Election Commission - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Mon, 16 Sep 2024 07:29:31 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Election Commission - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 वन नेशन, वन इलेक्शन, इलेक्शन’, भारतीय चुनाव प्रणाली में बड़ा बदलाव? https://chaupalkhabar.com/2024/09/16/one-nation-one-election-election/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/16/one-nation-one-election-election/#respond Mon, 16 Sep 2024 07:29:31 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4899 ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक राष्ट्र, एक चुनाव) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के प्रमुख एजेंडों में से एक है। इस विचार का मुख्य उद्देश्य लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराना है। सरकार तेजी से इस दिशा में काम कर रही है, और उम्मीद जताई जा रही है कि मोदी …

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‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक राष्ट्र, एक चुनाव) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के प्रमुख एजेंडों में से एक है। इस विचार का मुख्य उद्देश्य लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराना है। सरकार तेजी से इस दिशा में काम कर रही है, और उम्मीद जताई जा रही है कि मोदी सरकार अपने वर्तमान कार्यकाल (मोदी 3.0) में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पेश कर सकती है। इसका मतलब यह है कि देशभर के सभी चुनाव एक ही समय पर होंगे, जो बार-बार चुनाव कराने की प्रक्रिया को सरल बना सकता है। मोदी सरकार वर्तमान में अपने सहयोगियों के समर्थन पर निर्भर है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ जेडीयू (JDU) और तेलुगू देशम पार्टी (TDP) जैसी प्रमुख पार्टियों का सहयोग भी है। ये पार्टियां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा हैं और ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के विचार पर सरकार का समर्थन कर रही हैं। बताया जा रहा है कि एनडीए में शामिल सभी दल इस अवधारणा के पक्ष में हैं और इसके कार्यान्वयन के लिए तैयार हैं।

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यह विचार केवल सरकार का एजेंडा ही नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे बार-बार जनता और अन्य राजनीतिक दलों के समक्ष प्रस्तुत किया है। बीजेपी के 2019 लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का वादा किया गया था। इस साल स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में पीएम मोदी ने राजनीतिक दलों से इस दिशा में साथ आने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि “समय की मांग है कि हम एक राष्ट्र, एक चुनाव के संकल्प को हासिल करें।” इससे चुनावों की प्रक्रिया को सरल और समयबद्ध बनाने की उम्मीद जताई जा रही है।

सरकार ने इस मुद्दे पर अध्ययन और विचार के लिए एक समिति गठित की, जिसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की। इस समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, समिति ने सुझाव दिया है कि पहले लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं। इसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनावों का आयोजन किया जाना चाहिए, जिससे सभी स्तरों के चुनाव एक निश्चित समय सीमा में संपन्न हो सकें।

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‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मुख्य उद्देश्य चुनावों की आवृत्ति को कम करना और संसाधनों की बचत करना है। बार-बार चुनाव कराने से सरकार और जनता दोनों पर वित्तीय और प्रशासनिक बोझ पड़ता है। एक साथ चुनाव कराने से प्रशासनिक लागत कम होगी और विकास योजनाओं के संचालन में भी रुकावटें कम होंगी। हालांकि, इस प्रस्ताव के खिलाफ भी कुछ तर्क दिए जा रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि इससे क्षेत्रीय पार्टियों को नुकसान हो सकता है और स्थानीय मुद्दों को राष्ट्रीय मुद्दों के नीचे दबा दिया जाएगा। इसके अलावा, यह भी तर्क दिया जा रहा है कि एक साथ चुनाव कराने से संसदीय और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है।

 

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विधानसभा चुनाव 2024: चार राज्यों में चुनावी तारीखों की आज होगी घोषणा, हरियाणा, महाराष्ट्र, और जम्मू-कश्मीर पर सबकी नजर. https://chaupalkhabar.com/2024/08/16/assembly-election-2024-four-states/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/16/assembly-election-2024-four-states/#respond Fri, 16 Aug 2024 06:20:32 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4319 आज दोपहर 3 बजे चुनाव आयोग विधानसभा चुनावों की तारीखों का एलान करेगा। इन चुनावों में चार राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है, जिनमें हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड शामिल हैं। हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर 2024 को समाप्त हो रहा है, जबकि महाराष्ट्र की विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर 2024 …

