yogi on gyanvapi - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Sat, 05 Aug 2023 07:27:49 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg yogi on gyanvapi - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 ज्ञानवापी मामले में ओवैसी का बड़ा बयान, “ज्ञानवापी सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद क्या होगा, कौन जानता है.. https://chaupalkhabar.com/2023/08/05/owaisi-statement-on-gyanvapi/ https://chaupalkhabar.com/2023/08/05/owaisi-statement-on-gyanvapi/#respond Sat, 05 Aug 2023 07:27:49 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1347 पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने अदालत के आदेश के बाद ज्ञानवापी क्षेत्र का वैज्ञानिक अध्ययन किया है। AMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। शनिवार को ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूजा स्थल अधिनियम के संबंध में की गई टिप्पणी का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। ओवैसी ने कहा …

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पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने अदालत के आदेश के बाद ज्ञानवापी क्षेत्र का वैज्ञानिक अध्ययन किया है। AMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। शनिवार को ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूजा स्थल अधिनियम के संबंध में की गई टिप्पणी का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि जब सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक होगी तो कौन जानता है कि हालात कैसे होंगे?

 

 

“ज्ञानवापी को लेकर एएसआई की रिपोर्ट जब सार्वजनिक की जाएगी तो कौन जानता है कि चीजें कैसे आगे बढ़ेंगी?” असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक ट्वीट किया। उम्मीद है कि 23 दिसंबर या 6 दिसंबर की घटनाओं की पुनरावृति नहीं होगी।याद रखें कि 23 दिसंबर 1949 को रामलला की प्रतिमा बाबरी परिसर में “प्रकट” हुई। वहीं 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों की भीड़ ने विवादित भवन को गिरा दिया।

AIMIM प्रमुख ने लिखा, “अयोध्या के ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट की पूजा स्थल अधिनियम की पवित्रता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का अनादर नहीं किया जाना चाहिए।” उम्मीद है कि हजारों बाबरी द्वार नहीं खुलेंगे।’

बता दें की, पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की एक टीम ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक अध्ययन कर रही है। यह सर्वे मंदिर के ऊपर मस्जिद बनाने का पता लगाने के लिए किया जा रहा है। मस्जिद के वजूखाना में स्थित एक ढांचे को छोड़कर पूरी मस्जिद का सर्वेक्षण किया जाएगा। हिंदू धर्म के लोगों का मानना है कि यह निर्माण शिवलिंग है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही वजूखाने में स्थित संरचना को सर्वेक्षण से सुरक्षित कर लिया है।

 

पूजा स्थल अधिनियम क्या है?

पूजा स्थल अधिनियम देश भर में 15 अगस्त 1947 को बनाए गए किसी भी पूजा स्थल को बनाए रखने या बदलने पर प्रतिबंध लगाता है। यह कानून किसी पूजा स्थल को पूरी तरह या आंशिक रूप से एक अलग धार्मिक संप्रदाय में बदलने पर रोक लगाता है, यहां तक कि एक अलग विभाग में भी बदल देता है। राम जन्मभूमि विवाद और उससे संबंधित मुकदमे को इस कानून की धारा 5 के प्रावधानों से बचाया गया था।

2019 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अयोध्या विवाद पर निर्णय दिया तो कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम की भी प्रशंसा की। कोर्ट ने कहा कि भारतीय राजनीति में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करने के लिए यह कानून बनाया गया था, जो संविधान का मूल चरित्र है।

Brajesh Kumar

 

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“ज्ञानवापी को लेकर एएसआई की रिपोर्ट जब सार्वजनिक की जाएगी तो कौन जानता है कि चीजें कैसे आगे बढ़ेंगी?” असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक ट्वीट किया। उम्मीद है कि 23 दिसंबर या 6 दिसंबर की घटनाओं की पुनरावृति नहीं होगी।याद रखें कि 23 दिसंबर 1949 को रामलला की प्रतिमा बाबरी परिसर में “प्रकट” हुई। वहीं 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों की भीड़ ने विवादित भवन को गिरा दिया।

AIMIM प्रमुख ने लिखा, “अयोध्या के ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट की पूजा स्थल अधिनियम की पवित्रता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का अनादर नहीं किया जाना चाहिए।” उम्मीद है कि हजारों बाबरी द्वार नहीं खुलेंगे।’

बता दें की, पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की एक टीम ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक अध्ययन कर रही है। यह सर्वे मंदिर के ऊपर मस्जिद बनाने का पता लगाने के लिए किया जा रहा है। मस्जिद के वजूखाना में स्थित एक ढांचे को छोड़कर पूरी मस्जिद का सर्वेक्षण किया जाएगा। हिंदू धर्म के लोगों का मानना है कि यह निर्माण शिवलिंग है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही वजूखाने में स्थित संरचना को सर्वेक्षण से सुरक्षित कर लिया है।

 

पूजा स्थल अधिनियम क्या है?

