरस, मिला पहला केस, जानिए क्या है वायरस के लक्षण और इलाज. https://chaupalkhabar.com/2024/08/16/africa-and-sweden-after-a/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/16/africa-and-sweden-after-a/#respond Fri, 16 Aug 2024 08:01:21 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4330 हाल ही में, अफ्रीका और स्वीडन के बाद, Mpox वायरस ने पाकिस्तान में भी दस्तक दी है। पाकिस्तान में Mpox के पहले केस की पुष्टि ने स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क कर दिया है। Mpox, जिसे पहले “मंकीपॉक्स” के नाम से जाना जाता था, एक वायरल संक्रमण है जो बुखार, दाने और अन्य गंभीर लक्षणों के …

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हाल ही में, अफ्रीका और स्वीडन के बाद, Mpox वायरस ने पाकिस्तान में भी दस्तक दी है। पाकिस्तान में Mpox के पहले केस की पुष्टि ने स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क कर दिया है। Mpox, जिसे पहले “मंकीपॉक्स” के नाम से जाना जाता था, एक वायरल संक्रमण है जो बुखार, दाने और अन्य गंभीर लक्षणों के साथ आता है। आइए जानें Mpox वायरस के लक्षण, इसके इलाज, और इससे बचाव के उपाय।

Mpox वायरस: सामान्य जानकारी:-  Mpox वायरस का पहला मामला 1958 में मंकीपॉक्स के रूप में सामने आया था। इस वायरस के संक्रमण के मामले आमतौर पर अफ्रीकी देशों में देखे गए हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इसका प्रसार अन्य देशों में भी देखने को मिला है। यह वायरस मुख्यतः जंगली जानवरों के माध्यम से फैलता है और मानव से मानव के बीच भी संक्रमण हो सकता है।

पाकिस्तान में Mpox वायरस का पहला केस:- पाकिस्तान में Mpox वायरस के पहले केस की पुष्टि हाल ही में की गई है। यह मामला एक व्यक्ति का है जिसने विदेश यात्रा की थी और संभावित रूप से वहां से वायरस संक्रमित हो सकता है। पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मामले की पुष्टि की है और संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

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Mpox वायरस के संक्रमण के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:-

1. बुखार: संक्रमित व्यक्ति को अचानक बुखार हो सकता है।
2. दाने और चकत्ते: शरीर पर दाने और चकत्ते दिख सकते हैं, जो धीरे-धीरे घाव में बदल सकते हैं।
3. पेशियों में दर्द: शरीर में दर्द और अस्वस्थता का अनुभव हो सकता है।
4. थकावट और सिरदर्द: मरीज को अत्यधिक थकावट और सिरदर्द का अनुभव हो सकता है।

Mpox वायरस के उपचार में मुख्य रूप से लक्षणों की देखभाल की जाती है। इस समय, कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है, लेकिन संक्रमण के गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है। दवाओं और टीकों के विकास पर शोध जारी है, और कुछ मामलों में, इम्यूनोथेरेपी भी उपयोगी साबित हो सकती है।

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Mpox वायरस से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

1. स्वच्छता: नियमित रूप से हाथ धोएं और स्वच्छता बनाए रखें।
2. संक्रमित व्यक्तियों से दूरी: संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाए रखें और उनके साथ शारीरिक संपर्क से बचें।
3. टीकाकरण: जिन क्षेत्रों में Mpox का प्रकोप है, वहां टीकाकरण करने की सलाह दी जाती है।

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नई रिसर्च में कोवैक्सीन की ‘सेफ्टी’ पर उठाये गये कई सवाल, कंपनी ने दी सफाई https://chaupalkhabar.com/2024/05/17/new-research-in-covaxin-k/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/17/new-research-in-covaxin-k/#respond Fri, 17 May 2024 06:07:51 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3255 कोविशील्ड के कथित साइड इफेक्ट्स को लेकर हुए विवाद के बाद अब भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को लेकर भी एक नई रिपोर्ट ने हलचल मचा दी है। इस रिपोर्ट में कोवैक्सीन लगवाने वाले लोगों में कुछ साइड इफेक्ट्स देखे जाने का दावा किया गया है। यह रिसर्च बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा की गई …