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आज दोपहर 3 बजे चुनाव आयोग विधानसभा चुनावों की तारीखों का एलान करेगा। इन चुनावों में चार राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है, जिनमें हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड शामिल हैं। हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर 2024 को समाप्त हो रहा है, जबकि महाराष्ट्र की विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर 2024 को पूरा हो जाएगा। झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को समाप्त हो रहा है। जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई समयसीमा के अनुसार, वहां के विधानसभा चुनाव 30 सितंबर 2024 से पहले कराए जाने की योजना बनाई गई है। जम्मू-कश्मीर में यह चुनाव अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पहली बार हो रहे हैं, जो कि ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। चुनाव आयोग ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर और हरियाणा का दौरा किया है ताकि चुनाव तैयारियों का जायजा लिया जा सके, लेकिन अब तक महाराष्ट्र का दौरा नहीं किया है।

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हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं। वर्तमान में भाजपा के पास 40 सीटें, कांग्रेस के पास 31 सीटें, जेजेपी के पास 10 सीटें, आईएनएलडी के पास 1 सीट, हरियाणा लोकहित पार्टी के पास 1 सीट, और निर्दलीय विधायकों के पास 7 सीटें हैं। इस बार के चुनाव में राजनीतिक दलों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है, क्योंकि प्रत्येक पार्टी राज्य में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए पूरी ताकत से मैदान में उतरेगी।

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चुनाव आयोग के इस महत्वपूर्ण घोषणा का इंतजार सभी राजनीतिक दलों और मतदाताओं को है, क्योंकि ये चुनाव न केवल राज्य की राजनीति को बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी प्रभाव डाल सकते हैं। विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में चुनाव, जहां सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, देशभर में चर्चा का विषय बने हुए हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव भी इस बार के चुनावी माहौल को और दिलचस्प बना सकते हैं। आने वाले कुछ घंटों में चुनाव आयोग की घोषणा के बाद, राजनीतिक दलों की तैयारियों और रणनीतियों पर सबकी नजरें होंगी, जो अगले कुछ महीनों में होने वाले विधानसभा चुनावों का भविष्य तय करेंगी।

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6 राज्यों की 8 लोकसभा सीटों पर EVM जांच की याचिका, किन पार्टियों ने चुनाव आयोग से की मांग https://chaupalkhabar.com/2024/06/21/8-lok-sabha-seats-from-6-states/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/21/8-lok-sabha-seats-from-6-states/#respond Fri, 21 Jun 2024 05:37:29 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3665 चुनाव आयोग के अनुसार, छह राज्यों की आठ संसदीय सीटों पर ईवीएम की जांच के लिए कुल 92 मतदान केंद्रों की मशीनों की जांच की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गई हैं। लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतों पर चुनाव आयोग को कुल आठ याचिकाएं मिली हैं, जिनमें से …

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चुनाव आयोग के अनुसार, छह राज्यों की आठ संसदीय सीटों पर ईवीएम की जांच के लिए कुल 92 मतदान केंद्रों की मशीनों की जांच की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गई हैं। लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतों पर चुनाव आयोग को कुल आठ याचिकाएं मिली हैं, जिनमें से कुछ याचिकाएं बीजेपी और कांग्रेस ने दायर की हैं। महाराष्ट्र के अहमदनगर से बीजेपी के उम्मीदवार सुजय विखे पाटिल ने 40 मतदान केंद्रों पर ईवीएम मशीनों की वेरिफिकेशन की मांग की है। विखे पाटिल इस सीट से एनसीपी (शरद पवार) के उम्मीदवार निलेश लंके से हार गए थे। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी और तमिलनाडु में डीएमके के उम्मीदवारों ने भी ईवीएम की जांच के लिए कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं।

चुनाव आयोग के अनुसार, तमिलनाडु के वेल्लोर और तेलंगाना की जहीराबाद सीटों से बीजेपी उम्मीदवारों ने ईवीएम की जांच की मांग की है। हरियाणा की करनाल और फरीदाबाद सीटों तथा छत्तीसगढ़ की कांकेर सीट से कांग्रेस उम्मीदवारों ने भी ईवीएम जांच के लिए याचिकाएं दायर की हैं। चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, छह राज्यों की आठ संसदीय सीटों पर ईवीएम की जांच के लिए याचिकाएं दायर की गई हैं। कुल मिलाकर 92 मतदान केंद्रों की मशीनों की जांच की मांग की गई है। चुनाव आयोग की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक, यह याचिकाएं विभिन्न दलों के उम्मीदवारों द्वारा दायर की गई हैं, जिनमें बीजेपी, कांग्रेस, वाईएसआरसीपी और डीएमके शामिल हैं।

