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EVM-VVPAT पर सुप्रीम की मुहर, परन्तु दिए कुछ खास निर्देश; इन उम्मीदवारों को रियायत देते हुए SC ने और क्या कहा

भारतीय चुनाव प्रक्रिया में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और वीवीपैट (वीवीपैटर पेपर ऑडिट ट्रेल) के इस्तेमाल पर लगातार सवाल उठते रहते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से संबंधित मिलान कराने की मांग को खारिज कर दिया है।

भारतीय चुनाव प्रक्रिया में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और वीवीपैट (वीवीपैटर पेपर ऑडिट ट्रेल) के इस्तेमाल पर लगातार सवाल उठते रहते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से संबंधित मिलान कराने की मांग को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही, उम्मीदवारों को रिजल्ट के 7 दिनों के भीतर ईवीएम के माइक्रोकंट्रोलर की सत्यापन के लिए शुल्क देकर दोबारा काउंटिंग की मांग करने की सहमति दी गई है। यह फैसला चुनाव प्रक्रिया में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

कोर्ट ने सिंबल यूनिट को भी 45 दिनों तक सील बनाए रखने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, उम्मीदवारों को रियायत देते हुए रिजल्ट के 7 दिनों के भीतर दोबारा जांच की मांग करने की भी सहमति दी गई है। यह उम्मीदवारों को न्याय का मार्ग प्राप्त करने में मदद करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी सुझाव दिया है कि वह वीवीपैट पर्चियों पर बार कोड लगा सकता है, जिससे इसे स्वचालित रूप से गिना जा सके। यह एक और कदम है जो चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए रखने की दिशा में है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी सुझाव दिया है कि वह वीवीपैट पर्चियों पर बार कोड लगा सकता है, जिससे इसे स्वचालित रूप से गिना जा सके।

इस निर्णय के पीछे एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) संस्था और कई अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की थीं। उन्होंने वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से 100 प्रतिशत मिलान की मांग की थी। इस मामले में न्याय के माध्यम से उम्मीदवारों को रियायत दी गई है, जिससे वे अपने हक की रक्षा कर सकें। एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने इस मामले में छेड़छाड़ की आशंका जताई थी, जिसका महत्वपूर्ण रोल रहा। पीठ ने इस मुद्दे पर ध्यान दिया और समझाया कि सिर्फ संदेह के आधार पर कोर्ट ईवीएम के बारे में आदेश दे सकता है, जबकि इसका कोई ठोस सबूत नहीं है। यह एक बड़ा संदेश है कि न्यायिक प्रक्रिया में ठोस सबूतों के आधार पर ही निर्णय लेना चाहिए।

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इस निर्णय के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह निर्णय चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष, और विश्वसनीय बनाए रखने में मदद करेगा। इससे नागरिकों की विश्वासी बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। यह एक बड़ी जीत है भारतीय लोकतंत्र के लिए।

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