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कोविशील्ड के कथित साइड इफेक्ट्स को लेकर हुए विवाद के बाद अब भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को लेकर भी एक नई रिपोर्ट ने हलचल मचा दी है। इस रिपोर्ट में कोवैक्सीन लगवाने वाले लोगों में कुछ साइड इफेक्ट्स देखे जाने का दावा किया गया है। यह रिसर्च बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा की गई है और इसकी रिपोर्ट स्प्रिंगर लिंक जर्नल में प्रकाशित हुई है। रिसर्च में पाया गया कि कोवैक्सीन लगवाने वाले करीब एक तिहाई लोगों में साइड इफेक्ट्स देखे गए हैं। रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद कोवैक्सीन निर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। भारत बायोटेक ने कहा कि कोवैक्सीन पर पहले भी कई स्टडी और रिसर्च हुई हैं, जिनमें कोवैक्सीन के सुरक्षित होने का प्रमाण मिला है। कंपनी ने यह भी कहा कि कोवैक्सीन का सेफ्टी ट्रैक रिकॉर्ड शानदार है और इससे पहले भी इसके सुरक्षा मानकों को लेकर किसी प्रकार की चिंता नहीं देखी गई है।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की टीम ने इस रिसर्च में एक हजार 24 लोगों को शामिल किया था। इन लोगों में 635 किशोर और 291 युवा थे। इन सभी लोगों से टीका लगने के एक साल बाद तक फॉलोअप व चेकअप के लिए संपर्क किया गया। स्टडी में पाया गया कि करीब 48 फीसदी यानी 304 किशोरों में वायरल अपर रेस्पेरेट्री ट्रैक इंफेक्शंस देखने को मिला है। वहीं पर यही स्थिति 42.6 फीसदी यानी 124 युवाओं में भी देखने को मिली। इसके अलावा, स्टडी में 4.7 फीसदी लोगों में नसों से जुड़ी दिक्कतें भी देखी गई हैं। वहीं 5.8 फीसदी युवाओं में टीके की वजह से नसों और जोड़ों में दर्द की समस्या आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं में भी कोवैक्सीन का असर देखा गया है। करीब 4.6 फीसदी महिलाओं में मासिक धर्म से जुड़ी परेशानियां हुईं, 2.7 प्रतिशत महिलाओं में आंखों से जुड़ी दिक्कतें सामने आईं और 0.6 प्रतिशत महिलाओं में हाइपोथायरॉइडिज्म पाया गया। कुल मिलाकर, एक फीसदी लोगों में गंभीर साइड इफेक्ट्स भी देखे गए हैं।

कोविशील्ड को लेकर पहले भी विवाद हो चुका है। कुछ समय पहले ही भारत में एस्ट्राजेनेका कंपनी की कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड के कथित साइड इफेक्ट्स से जुड़ी खबरों को लेकर बवाल मच गया था। एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन हाईकोर्ट में माना कि उसके कोविड-19 वैक्सीन से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इस सिंड्रोम में शरीर में खून के थक्के जमने लगते हैं या फिर शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगते हैं। बॉडी में ब्लड क्लॉट की वजह से ब्रेन स्ट्रोक की भी आशंका बढ़ जाती है। एस्ट्राजेनेका कंपनी के कोर्ट में यह जवाब देने के बाद भारत में कोविशील्ड लगाने वालों में हलचल पैदा हो गई थी। इसी बीच कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने बयान जारी किया था। भारत बायोटेक ने कहा था कि उनके लिए वैक्सीन के असर से ज्यादा लोगों की सुरक्षा पहले है। बयान में भारत बायोटेक की ओर से संकेत में कहा गया था कि कोवैक्सीन भारत सरकार की यूनिट ICMR के साथ मिलकर विकसित की गई एकमात्र कोरोना वैक्सीन है। कंपनी ने यह भी कहा था कि वैक्सीन के प्रभावी होने को लेकर कई टेस्ट किए गए हैं, लेकिन टीका कितना असरदार है, इसके बारे में सोचने से पहले लोगों की सुरक्षा का पहलू ऊपर रखा गया है।