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Election Comission की ओर से एक जून को जारी मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के मुताबिक़ , चुनावी नतीजों में दूसरे या तीसरे स्थान पर आए उम्मीदवारों को ईवीएम की जांच के लिए 47,000 रुपये का भुगतान करना होगा। यह राशि ईवीएम बनाने वाली कंपनियों BEL और ECIL को दी जाएगी, जो ईवीएम की जांच करेंगी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को ईवीएम में हेरफेर की आशंका को निराधार बताते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने की मांग को खारिज कर दिया था। हालांकि, यह फैसला सुनाते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा था कि वीवीपैट वेरिफिकेशन का खर्च उम्मीदवारों को खुद ही उठाना पड़ेगा। यदि किसी स्थिति में ईवीएम में छेड़छाड़ पाई गई तो खर्च वापस दिया जाएगा। इस प्रकार, ईवीएम की जांच की मांग करते हुए दायर की गई याचिकाओं पर चुनाव आयोग की कार्रवाई और जांच प्रक्रिया जारी है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनावी प्रक्रिया में कोई अनियमितता न हो।

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ECI द्वारा 7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का किया गया एलान, 10 जुलाई को किया जाएगा मतदान. https://chaupalkhabar.com/2024/06/10/eci-by-7-states-of-13-legislation/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/10/eci-by-7-states-of-13-legislation/#respond Mon, 10 Jun 2024 08:10:43 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3540 भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के 13 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव कराने का निर्णय लिया है। ये उपचुनाव 10 जुलाई को होंगे और मतगणना 13 जुलाई को होगी। चुनाव आयोग ने इस संबंध में अपनी घोषणा कर दी है, जिसमें नामांकन, स्क्रूटनी और मतदान के …

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भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के 13 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव कराने का निर्णय लिया है। ये उपचुनाव 10 जुलाई को होंगे और मतगणना 13 जुलाई को होगी। चुनाव आयोग ने इस संबंध में अपनी घोषणा कर दी है, जिसमें नामांकन, स्क्रूटनी और मतदान के लिए तिथियों का विवरण दिया गया है। इन उपचुनावों में बिहार की 1 , पश्चिम बंगाल की 4 , तमिलनाडु की 1 , मध्य प्रदेश की 1 , उत्तराखंड की 2 , पंजाब की 1 और हिमाचल प्रदेश की 3 सीटों पर मतदान किया जायगा । चुनाव आयोग के अनुसार, इन सीटों पर नोटिफिकेशन 14 जून को जारी किया जाएगा। नामांकन की अंतिम तिथि 21 जून होगी और नामांकन की स्क्रूटनी 24 जून को की जाएगी। नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 26 जून तय की गई है। मतदान 10 जुलाई को होगा और परिणाम 13 जुलाई को घोषित किए जाएंगे।

चुनाव आयोग के अनुसार, नोटिफिकेशन 14 जून को जारी किया जाएगा। नामांकन की अंतिम तिथि 21 जून होगी और नामांकन की स्क्रूटनी 24 जून को की जाएगी। नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 26 जून तय की गई है।

बिहार की एक सीट पर उपचुनाव होगा, जिसका विवरण आयोग ने स्पष्ट किया है। पश्चिम बंगाल की चार सीटों पर उपचुनाव होंगे, जिनमें विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है। तमिलनाडु की एक सीट पर भी उपचुनाव होगा। इसके अलावा, मध्य प्रदेश की एक सीट पर उपचुनाव होगा, जो अमरवाड़ा की है। अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 123 की यह सीट कमलेश प्रताप शाह के इस्तीफे के बाद खाली हो गई थी। कमलेश शाह ने हाल ही में इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी, जिसके बाद यह सीट रिक्त घोषित कर दी गई थी। उत्तराखंड की दो सीटों पर उपचुनाव होंगे, जिनमें दोनों ही महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। पंजाब की एक सीट पर भी उपचुनाव का आयोजन किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश की तीन सीटों पर उपचुनाव होंगे, जिनमें विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है।