पूजा स्थल अधिनियम देश भर में 15 अगस्त 1947 को बनाए गए किसी भी पूजा स्थल को बनाए रखने या बदलने पर प्रतिबंध लगाता है। यह कानून किसी पूजा स्थल को पूरी तरह या आंशिक रूप से एक अलग धार्मिक संप्रदाय में बदलने पर रोक लगाता है, यहां तक कि एक अलग विभाग में भी बदल देता है। राम जन्मभूमि विवाद और उससे संबंधित मुकदमे को इस कानून की धारा 5 के प्रावधानों से बचाया गया था।

2019 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अयोध्या विवाद पर निर्णय दिया तो कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम की भी प्रशंसा की। कोर्ट ने कहा कि भारतीय राजनीति में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करने के लिए यह कानून बनाया गया था, जो संविधान का मूल चरित्र है।

Brajesh Kumar

 

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ज्ञानवापी मामले में योगी आदित्यनाथ ने अपना रुख स्पस्ट किया है, मुख्यमंत्री ने कहा की ज्ञानवापी को मस्जिद कहना एक ऐतिहासिक गलती है …. https://chaupalkhabar.com/2023/07/31/cm-yogi-statement-on-gyanvapi-asi-survey/ https://chaupalkhabar.com/2023/07/31/cm-yogi-statement-on-gyanvapi-asi-survey/#respond Mon, 31 Jul 2023 08:47:15 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1255 सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी ज्ञानवापी मश्जिद मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है. अपने बयान में मुख्यमंत्री योगी ने कहा है की ज्ञानवापी मस्जिद है ही नही.उसकी दीवारे चीख चीख कर कहती है की वो मंदिर है.   समाचार एजेंसी ANI से बात …

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सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी ज्ञानवापी मश्जिद मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है. अपने बयान में मुख्यमंत्री योगी ने कहा है की ज्ञानवापी मस्जिद है ही नही.उसकी दीवारे चीख चीख कर कहती है की वो मंदिर है.

 

समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा है की ज्ञानवापी को मस्जिद कहना एक ऐतिहासिक गलती है . उन्होंने मुस्लिम पक्ष पर निशाना साधते हुए पूछा की आखिर मस्जिद परिसर की दीवारों पर त्रिशूल क्या कर रहा है. मस्जिद में त्रिशूल का क्या काम है .

अपने साक्षात्कार में योगी आदित्यनाथ ने कहा की उनकी सरकार लम्बे से चले आ रहे सभी मुद्दों को हल करना चाहती है.और रही बात ज्ञानवापी की तो इस मामले का समाधान तो खुद मुसलमान पक्ष से आना चाहिए. मुस्लिम पक्ष को ये स्वीकार करना चाहिए की यह एक ऐतिहासिक गलती थी .

विवाद के समाधान के समबन्ध में बोलते हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा की अगर हम इसे मस्जिद कहते हैं ,तो यह एक विवाद जैसा होगा .आगे उन्होंने ने कहा की “मुझे ऐसा लगता है कि भगवान ने हमे आँखे दी है ,इसलिए हमे इसे देखना चाहिए. आखिर एक त्रिशूल मंदिर के अंदर क्या कर रहा है . हमने तो इसे वहाँ नही रखा ,फिर कैसे इसको मस्जिद कह दें .

मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर के अंदर ज्योतिर्लिंग और एनी देवी – देवताओं की मुर्तिया हैं. परिसर कि दीवारें अपने आप में ही सच चिल्ला रही हैं.मुस्लिम पक्ष को इस मामले खुद आगे आकर एक प्रस्ताव देना चाहिए कि उनके पूर्वजो के द्वारा यह एक ऐतिहासिक गलती हुई है और इसका समाधान होना चाहिए.

बता दें की मुख्यमंत्री आदित्यनाथ अपने तीखे बयानों के कारण ही सुर्खियों में बने रहते है. और उनके इस तरह के बयाँ से एक बार फिर उत्तर प्रदेश राजनीतिक गलियारों में गर्माहट आ गई है.हालांकि ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वेक्षण मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है जिसका फैसला 3 अगस्त को आने वाला है. .

 

Brajesh kumar

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