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भारत बायोटेक के इस बयान के बाद भी रिसर्च रिपोर्ट को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स का पता लगाने के लिए दीर्घकालिक अध्ययन की आवश्यकता होती है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की इस स्टडी ने एक बार फिर से वैक्सीन सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया है और इसे और अधिक गहनता से जांचने की आवश्यकता को उजागर किया है। इस पूरी घटना ने एक बार फिर से वैक्सीन सुरक्षा और प्रभावकारिता को लेकर बहस को ताजा कर दिया है। वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को लेकर स्पष्ट और पारदर्शी जानकारी देना महत्वपूर्ण है ताकि जनता को सही निर्णय लेने में मदद मिल सके। सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियों को भी इस दिशा में और अधिक कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि वैक्सीन सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार की शंका को दूर किया जा सके।

वर्तमान स्थिति में, यह महत्वपूर्ण है कि लोगों को वैक्सीन से संबंधित सटीक और विश्वसनीय जानकारी मिले। वैक्सीन सुरक्षा के बारे में पारदर्शी और ईमानदार संवाद ही लोगों के विश्वास को बनाए रख सकता है और महामारी से लड़ाई में सहयोग सुनिश्चित कर सकता है। भारत बायोटेक की ओर से आई प्रतिक्रिया और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की रिपोर्ट दोनों ही इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इनसे यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि वैक्सीन के उपयोगकर्ता पूरी तरह से जानकारी प्राप्त कर सकें और सुरक्षा के पहलुओं को समझ सकें।

 

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कोविड-19 के नए रूप, JN.1 स्ट्रेन, ने भारत में  एक बार फिर से अपना प्रभाव दिखाया, स्वास्थ्य मंत्री ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया को संज्ञान में लेते हुए राज्यों से सतर्कता और सजगता बढ़ाने का आग्रह किया https://chaupalkhabar.com/2023/12/21/new-variant-of-covid-19-jn-1-strain-once-again-makes-its-presence-felt-in-india-health-minister-urges-states-to-increase-vigilance-and-vigilance-taking-cognizance-of-public-health-response/ https://chaupalkhabar.com/2023/12/21/new-variant-of-covid-19-jn-1-strain-once-again-makes-its-presence-felt-in-india-health-minister-urges-states-to-increase-vigilance-and-vigilance-taking-cognizance-of-public-health-response/#respond Thu, 21 Dec 2023 08:49:16 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2049 कोविड-19 के नए रूप, JN.1 स्ट्रेन, ने भारत में  एक बार फिर से अपना प्रभाव दिखाया है। स्वास्थ्य मंत्री द्वारा देश में बढ़ते केस कोविड-19 के नए रूप, JN.1 स्ट्रेन केस गंभीरता से लेकर, सुरक्षा के साथ समीक्षा की गई है। यह नया स्ट्रेन, जो अत्यधिक प्रसार की आशंका जताता है, विश्व के लिए एक …

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कोविड-19 के नए रूप, JN.1 स्ट्रेन, ने भारत में  एक बार फिर से अपना प्रभाव दिखाया है। स्वास्थ्य मंत्री द्वारा देश में बढ़ते केस कोविड-19 के नए रूप, JN.1 स्ट्रेन केस गंभीरता से लेकर, सुरक्षा के साथ समीक्षा की गई है। यह नया स्ट्रेन, जो अत्यधिक प्रसार की आशंका जताता है, विश्व के लिए एक बड़ा स्वास्थ्य जोखिम बन चुका है। डब्ल्यूएचओ ने इसे एक ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में वर्गीकृत किया है, जिसे ध्यान में रखते हुए आवश्यक निगरानी बनाए रखने की मांग की गई है।