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चुनाव आयोग ने इन उपचुनावों के लिए पूरी प्रक्रिया का विवरण भी दिया है। नोटिफिकेशन जारी होने की तिथि 14 जून होगी, जिसके बाद उम्मीदवार नामांकन पत्र दाखिल कर सकेंगे। नामांकन की अंतिम तिथि 21 जून है, जिसके बाद कोई नामांकन पत्र स्वीकार नहीं किया जाएगा। नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी 24 जून को की जाएगी, जिसमें सभी उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। इसके बाद, नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि 26 जून है, जिसके बाद उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी वापस नहीं ले सकेंगे। मतदान 10 जुलाई को होगा, जिसमें सभी योग्य मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। मतगणना 13 जुलाई को की जाएगी और उसी दिन परिणाम घोषित किए जाएंगे। मध्य प्रदेश में अमरवाड़ा की सीट पर भी उपचुनाव होगा। यह सीट विधायक कमलेश प्रताप शाह के इस्तीफे के बाद से खाली है। कमलेश शाह ने हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी, जिसके कारण यह सीट रिक्त हो गई थी। अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 123 की यह सीट छिंदवाड़ा जिले में आती है। उपचुनाव के जरिए इस सीट पर नए विधायक का चयन किया जाएगा।

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चुनाव आयोग ने इन उपचुनावों के संबंध में सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं और आयोग द्वारा जारी तिथियों के अनुसार सभी प्रक्रियाएं संचालित की जाएंगी। आयोग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पूरी हो। सभी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को आयोग के निर्देशों का पालन करना होगा। इन उपचुनावों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ये विभिन्न राज्यों के महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद यह देखा जाएगा कि किस राजनीतिक दल को कितनी सीटें मिलती हैं और इससे राज्यों की राजनीतिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है। उपचुनावों के नतीजे 13 जुलाई को घोषित किए जाएंगे, जिससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि किस दल को जनता का समर्थन मिला है।

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ADR की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने लगायी फटकार, सार्वजनिक हो वोटिंग डेटा. https://chaupalkhabar.com/2024/05/24/adr-on-appeal-to-supreme-court/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/24/adr-on-appeal-to-supreme-court/#respond Fri, 24 May 2024 08:07:01 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3403 सुप्रीम कोर्ट ने आज (24 मई) चुनाव आयोग को राहत देते हुए लोकसभा चुनाव में मतदान के पूरे आंकड़े देरी से जारी होने पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग के खिलाफ कोई निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने …

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सुप्रीम कोर्ट ने आज (24 मई) चुनाव आयोग को राहत देते हुए लोकसभा चुनाव में मतदान के पूरे आंकड़े देरी से जारी होने पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग के खिलाफ कोई निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए। लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए मतों के आंकड़े वेबसाइट पर अपलोड करने की मांग को लेकर एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने याचिका दायर की थी। याचिका में मांग की गई थी कि मतदान के 48 घंटे के भीतर प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए मतों के आंकड़े वेबसाइट पर डाले जाएं।

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और एस.सी. शर्मा की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सभी मतदान केंद्रों पर दर्ज वोटों की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने से चुनावी प्रक्रिया में अराजकता की स्थिति पैदा हो सकती है। चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट में कहा कि फॉर्म 17C (जिसमें प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों के आंकड़े दर्ज होते हैं) को वेबसाइट पर अपलोड करना उचित नहीं होगा। उन्होंने बताया कि फॉर्म 17C को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है। चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि आरोप लगाया गया है कि फाइनल डेटा में 5 से 6 प्रतिशत का फर्क है, जो पूरी तरह से गलत है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आरोप चुनाव को बदनाम करने की कोशिश हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, चुनावी प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ संपन्न होती है और मतदान के आंकड़े पहले से ही उपलब्ध कराए जाते हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव के 5 चरण हो चुके हैं और इस समय चुनाव आयोग पर प्रक्रिया बदलने का दबाव डालना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग पर चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने का कोई आरोप साबित नहीं हुआ है। चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट को बताया कि ADR का मकसद वोटरों को भ्रमित करना है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 26 अप्रैल को भी एक याचिका खारिज की थी जिसमें ADR की मंशा पर सवाल उठाए गए थे। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास पर्याप्त सबूत नहीं हैं और चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और एस.सी. शर्मा की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग के खिलाफ कोई निर्देश जारी करने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिए बिना ही याचिका का निपटारा कर दिया। एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने याचिका में यह भी आरोप लगाया था कि मतदान के आंकड़े देरी से जारी किए जाने के कारण चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। ADR ने मांग की थी कि चुनाव आयोग को निर्देश दिए जाएं कि वह मतदान के 48 घंटे के भीतर सभी मतदान केंद्रों पर डाले गए वोटों के आंकड़े अपनी वेबसाइट पर अपलोड करे।

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चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट में कहा कि फॉर्म 17C (जिसमें प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों के आंकड़े दर्ज होते हैं) को वेबसाइट पर अपलोड करना उचित नहीं होगा।

चुनाव आयोग ने कोर्ट में कहा कि प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए मतों के आंकड़े फॉर्म 17C में दर्ज होते हैं और इन फॉर्म्स को स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखा जाता है। उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों को सार्वजनिक करने से चुनावी प्रक्रिया में अराजकता फैल सकती है और यह उचित नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ADR की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव आयोग के खिलाफ कोई निर्देश जारी करना सही नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया पारदर्शी है और इस पर सवाल उठाना अनुचित है।

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कोर्ट ने कहा कि ADR द्वारा दायर याचिका में पर्याप्त सबूत नहीं हैं जो चुनाव आयोग की प्रक्रिया को गलत साबित कर सकें।  चुनाव आयोग पर आरोप लगाना और उसकी प्रक्रिया पर सवाल उठाना सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को राहत देते हुए कहा कि मतदान के आंकड़ों को देरी से जारी करने के संबंध में चुनाव आयोग के खिलाफ कोई निर्देश जारी नहीं किए जाएंगे।

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नहीं लड़ेंगी प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव! राहुल गांधी पर 24 घंटे में फैसला कल https://chaupalkhabar.com/2024/04/30/priyanka-gandhi-will-not-contest-lok-sabha-elections-decision-on-rahul-gandhi-in-24-hours-tomorrow/ https://chaupalkhabar.com/2024/04/30/priyanka-gandhi-will-not-contest-lok-sabha-elections-decision-on-rahul-gandhi-in-24-hours-tomorrow/#respond Tue, 30 Apr 2024 06:10:40 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3048 उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा ही रायबरेली और अमेठी सीटें उच्च स्थान पर रही हैं। यहाँ जनता के साथियों के बीच नहीं सिर्फ राजनीतिक मुद्दों की चर्चा होती है, बल्कि इन सीटों के उम्मीदवारों का चयन भी राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस बार भी इन दोनों सीटों पर सस्पेंस बरकरार है। …

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा ही रायबरेली और अमेठी सीटें उच्च स्थान पर रही हैं। यहाँ जनता के साथियों के बीच नहीं सिर्फ राजनीतिक मुद्दों की चर्चा होती है, बल्कि इन सीटों के उम्मीदवारों का चयन भी राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस बार भी इन दोनों सीटों पर सस्पेंस बरकरार है। कुछ सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका गांधी इस बार लोकसभा चुनाव में अपनी सीटों अमेठी और रायबरेली से प्रतिस्थापन नहीं करेंगी। वे केवल चुनाव प्रचार करेंगी। इससे पहले राहुल गांधी के अमेठी या रायबरेली से चुनाव लड़ने पर भी संदेह है, लेकिन कल तक उनका फैसला आ सकता है। पहले की खबरें बता रही थीं कि राहुल और प्रियंका अयोध्या जाएंगे और फिर अमेठी और रायबरेली में चुनावी उम्मीदवारी का ऐलान करेंगे।

 

 

2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को अमेठी सीट से हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें तब मोदी सरकार की मंत्री स्मृति ईरानी ने हराया था। हालांकि, वे वायनाड सीट से जीतकर संसद में पहुंचे थे। अमेठी का महत्व यह भी है कि यह कांग्रेस का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और इसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस के खो जाने से सामाजिकवादी पार्टी को फायदा हुआ था। 2022 के चुनाव में इस पार्टी को अमेठी और गौरीगंज से विधानसभा सीटें मिलीं। बीजेपी भी अमेठी में अपने विधायकों की संख्या बढ़ाने में कामयाब रही।