भारत में कोरोना के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इस पर विचार करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया को संज्ञान में लेते हुए राज्यों से सतर्कता और सजगता बढ़ाने का आग्रह किया है। आत्मनिर्भरता की सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्यों के साथ मिलकर काम करने की बात कही गई है। वैज्ञानिक समुदाय नये स्ट्रेन की जांच कर रहा है, और स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यों से परीक्षण बढ़ाने और निगरानी प्रणालियों को मजबूत करने का आग्रह किया है। आगामी त्योहारों से पहले सतर्कता बरतने और सुरक्षित रहने की महत्ता पर जोर दिया गया है।

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कोविड-19 की वापसी के समय में, हमें सतर्क रहने की जरूरत है और यही समय है कि हम सभी अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी उठाएं। सावधानी और सजगता हमारी सबसे बड़ी सुरक्षा हो सकती है। वर्तमान परिस्थितियों में, यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी एक-दूसरे के साथ साझा जिम्मेदारी और संवेदनशीलता दिखाएं। जो भी हमारे द्वारा संभव हो सकता है, उसमें हमें एक साथ काम करना होगा। ।

कोविड-19 के बढ़ते मामलों से घबराने की जगह, हमें आपसी सामर्थ्य और सहयोग की आवश्यकता है। हम सभी को अपने आसपासी समुदाय का साथ देना होगा। स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी यक़ीन दिलाया है कि राज्यों को केंद्र से हरसंभव सहायता मिलेगी। यह बात भी कही गई कि उभरते मामलों के साथ निपटने के लिए ‘संपूर्ण-सरकार’ दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इस संकट के समय में, हमारी एकता और साझेपन ही हमारी शक्ति हो सकती है। हम सभी को अपनी स्वस्थ्य सुरक्षा का ध्यान रखना होगा, और इसे लेकर सतर्क रहना होगा।

 

कोरोना के नए स्ट्रेन से निपटने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा। सावधानी, सतर्कता, और सजगता ही हमारी सबसे बड़ी सुरक्षा हो सकती है। यह समय है कि हम सभी एक-दूसरे का साथ दें, और हमारे समुदाय को सुरक्षित रखने का जिम्मेदारी उठाएं। कोविड-19 अभी खत्म नहीं हुआ है, और इसके संबंध में सतर्क रहना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। राज्यों को व्यवस्था में सुधार करने के लिए उत्साहित किया गया है, ताकि वे आपसी सहायता के साथ एक संकट को निपट सकें। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में, हमें आगे बढ़ने के लिए एक साथ खड़े होना होगा। यह हमारी सबसे बड़ी जरूरत है, और यही हमारी जीत की कुंजी हो सकती है।

 

 

 

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Corona के नए JN.1 वेरिएंट पर WHO ने जताई चिंता, कहा- Vaccine की Immunity नहीं कर पा रही काम https://chaupalkhabar.com/2023/12/18/who-expressed-concern-over-the-new-jn-1-variant-of-corona-said-vaccine-immunity-is-not-able-to-work/ https://chaupalkhabar.com/2023/12/18/who-expressed-concern-over-the-new-jn-1-variant-of-corona-said-vaccine-immunity-is-not-able-to-work/#respond Mon, 18 Dec 2023 07:47:57 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2018 कोरोना महामारी को चार साल होने वाले हैं, लेकिन इसका डर आज तक भी दुनियाभर में बना हुआ है । दिसंबर 2019 से चीन में शुरू हई कोरोना महामारी को इसी साल मई में भले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ‘ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी’ की सूची से बाहर कर दिया हो पर संक्रमण का खतरा …

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कोरोना महामारी को चार साल होने वाले हैं, लेकिन इसका डर आज तक भी दुनियाभर में बना हुआ है । दिसंबर 2019 से चीन में शुरू हई कोरोना महामारी को इसी साल मई में भले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ‘ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी’ की सूची से बाहर कर दिया हो पर संक्रमण का खतरा अब भी कम नहीं हुआ है। हर वर्ष लोगों को एक नए वेरियंट का सामना करना पड़ता हैं।