 

 

सोनिया गांधी ने 2019 में घोषणा की थी कि यह उनका आखिरी लोकसभा चुनाव होगा। वे 1999 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार अमेठी से चुनाव लड़ी थीं और जीत हासिल की थी। उसके बाद 2004 में वे पहली बार रायबरेली से चुनाव लड़ीं और जीतीं। सोनिया गांधी को कुल पांच बार सांसद चुना गया है। रायबरेली और अमेठी सीटें हमेशा ही कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण रही हैं। यहाँ के लोग अपनी समस्याओं को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच दूसरे मुद्दों के साथ ही अपनी सीटों के उम्मीदवारों का चयन करते हैं। इस बार का चुनाव भी इसी दिशा में हो रहा है, जहाँ चुनावी अभियान और उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया संगठित हो रही है।

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यह चुनाव उत्तर प्रदेश के राजनीतिक मंच पर भी महत्वपूर्ण है। इसके परिणाम से प्रदेश की राजनीति में कई बदलाव आ सकते हैं। यहाँ के लोग अपने उम्मीदवारों के चयन से अपनी आसानियों और मुद्दों को लेकर चिंतित हैं। इसलिए इन सीटों पर होने वाले चुनाव का परिणाम प्रदेशीय स्तर पर बहुत महत्वपूर्ण होगा। अमेठी और रायबरेली की राजनीति में बदलाव का संकेत इस बार भी हो सकता है।

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संदेशखाली मामले में TMC पहुंची चुनाव आयोग, कहा- CBI के एक्शन का इलेक्शन पर पड़ सकता है असर https://chaupalkhabar.com/2024/04/27/message-empty-case-in-tmc-reach/ https://chaupalkhabar.com/2024/04/27/message-empty-case-in-tmc-reach/#respond Sat, 27 Apr 2024 07:11:26 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3022 पश्चिम बंगाल के चुनावी महौल में हो रही है संदेशखाली के मामले पर तीव्र सियासी उत्तेजना। टीएमसी ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर सीबीआई के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है, जिसमें संदेशखाली में छापेमारी के आरोप हैं। इसके साथ ही, सीबीआई ने हाल ही में इस क्षेत्र में एक बड़े छापे का आयोजन किया …

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पश्चिम बंगाल के चुनावी महौल में हो रही है संदेशखाली के मामले पर तीव्र सियासी उत्तेजना। टीएमसी ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर सीबीआई के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है, जिसमें संदेशखाली में छापेमारी के आरोप हैं। इसके साथ ही, सीबीआई ने हाल ही में इस क्षेत्र में एक बड़े छापे का आयोजन किया है, जिसमें बड़ी संख्या में हथियार और विदेशी आयातित बम मिले हैं।

टीएमसी की तरफ से चुनावी आयोग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को लिखे गए पत्र में उन्होंने सीबीआई के खिलाफ शिकायत की है, जिसमें उन्होंने संदेशखाली में छापेमारी के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि यह छापेमारी चुनाव के दिन किए गए हैं, जिससे चुनाव के माहौल पर असर पड़ सकता है। वहीं, सीबीआई का दावा है कि छापामारी के दौरान विदेशी हथियार मिले हैं, जो कि एक चिंता का विषय है।

छापामारी के दौरान संदेशखाली में बहुत सारे हथियार और विदेशी आयातित बम मिले हैं। यह संदेशखाली के स्थानीय नेता शेख शाहजहां के करीबी के घर से हुई है। इस छापामारी में सीबीआई के द्वारा 348 राउंड गोलियां, चार अत्याधुनिक विदेशी आग्नेयास्त्र, तीन देशी बंदूकें, बम बनाने के मसाले समेत कई बम बरामद किए गए हैं। इसके बाद एनएसजी के कमांडो द्वारा भी तलाशी कार्रवाई की गई, जिसमें वे इजरायली रोबोट की मदद से अधिक अवशेषों की तलाशी की।

छापामारी के दौरान सीबीआई के बम निरोधक और खोजी दस्ते ने विस्फोटकों को सुरक्षित तरीके से एकत्रित करने के बाद उन्हें निष्क्रिय कर दिया। इस कार्रवाई में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और सीआरपीएफ के जवानों ने भी भाग लिया। यह घटना संदेशखाली के राजनीतिक दलों के बीच तनाव का कारण बन गई है। टीएमसी के द्वारा चुनावी आयोग को शिकायत करके सीबीआई के खिलाफ कदम उठाने से लेकर, सीबीआई के द्वारा संदेशखाली में छापेमारी की गई है, जो कि इस क्षेत्र में नए राजनीतिक घमासान को दर्शाती है।

सीबीआई द्वारा संदेशखाली में छापेमारी की यह कार्रवाई बेहद गंभीर है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। साथ ही, टीएमसी द्वारा चुनावी आयोग को शिकायत करने का भी मामला है, जिसमें सीबीआई के खिलाफ कदम उठाने का आरोप है। यह सभी तंत्रों के बावजूद, संदेशखाली में हुई इस घटना की गहरी जांच की जानी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोनों पक्षों के बीच विवाद को समाधान किया जा सके।

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इस घटना ने संदेशखाली के माहौल में तनाव और उत्तेजना को बढ़ा दिया है, और इसे नियंत्रित करने के लिए जल्दी से कदम उठाने की जरूरत है। साथ ही, सुरक्षा एजेंसियों को भी इस मामले में अत्यधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है ताकि किसी भी आपात स्थिति को समय रहते पहचाना और नियंत्रित किया जा सके।

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EVM-VVPAT पर सुप्रीम की मुहर, परन्तु दिए कुछ खास निर्देश; इन उम्मीदवारों को रियायत देते हुए SC ने और क्या कहा https://chaupalkhabar.com/2024/04/26/evm-vvpat-upon-supreme-seal-upon/ https://chaupalkhabar.com/2024/04/26/evm-vvpat-upon-supreme-seal-upon/#respond Fri, 26 Apr 2024 06:40:43 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3014 भारतीय चुनाव प्रक्रिया में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और वीवीपैट (वीवीपैटर पेपर ऑडिट ट्रेल) के इस्तेमाल पर लगातार सवाल उठते रहते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से संबंधित मिलान कराने की मांग को खारिज कर दिया है। इसके साथ …

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भारतीय चुनाव प्रक्रिया में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और वीवीपैट (वीवीपैटर पेपर ऑडिट ट्रेल) के इस्तेमाल पर लगातार सवाल उठते रहते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से संबंधित मिलान कराने की मांग को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही, उम्मीदवारों को रिजल्ट के 7 दिनों के भीतर ईवीएम के माइक्रोकंट्रोलर की सत्यापन के लिए शुल्क देकर दोबारा काउंटिंग की मांग करने की सहमति दी गई है। यह फैसला चुनाव प्रक्रिया में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

कोर्ट ने सिंबल यूनिट को भी 45 दिनों तक सील बनाए रखने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, उम्मीदवारों को रियायत देते हुए रिजल्ट के 7 दिनों के भीतर दोबारा जांच की मांग करने की भी सहमति दी गई है। यह उम्मीदवारों को न्याय का मार्ग प्राप्त करने में मदद करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी सुझाव दिया है कि वह वीवीपैट पर्चियों पर बार कोड लगा सकता है, जिससे इसे स्वचालित रूप से गिना जा सके। यह एक और कदम है जो चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए रखने की दिशा में है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी सुझाव दिया है कि वह वीवीपैट पर्चियों पर बार कोड लगा सकता है, जिससे इसे स्वचालित रूप से गिना जा सके।

इस निर्णय के पीछे एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) संस्था और कई अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की थीं। उन्होंने वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से 100 प्रतिशत मिलान की मांग की थी। इस मामले में न्याय के माध्यम से उम्मीदवारों को रियायत दी गई है, जिससे वे अपने हक की रक्षा कर सकें। एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने इस मामले में छेड़छाड़ की आशंका जताई थी, जिसका महत्वपूर्ण रोल रहा। पीठ ने इस मुद्दे पर ध्यान दिया और समझाया कि सिर्फ संदेह के आधार पर कोर्ट ईवीएम के बारे में आदेश दे सकता है, जबकि इसका कोई ठोस सबूत नहीं है। यह एक बड़ा संदेश है कि न्यायिक प्रक्रिया में ठोस सबूतों के आधार पर ही निर्णय लेना चाहिए।