कोरोना महामारी के आगे दुनिया एक बार फिर से नए संकट की ओर बढ़ रही है। जेएन.1 सब-वेरिएंट की खबरें संक्रमण के मामलों में वृद्धि को लेकर हमें सतर्क रहने के लिए बताती हैं। इस संकट के साथ, सावधानी और तत्परता से ही हम इससे निपट सकते हैं। यह नया सब-वेरिएंट, जो ओमिक्रॉन के BA.2.86 वेरिएंट का ही रूप है, स्पष्ट रूप से संक्रमण की चिंता बढ़ा रहा है। इसके म्यूटेशन के कारण, विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित हो रहा है और वे संक्रमण की रोकथाम के लिए तैयारी में जुटे हैं।

 

जेएन.1 के पहुंचने के बाद, विश्व के कई हिस्सों में मामलों में वृद्धि की रिपोर्टें आनी शुरू हो गई हैं। इससे साफ है कि संक्रमण की रफ्तार में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे हमें सतर्क रहना जरूरी है। सिंगापुर सहित कई देशों में बढ़ते मामलों की खबरें आ रही हैं। इसके साथ ही भारत में भी यह सब-वेरिएंट पाया गया है। इससे स्पष्ट है कि हमारी सतर्कता और संक्रमण से बचाव की दिशा में कठिनाई से जुड़ी है।

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स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जेएन.1 के कारण लोगों में खांसी, सांस की तकलीफ, थकान और अन्य लक्षण देखे जा रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि संक्रमण के लक्षण भी बदल रहे हैं, जो हमें और भी सतर्क बनाता है। हालांकि, इस समय में चिंता की बात नहीं है, बल्कि सतर्कता और सुरक्षा के संकेत हैं। हमें सभी आवश्यक सावधानियां बरतनी चाहिए, मास्क पहनना, हाथ धोना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना, और वैक्सीनेशन को पूरा करना।

 

वैश्विक स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, वैक्सीनेशन हमारी सुरक्षा का सबसे महत्वपूर्ण साधन है। हमें अपनी सुरक्षा और समाज की सुरक्षा के लिए वैक्सीनेशन को प्राथमिकता देनी चाहिए। WHO ने भी इस वेरिएंट को लेकर सावधान किया है इस वॉर्निंग की दो वजहे हैं पहली वजह ये है कि इस वेरिएंट में अब तक 40 से ज्यादा म्यूटेशन्स हो चुके हैं, इतनी तेजी से शक्ल बदलने वाला ये कोविड का पहला वेरिएंट कहा जा सकता है।

दूसरी वजह ये है कि इस पर वैक्सीन से मिली इम्युनिटी काम नहीं कर पा रही है ।ये वेरिएंट सबसे पुष्टि लक्ज़मबर्ग में हुई,जो उत्तर पश्चिमी यूरोप का एक छोटा सा देश है। लेकिन अब इसके शिकार हुए मरीज इंग्लैंड, फ्रांस, आइसलैंड और अमेरिका में भी मिल चुके है।

 

इस समय में, हमारी सावधानी और सुरक्षा हमारी सुरक्षा की जमीन बनती है। हमें स्वस्थ और सुरक्षित रहने के लिए नए संकट के खिलाफ तैयार रहना होगा। संक्रमण के नए वेरिएंट्स के आने से हमें और भी जिम्मेदारी के साथ चलना होगा। हमें सतर्क रहना होगा, वैक्सीनेशन को पूरा करना होगा और सामाजिक दूरी का पालन करना होगा। हमें सभी मिलकर इस मुश्किल वक्त में समर्थन करना होगा।

 

इस संकट के समय में हमें अपने स्वास्थ्य की देखभाल को प्राथमिकता देनी चाहिए। हमारी जिम्मेदारी है कि हम सभी में संक्रमण और बढ़ते मामलों को रोकने में मदद करें। इससे हम सभी मिलकर सुरक्षित रह सकेंगे, WHO द्वारा दी गयी गायडलाइन्स का पालन करना चाहिए।

 

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