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इस निर्णय के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह निर्णय चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष, और विश्वसनीय बनाए रखने में मदद करेगा। इससे नागरिकों की विश्वासी बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। यह एक बड़ी जीत है भारतीय लोकतंत्र के लिए।

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कांग्रेस के सशक्त राज्यों में इलेक्टोरल बॉन्ड की अलग दिखी स्थिति, डेटा का विश्लेषण। https://chaupalkhabar.com/2024/03/15/congress-strong-state/ https://chaupalkhabar.com/2024/03/15/congress-strong-state/#respond Fri, 15 Mar 2024 08:12:33 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2595 भारतीय राजनीति में चुनावी प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण कदम है जो नागरिकों की भागीदारी को सुनिश्चित करता है और लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करता है। चुनाव आयोग और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच चंदा प्राप्ति के मामले में दर्शाया गया है कि कांग्रेस …

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भारतीय राजनीति में चुनावी प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण कदम है जो नागरिकों की भागीदारी को सुनिश्चित करता है और लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करता है। चुनाव आयोग और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच चंदा प्राप्ति के मामले में दर्शाया गया है कि कांग्रेस कई राज्यों में अच्छी रफ़्तार से अपने नाम को बढ़ा रही है, जबकि बीजेपी ने विभिन्न राज्यों में चंदा प्राप्ति में वृद्धि दर्ज की है।

चुनावी चंदे के मामले में तमिलनाडु, पुडुचेरी, और केरल के चुनावी माहौल विशेष ध्यान वाले हैं, जहां कांग्रेस को स्थिति मजबूत रहती है। इन राज्यों में कांग्रेस ने बीजेपी को चंदा प्राप्ति में पीछे छोड़ा है। जनवरी 2021 और जुलाई 2021 के चरण 15 और 17 में, कांग्रेस ने बीजेपी को चंदा प्राप्ति में पीछे छोड़ा है। तमिलनाडु में, उसने 7.1 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया, जबकि पुडुचेरी में उसकी चंदा प्राप्ति 24.7 करोड़ रुपये थी। चुनावी चंदे के साथ-साथ, इलेक्टोरल बॉन्ड्स के मामले में भी कांग्रेस की स्थिति मजबूत दिखाई गई है। अक्टूबर 2023 के आसपास, कांग्रेस ने सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड्स हासिल किए, जब उसने बीजेपी को 401.9 करोड़ रुपये के मुकाबले 359 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया। इस अवधि के दौरान, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, और मिजोरम में चुनाव हुए थे और इन राज्यों में कांग्रेस की प्रदर्शन की उम्मीद थी।

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चुनावी चंदे के मामले में कर्नाटक ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जहां कांग्रेस ने बीजेपी को पीछे छोड़ा। अप्रैल 2023 के चुनावों में, कांग्रेस ने 190.6 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया, जबकि बीजेपी ने 334 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया। एक और अंतर्निहित चरण में, जुलाई 2022 में, कांग्रेस ने बीजेपी को पीछे छोड़ा और 57.5 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया। चुनावी चंदे के अलावा, इलेक्टोरल बॉन्ड्स के डोलने के मामले में भी कांग्रेस ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अप्रैल 2019 में, चरण 9 में, कांग्रेस ने बीजेपी को 1064 करोड़ रुपये के मुकाबले 118 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया। इसके अलावा, कांग्रेस ने बीजेपी को अप्रैल 2019 के चरण 9 के दौरान 707 करोड़ रुपये के चंदे का प्राप्त किया।

इस सभी डेटा के साथ-साथ, चुनावी चंदे के मामले में बीजेपी ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। बीजेपी ने लोकसभा चुनावों में सबसे अधिक इलेक्टोरल बॉन्ड्स प्राप्त किए हैं। चरण 9 में, अप्रैल 2019 में, बीजेपी ने कांग्रेस को 1064 करोड़ रुपये के मुकाबले 118 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया। चुनाव आयोग और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, चुनावी चंदे के मामले में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही अहम भूमिका निभा रहे हैं।

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